Jagannath Rath Yatra: बीमारी से ठीक होते ही 7 दिन यहां रहेंगे भगवान जगन्नाथ, जानें कहां है गुंडिचा मंदिर?
Gundicha Mandir: भगवान जगन्नाथ की यात्रा 27 जून को है। इससे पहले वह 7 दिन गुंडिचा मंदिर में अपने भाई-बहन के साथ रहेंगे। जानते हैं कि आखिर इसके पीछे की क्या कहानी है? साथ ही गुंडिचा मंदिर से भगवान जगन्नाथ के कनेक्शन को भी जानेंगे।

हिंदुओं के चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी में 27 जून को जगन्नाथ यात्रा निकाली जाएगी। आपने जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में काफी सुना होगा। कई लोग इसके बारे में सब कुछ जानते हैं तो वहीं कुछ लोगों को ना के बराबर जानकारी होती है। तो चलिए बताते हैं कि जगन्नाथ यात्रा के दौरान क्या-क्या होता है? बता दें कि इस परपंरा की शुरुआत 12वीं शताब्दी से हुई थी जोकि राजा अनंतवर्मन ने की थी। बाद में ओडिशा में उन्होंने ही जगन्नाथ मंदिर बनवाया। हर साल आषाढ़ के महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ उनकी बहन देवी सुभद्रा और भाई बलभद्र भी निकलते हैं। ये यात्रा कुल 9 दिन चलती है।
15 दिन बीमार पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ
यात्रा शुरू होने से ठीक 18 दिन पहले भगवान जगन्नाथ पूर्णिमा पर स्नान करते हैं। ऐसे में यात्रा शुरू करने से पहले ही वह 15 दिन तक बीमार रहते हैं। बता दें कि यह रथयात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से ही निकलती है और आखिर में गुंडिचा मंदिर पहुंचती है। बीमारी के दौरान भगवान जगन्नाथ 15 दिन तक एकांतवास में रहते हैं। इस दौरान भक्त उनके दर्शन नहीं कर सकते हैं। उनका ध्यान रखा जाता है और शरीर पर कई तरह के लेप लगाए जाते हैं। 15 दिन के बाद यानी कि आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की द्धितीया तिथि में वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं। भगवान के स्वस्थ होते ही यात्रा शुरू की जाती है और इस उत्सव को लोग नैनासर उत्सव के भी नाम से जानते हैं।
गुंडीचा पहुंचेंगे भगवान जगन्नाथ
बीमारी से ठीक होते ही भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ अपनी मौसी गुंडीचा के यहां जाते हैं। बता दें कि जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 से 4 किमी दूर ही गुंडिचा मंदिर है। इस दौरान मौसी उनकी खूब खातिरदारी करती हैं। गुंडिचा पहुंचते ही भगवान जगन्नाथ का स्वागत उनके पसंदीदा मिठाइयों के साथ होता है।
7 दिन बाद जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे भगवान
गुंडिचा में 7 दिन रहने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने मुख्य स्थान यानी कि जगन्नाथ मंदिर पहुंचते हैं। इसके ठीक एक दिन बाद ही जगन्नाथ पुरी में देवशयनी का एक कार्यक्रम किया जाता है। इस दौरान भक्त मंदिर में खूब पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद भगवान चार महीने के लिए योगनिद्रा में जाते हैं।