इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में भारत दिखा रहा दम, 2030 तक दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मार्केट बन जाएगा
दुनिया भर के कई देश इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने का लक्ष्य बना रहे हैं। इनमें एक नाम भारत का भी है। भारत 2030 तक चौथा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर बनने की रिपोर्ट है।

दुनिया भर के कई देश इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने का लक्ष्य बना रहे हैं। इनमें एक नाम भारत का भी है। भारत 2030 तक चौथा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर बनने की रिपोर्ट है। यह चीन, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद अगले स्थान पर होगा। अनुमान लगाया गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का प्रोडक्शन 2024 में 0.2 मिलियन (2 लाख) से बढ़कर 2.5 मिलियन (25 लाख) इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर व्हीकल की कैपेसिटी तक पहुच जाएगा।
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड इसकी मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी से बहुत पीछे होगी। ऐसा माना जाता है कि 2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की 4 लाख से 14 लाख यूनिट की डिमांड होगी। इसका मतलब है कि 11 से 21 लाख यूनिट इलेक्ट्रिक व्हीकल अधिशेष होंगे, जिन्हें फिर दूसरे देशों में निर्यात किया जाएगा। वर्तमान में भारत में तीन प्रमुख इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर टाटा मोटर्स, महिंद्रा ऑटोमोटिव और एमजी मोटर हैं। संयुक्त रूप से इन कार निर्माताओं के पास 90% बाजार हिस्सेदारी है।
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दूसरे ग्लोबल मार्केट की तुलना में यह बहुत धीमी ईवी पैठ और विकास को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, वियतनाम के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में 2022 से 2024 तक दो सालों के अंदर 17% की वृद्धि हुई है। देश की अपनी ईवी मैन्युफैक्चर दिग्गज, विनफास्ट, वियतनाम में ईवी पैठ बढ़ाने में एक प्रमुख खिलाड़ी रही है। पूर्वानुमानों के अनुसार, 2030 तक चीन लगभग 2.9 करोड़ इलेक्ट्रिक कारों का प्रोडक्शन करेगा। इसके बाद यूरोपीय संघ 90 लाख यूनिट का प्रोडक्शन करेगा। फिर संयुक्त राज्य अमेरिका लगभग 60 लाख यूनिट के साथ होगा। भारत के लिए यह लगभग 25 लाख यूनिच बनाने की उम्मीद है, इसके बाद दक्षिण कोरिया 19 लाख और जापान 14 लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाते हैं।
2030 तक भारत ईवी प्लांट के तेजी से विस्तार के कारण रैंकिंग में ऊपर उठ जाएगा। वर्तमान में भारत में 13 लाख यूनिट की कैपेसिटी निर्माणाधीन है। इसके अलावा, 7 लाख यूनिट की घोषणा की गई है। साथ ही, 3 लाख यूनिट तैयार हैं, लेकिन अभी तक चालू नहीं हुई हैं। ईवी को बढ़ावा देने से भारत को जापान और दक्षिण कोरिया से आगे निकलने में मदद मिलेगी, दोनों ने ही वर्तमान में हाई ऑपरेशंस प्रोडक्शन के बावजूद सीमित नई कैपेसिटी की घोषणा की है। 2024 में भारत की इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी 2 लाख यूनिट थी। हालांकि, भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड लगभग 1 लाख यूनिट थी। अब, नए 2030 के पूर्वानुमान के साथ यह मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी 25 लाख यूनिट तक बढ़ जाएगी।
इसके बाद 11 से 21 लाख यूनिट का बड़ा अंतर होगा। हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह होगा कि ये एक्स्ट्रा यूनिट एक बड़े ईवी निर्यातक बनने का अवसर प्रदान करेंगी। हालांकि, निर्यात वैश्विक स्तर पर भारत में निर्मित ईवी की प्रतिस्पर्धात्मकता पर निर्भर करेगा। इंटरनेशनल मार्केट में क्वालिटी स्टैंडर्ड ही खेल का नाम हैं, इसलिए कम क्वालिटी वाले ईवी का प्रोडक्शन भारत को एक बड़ा निर्यातक बनने में मदद नहीं करेगा। हालांकि, अगर ऑटोमेकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके वाहन ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुसार बने हैं, तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हावी हो सकेंगे।
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