शाम को दिया आवेदन, अगली सुबह रिटायर; उत्तराखंड में वन विभाग के मुखिया ने लिया VRS- क्या वजह?
शनिवार दोपहर को शासन ने उनका वीआरएस मंजूर कर उन्हें रिलीव कर दिया। उनकी जगह पीसीसीएफ डॉ. समीर सिन्हा को वन विभाग का नया मुखिया बनाया गया है। डॉ. धनंजय के वीआरएस लेने के पीछे क्या कारण बताए जा रहे हैं…

वन विभाग के मुखिया पीसीसीएफ (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन ने वीआरएस ले लिया है। शनिवार दोपहर को शासन ने उनका वीआरएस मंजूर कर उन्हें रिलीव कर दिया। उनकी जगह पीसीसीएफ डॉ. समीर सिन्हा को वन विभाग का नया मुखिया बनाया गया है। डॉ. धनंजय के वीआरएस लेने के पीछे व्यक्तिगत कारण बताए जा रहे हैं।
डा. धनंजय मोहन 31 अगस्त को रिटायर होने वाले थे। इसके बाद पीसीसीएफ डा. समीर सिन्हा को नया विभागीय मुखिया बनना था। लेकिन डॉ. धनंजय मोहन ने इससे पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया। शनिवार को शासन ने उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकार कर ली। डा. धनंजय मोहन को वन विभाग में पक्षी विशेषज्ञ और वाइल्ड का अच्छा जानकार माना जाता था।
वे इससे पहले भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक भी रहे चुके हैं। वहां उन्होंने एक साल में स्वेच्छा से पद छोड़ दिया था। वन निगम के एमडी का पद भी वे एक साल में ही स्वेच्छा से छोड़ चुके थे। इसके बाद अब उन्होंने रिटायरमेंट से करीब सवा माह पहले ही वन विभाग का सर्वोच्च पद भी छोड़ दिया। वहीं नए पीसीसीएफ डॉ. समीर सिन्हा भी पांच माह बाद रिटायर होने वाले हैं।
वन विभाग के मुखिया डॉक्टर धनंजय मोहन का यूं अचानक वीआरएस लेना कई सवाल खड़े कर गया। पहला तो ये कि ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने शुक्रवार शाम को वीआरएस का आवेदन किया और शनिवार दोपहर में सचिवालय में छुट्टी के बावजूद उनका आवेदन स्वीकार कर वीआरएस दे दिया गया।
जबकि ऐसा आज तक पहले कभी नहीं हुआ कि 18 घंटे में सरकार ने किसी अधिकारी का वीआरएस स्वीकार किया हो। दूसरा बड़ा सवाल ये है कि डॉ धनंजय मोहन ने 21 जून से तीन जुलाई तक छुट्टी का आवेदन किया था। अगर उनको इस तरह वीआरएस लेना होता तो छुट्टी क्यों लेते। विभाग और शासन में शनिवार को दिन भर ये सवाल उठते रहे हैं।
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