वोटर वेरिफिकेशन पर घमासान में जीतनराम मांझी ने ली एंट्री, बताया- विपक्ष को क्यों लग रहा डर
जीतनराम मांझी ने कहा है कि हम जानते हैं कि राज्य के किन-किन क्षेत्रों में फेक वोटर बने हुए है। इनकी संख्या कहीं 25 हज़ार है तो कहीं 30 हज़ार तक है। जब ऐसे फर्जी वोटरों के नाम हटेंगे तो डर तो उन्हीं को होगा जो गलत हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन की ओर से कराए जा रहे मतदाता पुनरीक्षण पर घमासान मचा है। तेजस्वी यादव समेत विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने इसे गैरजरूरी करार देते हुए महागठबंधन के वोटरों को मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश करार दिया। ओवैसी ने तो यहां तक कह दिया हे कि इलेक्शन कमीशन के माध्यम से एनआरसी का एजेंडा लागू किया जा रहा है। इस पर नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री जीतनराम मांझी का अहम बयान आया है। उन्होंने कहा है कि वोटर वेरिफिकेशन से विपक्ष को डर इसलिए लग रहा है क्योंकि फर्जी वोटरों के नाम हट जाएंगे।
जीतनराम मांझी ने कहा है कि हम जानते हैं कि राज्य के किन-किन क्षेत्रों में फेक वोटर बने हुए है। इनकी संख्या कहीं 25 हज़ार है तो कहीं 30 हज़ार तक है। जब ऐसे फर्जी वोटरों के नाम हटेंगे तो डर तो उन्हीं को होगा जो गलत हैं। अगर विपक्ष के सभी वोटर सच्चे हैं तो डर क्यों? मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिताजी लाठी में तेज पिलाते थे। उन्हें अपने पिता के नक्शे कदम पर चलना चाहिए तो कलम बांट रहे हैं। दरअसल वे कलम नहीं, तलवार बांट रहे हैं। ये बीस महीने समय मांग रहे हैं लेकिन जनता इन्हें मौका नहीं देगी।
तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिताजी लाठी में तेज पिलाते थे। उन्हें अपने पिता के नक्शे कदम पर चलना चाहिए तो कलम बांट रहे हैं। दरअसल वे कलम नहीं, तलवार बांट रहे हैं। ये बीस महीने समय मांग रहे हैं लेकिन जनता इन्हें मौका नहीं देगी।
वोटर वेरिफिकेशन पर प्रशांत किशोर ने भी विरोध में स्वर व्यक्त किया था। कहा है कि ऐसा करने से पहले चुनाव आयोग को सभी स्टेक होल्डर्स को विश्वास में लेना चाहिए था। आयोग को भरोसा दिलाना होगा कि जो काम होगा उसमें पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी क्योंकि महाराष्ट्रा चुनाव के बाद इलेक्शन कमीशन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बीजेपी और जदयू के नेताओं का कहना है कि दूसरे राज्यों में वोटर बन चुके और गलत तरीके से मतदाता सूची में शामिल वोटरों का सत्यापन जरूरी है। चुनाव आयोग इस दिशा में कदम उठा रहा है तो विपक्ष को डर सता रहा है।