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कार-बाइक के हॉर्न मोडिफाई कराने वालों की अब खैर नहीं! जुर्माने संग हो सकती है सजा

उत्तराखंड में बाइक और कार में कानफोडू शोर मचाने वाले हॉर्न या साइलेंसर लगाना अब भारी पड़ने जा रहा है। वाहन में निर्माता कंपनी के हार्न में छेड़छाड़ कर अधिक शोर करने वाला हॉर्न पाया जाएगा, उस पर 10000 रुपये तक जुर्माना लगेगा या तीन महीने की जेल भी हो सकती है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, देहरादून। हिन्दुस्तानFri, 27 June 2025 12:30 PM
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कार-बाइक के हॉर्न मोडिफाई कराने वालों की अब खैर नहीं! जुर्माने संग हो सकती है सजा

उत्तराखंड में बाइक और कार में कानफोडू शोर मचाने वाले हॉर्न या साइलेंसर लगाना अब भारी पड़ने जा रहा है। जिस भी वाहन में निर्माता कंपनी के हार्न में छेड़छाड़ कर अधिक शोर करने वाला हॉर्न पाया जाएगा, उस पर 10000 रुपये तक जुर्माना लगेगा या तीन महीने की जेल भी हो सकती है। अथवा ये दोनों सजाएं एक साथ भी भुगतनी पड़ सकती हैं। यही नहीं वाहन चालक का लाइसेंस तीन महीने के लिए सस्पेंड करने का भी प्रावधान है।

ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए परिवहन विभाग नया अभियान शुरू करने जा रहा है। गुरुवार को राज्य के सभी प्रवर्तन अधिकारियों को वाहनों की जांच के लिए डेसीबल मीटर का उपयोग करने का प्रशिक्षण भी दिया गया।

सहायक परिवहन आयुक्त शैलेश तिवारी ने 'हिन्दुस्तान' को बताया कि विभाग को ध्वनि प्रदूषण की जांच करने वाले उपकरण मिल गए हैं। वर्तमान में 47 प्रवर्तन अधिकारियों को ये डेसीबल मीटर दिए गए हैं। जल्द ही डेसीबल मीटर की संख्या बढ़ाते हुए सभी प्रवर्तन अधिकारियों का मुहैया कराया जाएगा। डेसीबल मीटर से हॉर्न से निकलने वाली आवाज की प्रमाणिक जांच की जा सकती है।

साइलेंसर से पटाखे की आवाज, हॉर्न से चीखने की

हालिया कुछ समय में वाहनों के हॉर्न की आवाज को बदलने की चलन बढ़ा है। अक्सर सड़कों पर पटाखे फूटने की आवाज करती बाइक दिखाई दे जाती हैं। कार, बस, ट्रक के हॉर्न भी काफी तेज आवाज के साथ गाने की धुन पर बने हॉर्न भी सुनाई देते हैं। जानवरों की आवाज वाले भी हॉर्न भी इनकी आवाज बेहद परेशान करने वाली होती है। खासकर बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों के लिए तीखी आवाजें काफी नुकसानदायक भी हो सकती हैं। सहायक परिवहन आयुक्त ने बताया कि केन्द्रीय मोटरयान नियमावली, 1989 के नियम 119 एवं 120 में निजी एवं व्यवसायिक वाहनों के हॉर्न एवं साइलेंसर से निकलने वाली आवाज की तीव्रता के सम्बन्ध में मानक निर्धारित किये गये हैं। यह 7.5 मीटर के दायरे में अधिकतम 80 से 91 डेसीबत तक हो सकते हैं। वाहन कंपनियों मूल रूप से वहीं हॉर्न लगाती है जो ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश के मानक पूरा करते हैं। उससे अलग हटकर लगाया गया हर हॉर्न नियम विरुद्ध हैं।

शैलेश तिवारी, सहायक परिवहन आयुक्त ने कहा, ''ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए वाहनों के हॉर्न के लिए कुछ मानक तय हैं। चूंकि अब विभाग को डेसीबल मीटर प्राप्त हो गए, इसलिए अभियान को शुरू किया जा रहा है। दोषी से 10 हजार रुपये जुर्माना अथवा तीन महीने की जेल या दोनों ही सजा देने का प्रावधान है।''

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