NDA से निकलने के बाद पहली बार मोदी विरोध में आए पशुपति पारस, बिहार चुनाव में गठबंधन पर भी बोला
एनडीए से निकलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने शनिवार को खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में बयान दिया। उन्होंने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी रालोजपा के गठबंधन में जाने पर भी बात की।

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने एनडीए से निकलने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में खुलकर बयान दिया है। रालोजपा सुप्रीमो ने शनिवार को पीएम मोदी के लगातार बिहार दौरों पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि मोदी चाहें बिहार में जितना सभाएं कर लें, आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन तय है। पारस ने आगामी बिहार चुनाव में अपनी पार्टी रालोजपा के गठबंधन से जुड़ने पर भी बात की। उनके महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
पशुपति पारस ने आरोप लगाया कि बिहार में सुशासन नहीं, पूरी तरह से कुशासन व्याप्त है। अपराधी पूरी तरह से बेलगाम हैं। वर्तमान एनडीए सरकार पूरी तरह से दलित एवं पासवान विरोधी है। पीएम मोदी के बिहार दौरे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कितनी भी बार बिहार आ जाएं, इससे फर्क नहीं पड़ने वाला है।
गठबंधन पर क्या बोले पशुपति पारस?
शनिवार को पटना स्थित पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पशुपति पारस ने स्पष्ट किया कि रालोजपा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में गठबंधन के तहत ही लड़ेगी। हालांकि, किस गठबंधन से वे जुड़ेंगे इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा, “आगामी बिहार चुनाव में रालोजपा सत्ता परिवर्तन की सूत्रधार बन कर उभरेगी। हमारी पार्टी सामाजिक न्याय की शक्तियों के साथ गठबंधन कर राज्य में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।”
पशुपति पारस के आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें लंबे समय से लगाई जा रही हैं। उन्होंने इसके संकेत भी दिए हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार में उनकी पार्टी का संगठन मजबूत हो रहा है। बिहार के जिस जिले में वह जा रहे हैं, जनता के बीच सत्ता परिवर्तन की आवाज सुनाई दे रही है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता का परिवर्तन होना तय है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा को एनडीए में तरजीह नहीं मिली थी। उनकी जगह भतीजे चिराग पासवान के गुट वाली लोजपा (रामविलास) को एनडीए में टिकट दिए गए थे। इससे आहत होकर पारस ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था। कुछ महीनों बाद अप्रैल 2025 में पशुपति पारस ने आधिकारिक रूप से एनडीए से अलग होने का ऐलान किया