मैकाले की मंशा पर पानी फेरेगा अनुवाद अभियान
भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक गंटि एस. मूर्ति ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि अगले 10 साल में लाखों अंग्रेजी ग्रंथों का संस्कृत में...
भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक गंटि एस. मूर्ति ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों के प्राध्यापकों से सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत जगत के लोगों के सामने आगामी दस साल चुनौती वाले हैं, क्योंकि हमें इस बीच लाखों अंग्रेजी ग्रंथों का संस्कृत में अनुवाद कर उन्हें भारतीय शिक्षा पद्धति का हिस्सा बनाना है। जिसके परिणाम 2045 से दिखाई देने आरंभ होंगे। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में इन दिनों देशभर के परिसरों के प्राध्यापक महत्त्वपूर्ण अकादमिक कार्य के लिए जुटे हैं। परिसर निदेशक प्रो पीवीबी सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में आयोजित वार्ता सत्र में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग राष्ट्रीय समन्वयक गंटि एस. मूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भारत की प्राचीन गौरवशाली ज्ञान परंपरा को जीवंत करना है।
इसके तहत अंग्रेजी के लाखों ग्रंथों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना है। अनुवाद ऐसा हो कि जिसमें भारतीयता की आत्मा जीवित रहे। अभी तक ऐसे अंग्रेजी ग्रंथों के माध्यम से पश्चिमी शैली के आधार पर ज्ञान दिया जा रहा है। हमें इनका भारतीयकरण करना है। श्री मूर्ति ने कहा कि भारतीयता की भावना प्रकृति को पूजने की है, जबकि पश्चिम में प्रकृति के प्रति श्रद्धा भाव नहीं रही है। उन्होंने कहा कि आने वाला समय संस्कृत क्षेत्र के लोगों के लिए परिश्रम वाला परंतु रोजगार देने वाला होगा। निदेशक प्रो पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग की अनुवाद योजना में हम बढ़-चढ़कर भाग लेंगे व यहां से पासआउट छात्रों को इस कार्य में लगाएंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिम हमारे वैभवशाली ज्ञान का श्रेय हमें देने से बचता रहा है। हमारे अधिकांश लोग भी इस बात को नहीं समझ पाये। शून्य के आविष्कार को लेकर भी हमारे ही अनेक लोग अभी सचाई से बहुत दूर हैं। ऐसे अनेक सत्यों को सामने लेकर आना होगा। परिसर की ओर से निदेशक प्रो पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने श्री मूर्ति को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में सह निदेशिका प्रो चंद्रकला आर कोंडी, डॉ शैलेन्द्र प्रसाद उनियाल, डॉ ब्रह्मानंद मिश्रा, डॉ सुरेश शर्मा, जम्मू से आए डॉ धनंजय मिश्रा, जयपुर से आए डॉ राकेश जैन, डॉ रेखा पांडेय, हिमाचल से डॉ ओमप्रकाश साहनी, रघु बी.राज, डॉ महिपाल सिंह, दिल्ली से डॉ मनोज्ञा, डॉ एम के सीबा, डॉ अंजलि गौतम, डॉ गणेश्वर नाथ झा, डॉ श्रीओम शर्मा, डॉ पवन कुमार सिंह, डॉ रेखा मिश्रा आदि उपस्थित थे।
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