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बोले जमुई: आश्वासन मिला पर पुल नहीं बना, छात्रों की पढ़ाई पर ब्रेक

उलाय नदी बरसात में उफान पर है, जिससे बलियो के ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पुल की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई और मजदूरों की कमाई पर असर पड़ रहा है। कई वर्षों से पुल का निर्माण...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 23 June 2025 03:04 AM
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बोले जमुई: आश्वासन मिला पर पुल नहीं बना, छात्रों की पढ़ाई पर ब्रेक

प्रस्तुति : अरुण बोहरा

नदी किसी के लिए लाइफ लाइन होती है, लेकिन कभी कभी यह किसी इलाके लिए अभिषाप भी बन जाती है। मॉनसून दस्तक दे चुका है और बीते छह दिनों से रूक-रूक कर होती बारिश से उलाय नदी में कमर के ऊपर पानी आ जाने से लोगों की मुश्किलें शुरू हो चुकी हैं। बरिश में नदी के उफान को पार करना मुश्किल हो जाता है। नतीजा बच्चों की पढ़ाई व मजदूरों की कमाई पर ग्रहण लग जाता है। मोटे तौर बरसात के चार महीने उनके लिए इसी बेबसी व लाचारी में गुजरते हैं। झाझा प्रखंड के बलियो स्थित उलाय नदी पर पुल नहीं होने की पीड़ा बलियोवासियों को गुजरे कई दशकों से सालती रही है। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले जमुई संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि जिम्मेदारों ने आश्वासन तो दिया, लेकिन अबतक पुल का निर्माण शुरू नहीं हो सका। इसके कारण लोग हलकान हैं।

झाझा प्रखंड कार्यालय के पिछवाड़े वाली रोड पर बहती उलाय नदी के पार हथिया पंचायत के बलियो, बलियोटांढ़, तेतरियाटांढ़, दो कोड़वाडीह, सिमरासोत, बसकूटोला व डेहरीडीह आदि गांव बसे हैं। इसके अलावा खैरा प्रखंड के टिहिया दिनारी, कोदवारी व कगेश्वर आदि कई गांवों के भी लोग इसी नदी वाले रास्ते से होकर झाझा बाजार को आवाजाही करते हैं। इसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बरसात के मौसम में ग्रामीणों की दिनचर्या सांसत में आ जाती है। उनकी गतिविधियों पर मोटे तौर पर ब्रेक लग जाती है या तो अपनी सब्जियां, दूध या दिहाड़ी मजदूरी को उन्हें वैकल्पिक लंबे व घुमावदार रास्ते से शहर आना होता है या फिर नदी में उफान कायम रहने तक ग्रामीणों की मजदूरी और बच्चों की पढ़ाई दोनों पर मानों ग्रहण लग जाता है। बीते कई दशकों से लाचारी व परेशानी उनकी नियति बनी हुई है। पुल की मांग को ले ग्रामीणों ने कई बार प्रदर्शन किया, लेकिन मांगें पूरी नहीं हुई।

बरसात में उफनती उलाय कई बार काफी रौद्र रूप धारण कर लेती है तथा फिर उस विकराल हुई नदी को पार करना जान जोखिम में डालने जैसा होता है। नदी के किस मुकाम पर कहीं अधिक गहरा गड्ढा मिल जाए या फिर पार करने के दौरान न जाने कब नदी में पानी व उसका करंट बढ़ जाए। ऐसे जानलेवा खतरों का पहले से किसी को पता नहीं होता है। मामूली बारिश में भी नदी में काफी पानी संचयित हो जाता है। उक्त गहरे पानी को धकेलते हुए उसमें अपनी अपनी साइकिलों के लिए रास्ता बनाने के लिए छात्र-छात्राओं को जूझते हुए देखना हर किसी को द्रवित,चिंतित कर देता है। कहीं साइकिल नहीं निकल पाती है तो बेचारी फिर अपने हाथों में उपर उठाकर बढ़ती हैं।

डेढ़ साल पूर्व भेजा था सरकार को प्रस्ताव

काफी देर से ही सही,किंतु करीब डेढ़ साल पूर्व ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों ने भी झाझा प्रखंड के बलियो घाट स्थित उलाय नदी पर एक अदद पुल की नितांत जरूरत को महसूस करते हुए सरकार को इस बावत प्रस्ताव भी भेजा था। झाझा स्थित विभागीय कार्य प्रमंडल के तत्कालीन ईई मो.जमील अहमद ने इसको ले नजरी नक्शे एवं चेक लिस्ट के साथ पटना स्थित विभागीय सचिव को विस्तृत प्रस्ताव प्रेषित किया था। अपने पत्रांक 1659 में पूर्व ईई ने बलियो घाट स्थित उलाय नदी पर पुल निर्माण को अति आवश्यक बाते हुए लिखा था कि पुल के अभाव में आमजन को आवागमन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

कभी स्कूल चले गए तो लौटना हो जाता है मुश्किल

बलियो की कई छात्राओं ने बताया कि बरसात के चार महीनों में उनकी पढ़ाई पर समझिए की ग्रहण लग जाता है। नदी में ज्यादा पानी वाले कई दिनों में स्कूल नहीं जा पाकर किनारों से ही वापस अपने घरों को लौट जाना होता है। इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि किसी तरह स्कूल चल तो जाते हैं पर लौटते वक्त पानी और अधिक बढ़ गया मिलने पर फिर वापस बाजार में अपने अभिभावकों या गांव के अन्य लोगों के पास लौट जाते हैं। वे फिर हमें बाइक या किसी अन्य वाहन से सोनो के अंगनापत्थर वाले काफी लंबे रास्ते से होकर अपने घरों तक पहुंचाते हैं।

इनकी भी सुनिए

सभी जन प्रतिनिधि हर चुनाव के वक्त तो भरोसा देते हैं पर फिर उन्हें हमारी परेशानी का कोई ख्याल नहीं रहता है।

- निवास कुमार

कई बार ग्रामीण आंदोलन किए, नेताओं के पास गुहार लगाई और उनलोगों ने भरोसा भी दिया पर पुल अबतक नहीं बन सका है।

-जयप्रकाश

सरकार बड़े-बड़े पुल बनवा रही है फिर बलियो के छोटे से पुल को बनवाने में उसे क्या परेशानी आ रही है, यह समझ से परे है।

- शौकत खां

बलियो नदी पर पुल निर्माण नहीं होने से इस इलाके की हजारों की आबादी की तमाम गतिविधियों पर पूरे बरसात भर ब्रेक लगी रहती है।

- सोनू अंसारी

अब फिर बरसात का मौसम आ गया है और पुल नहीं होने से एक बार फिर हमलोग के लिए परेशानी और मुश्किल का दौर शुरू हो गया है।

- मुन्ना सिंह

पुल नहीं होने से सब्जी बेचने बाजार नहीं जा पाते हैं। बेचने का सब्जी घर में ही बर्बाद हो जाता है और हमलोग का पूंजी डूब जाता है।

- शाहिद खां, सब्जी विक्रेता

परिवार मजदूरी के सहारे ही हैं। बरसात होने पर नदी पार कर शहर में मजदूरी को जाना मुश्किल हो जाता है ।

- अजवा देवी

बलियो नदी पर यदि सरकार पुल नहीं बना रही है तो गांव में ही हमलोग को रोजगार दे। जिससे हमलोगों काे राहत मिले।

- सीता देवी

बरसात के मौसम में पढ़ाई मुश्किल हो जाती है। नदी में पानी आ जाने से कोचिंग के लिए झाझा नहीं जा पाते हैं।

-संतोष ठाकुर, स्टूडेंट

बलियो नदी पर पुल नहीं होने से हजारों ग्रामीण को बरसात में हर साल बहुत मुश्किल होती है। काम-धंधा सब चौपट हो जाता है।

- शमीम खान

छह दिन से फिर बरसात हो रहा है और पूरे बरसात फिर हमलोग की मजदूरी पर आफत रहेगा। इसका निदान हो।

- भोला मांझी, मजदूर

बलियो इलाके में वैसे तो पानी,सड़क सब चीज की समस्या है। किंतु पुल नहीं होना सबसे बड़ा मुश्किल का सबब बना हुआ है।

- तबारक खां, ग्रामीण

बरसात का तीन-चार महीना हमलोग के लिए मुसीबत हो जाता है। मजदूरी को कहीं नहीं जा पाते हैं। इसके कारण परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है।

- कारू यादव, मजदूर

बलियो के ग्रामीणों को न न्याय मिल पा रहा है, न ही विकास। सरकार को बलियो नदी पर पुल का निर्माण बिना देर किए कराना चाहिए।

-गौरव सिंह राठौर

बलियो इलाके में वैसे तो पानी,सड़क सब चीज का समस्या है। किंतु पुल नहीं होना सबसे बड़ा मुश्किल का सबब बना हुआ है। इसका निदान जल्द हो।

- सुधीर कुमार

बलियो नदी पर पुल की मांग कोई विलासिता नहीं अपितु यह इस इलाके के हजारों ग्रामीण,मजदूर एवं विद्यार्थियों की बहुत बड़ी जरूरत है।

- शहबाज खान

बोले जिम्मेदार

बलियो नदी पर पुल नहीं होना इलाके की हजारों की आबादी के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है। बरसात के मौसम में ग्रामीणों का जन-जीवन मुश्किल में पड़ा रहता है।

- गीता देवी, मुखिया, हथिया पंचायत

बरमसिया पुल के निर्माण का कार्य अब जल्द ही शुरू हो जाएगा। बलियो पुल के लिए भी मैंने विभाग से सरकार को प्रस्ताव भिजवाने के अलावा मैं व्यक्तिगत तौर पर भी प्रयासरत हूं।

-दामोदर रावत, विधायक, झाझा

शिकायत

1. झाझा की उलाय नदी के बलियो घाट पर पुल के अभाव में ग्रामीणों की बड़ी आबादी को होती है परेशानी।

2. बरसात की सीजन में इलाके के ग्रामीण मजदूरों को प्रखंड मुख्यालय आना-जाना हो जाता है मुश्किल।

3. कॉलेज-कोचिंग को शहर आने वाले युवाओं की पढ़ाई पर बरसात में लग जाता है ग्रहण।

4. अंगनापत्थर होकर बलियो की ओर जानी वाली सड़क जर्जर है।

5. इलाके में पीने के पानी के भी समुचित संसाधन नहीं होने से ग्रामीणों को होती है परेशानी।

सुझाव

1. झाझा की उलाय नदी के बलियो घाट पर तत्काल आरसीसी पुल का निर्माण हो।

2. बलियो एवं उसके आसपास के दर्जन भर गांव-टोलों के बीच सुदृढ़ संपर्क पथ एवं नालियों का निर्माण हो।

3. बलियो क्षेत्र से काफी मात्रा में शहर आने वाली सब्जियों, दूध आदि के परिवहन के लिए समुचित संसाधन मिले।

4. अंगनापत्थर होकर बलियो की ओर जाने वाले पथ का जीर्णोद्धार हो।

5. बलियो के विद्यार्थियों को गांव में ही प्लस टू की शिक्षा मिले।

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