बोले गढ़वाल: बड़कोट के पटेलनगर में नालियों से गुजर रही पेयजल की लाइनें
बड़कोट नगर पालिका के पटेलनगर वार्ड में संकरी नालियों और पेयजल लाइनों के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सफाई व्यवस्था की कमी, चोक नालियों से पानी का ओवरफ्लो, और दूषित पानी का खतरा...
नगर पालिका बड़कोट के पटेलनगर वार्ड में संकरी तंग नालियों के कारण पहले से ही परेशान लोगों के लिए उन्हीं नालियों से गुजर रही पेयजल लाइनों के जाल दोहरी समस्या बन गये हैं। एक तो इस कारण नालियों की सफाई नहीं हो पाने की वजह से वो चोक होने के बाद उनका पानी ओवरफ्लो होकर रास्तों में बहने लगता है तो दूसरी तरफ इस कारण फिसलकर दुर्घटनाओं की आशंकाएं भी बनी रहती हैं।
इतना ही नहीं नालियों से गुजरती पेयजल लाइनों के कारण लोगों को कई बार लीकेज वाले स्थानों के जरिये दूषित पानी पेयजल लाइनों के माध्यम से घरों तक पहुंचने का भी संदेह बना रहता है।बोले गढ़वाल अभियान के तहत परेशान क्षेत्रवासियों ने ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं को साझा किया। चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव बड़कोट में नगर निकाय इकाई की स्थापना के 4 दशकों में भी मूलभूत सुविधाओं की कमी ने जनता को परेशान किया हुआ है।
इसका उदाहरण देखने को मिलता है पालिका के वार्ड संख्या 3 और लगभग 3000 की आबादी वाले पटेलनगर वार्ड में जहां संकरी तंग नालियों और रास्तों ने लोगों को दिक्कतें झेलने पर मजबूर किया हुआ है। सबसे बुरा हाल तो नालियों का है जो पहले से ही बेहद संकरी तो हैं ही लेकिन उनपर पसरा पेयजल लाइनों के जाल की वजह से उनकी सफाई तो मुश्किल होती ही है लेकिन इस वजह से कचरा फंसने के कारण वो चोक होने लगती हैं और फिर उनसे निकलता पानी रास्तों पर बहकर आवाजाही में लोगों के लिये सरदर्द बन जाता है।
पूरे वार्ड में मात्र 1 ही सम्पर्क मोटरमार्ग है बाकि के पूरे आबादी क्षेत्र में रास्तों के भी बेहद संकरे होने की वजह से उनमें बमुश्किल ही दो दोपहिया वाहन आमने सामने पास हो पाते हैं। पूरे इलाके में पार्किंग सुविधा नहीं होने की वजह से लोगों को मजबूरी में वाहनों को सड़कों पर ही पार्क करना पड़ता है जिस कारण यातायात बाधित होने लगता है। आवासीय भवनों के आसपास और रास्तों के ऊपर से गुजरते विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होने वाले तारों के फैले और झूलते जाल भी लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
पूरे क्षेत्र में 1 भी सार्वजनिक शौचालय के नहीं होने की वजह से भी लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं जबकि सार्वजनिक पेयजल सुविधा के नाम पर भी कोई खास इंतजाम नहीं है। पूरे वार्ड में सीवरलाइन व्यवस्था नहीं होना भी लोगों की परेशानियों का सबब बना हुआ है। इलाके में सफाई व्यवस्था भी बेहतर नहीं कही जा सकती क्योंकि वार्ड के विभिन्न हिस्सों में लोगों को अक्सर ये शिकायतें रहती हैं कि सफाईकर्मी नियमित तौर पर उनके क्षेत्रों में नहीं पहुंचते जिस वजह से गदंगी बिखरी रहती है।
उसके उठान नहीं होने के कारण फिर वो रास्तों से होती हुई नालियों में जमा होकर उन्हें भी चोक करने लगती है। पूरे वार्ड क्षेत्र में न खेल का मैदान है और न ही कोई मनोरंजन पार्क ही है। इस कारण बच्चों के साथ बड़ों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इलाके में अपर्याप्त पेयजल आपूर्ति ने भी लोगों को परेशान किया हुआ है। पर्याप्त पेयजल आपूर्ति को लेकर आंदोलन तक कर चुके लोगों को इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं मिल पाया है।
गर्मियों के सीजन में तो ये दिक्कतें और बढ़ जाती हैं। -प्रस्तुति: द्वारिका सेमवाल सीवर लाइन की व्यवस्था नहीं होने से बढ़ी समस्या पटेलनगर वार्ड में सीवर के उचित निस्तारण के लिये सीवरलाइन व्यवस्था नहीं होना भी वार्डवासियों के लिये एक बड़ी समस्या है। हालांकि करीब 30 हजार की आबादी वाले पूरे नगरक्षेत्र में ही ये समस्या बनी हुई है क्योंकि आज तक भी इसे सीवरलाइन व्यवस्था से नहीं जोड़ा जा सका है।
ऐसे में जब मुख्य नगरीय क्षेत्र में ही इसकी मौजूदगी नहीं है तो फिर दूरदराज व पालिका में शामिल नये ग्रामीण क्षेत्रों में तो इसके होने की सोची भी नहीं जा सकती। सीवरलाइन नहीं होने के कारण फिलहाल लोगों ने अपने सीवर टैंक तो बना रखे हैं लेकिन सबसे बड़ी आफत लोगों के लिए तब आती है जब उन्हें सीवर टैंकों को खाली करने की नौबत आती है। दरअसल संकरी गलियों में मौजूद आवासीय भवनों व घने आबादी क्षेत्र के बीच से सीवर टैंकों की सफाई कर सीवर को मुख्य मार्ग तक ले जाना भी एक चुनौती तो होता ही लेकिन इस दौरान रास्तों में बिखरता सीवर सभी के लिये परेशानियों का कारण बन जाता है।
इतना ही नहीं ये आर्थिक तौर पर भी महंगा साबित होता है क्योंकि जितनी दूरी होगी उतना ही ज्यादा पैसा भी खर्च करना पड़ता है। पीने के पानी के संकट से लोग हो रहे हैं परेशान इलाके में अपर्याप्त पेयजल आपूर्ति भी लोगों के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। यद्यपि पेयजल संकट का सामना तो वैसे पूरा नगरक्षेत्र ही कर रहा है जिसके समाधान के लिये लोग आंदोलन भी कर चुके हैं लेकिन बावजूद इसके स्थिति में सुधार नहीं हो सका है। बीते एक दशक से बड़कोट में पेयजल की समस्या बनी हुई है।
बीते वर्ष नगरवासियों ने पेयजल के लिए 50 दिनों तक हड़ताल भी की थी और बड़कोट नगर के लिए पेयजल पम्पिंग योजना को स्वीकृति की मांग भी की थी, लेकिन पम्पिंग योजना फकत डीपीआर बनने तक ही सीमित रही। शासन को भेजे जाने के बावजूद आज तक भी इस योजना को स्वीकृति नही मिल पाने की वजह से वो कागजों पर ही इंतजार कर रही है। हालांकि तात्कालिक तौर पर पेयजल संकट की समस्या से कुछ राहत देने के उद्देश्य से लिफ्ट योजना तो शुरू की गई है लेकिन यह असल मुसीबत में कितना राहत लोगों को दे पायेगी, ये अभी देखना बाकी है।
इससे पूर्व नगर में प्राकृतिक पेयजल स्रोत से पेयजल की आपूर्ति तो की जाती थी लेकिन बढ़ती आबादी के साथ यह काफी कम है। पेयजल सुविधा नहीं होने से यात्री परेशान चारधाम यात्रा का प्रमुख पड़ाव होने के बावजूद भी पालिका के इस वार्ड क्षेत्र में 1 भी सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं सार्वजनिक पेयजल सुविधा के नाम पर भी इंतजाम देखने को नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में आम जनता के साथ तीर्थयात्रियों व पर्यटकों को भी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
इलाके का चरमराया ड्रेनेज सिस्टम भी लोगों के लिये जी का जंजाल बना हुआ है। घनी आबादी क्षेत्र में बनी तंग संकरी नालियां सामान्य दिनों में ही घरों से निकलते पानी का बोझ संभालने में हांफती नजर आती हैं तो बरसाती सीजन में तो स्थितियां तब बेहद खराब हो जाती हैं जब नालियों से निकलता पानी रास्तों पर बहते हुए तालाब जैसी स्थितियों का अहसास दिलाने लगता है। सफाई व्यवस्था भी लचर होने की वजह से बिखरी गदंगी भी सीधे नालियों में तो पहुंचती ही है लेकिन पहले से ही तंग नालियों में पेयजल लाइनों के मकड़जाल स्थितियों को और बदतर कर देता है।
लोगों का कहना है कि नियमित सफाई नहीं होने की वजह से कचरा नालियों में फंसता रहता है। बिजली समेत दूसरे झूलते तारों ने बढ़ाई दिक्कत आवासीय भवनों के आसपास या फिर रास्तों के ऊपर झूलते विभिन्न सुविधाओं से जुड़े तारों के मकड़जाल ने भी लोगों की दिक्कतें बढ़ाई हुई हैं। इनमें बिजली व टीवी केबल के साथ इंटरनैट वाली तारों के साथ अन्य तारें भी शामिल हैं। लोगों का कहना है कि कई बार रास्तों पर आवाजाही के वक्त इनसे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है इसलिये उन्हें या तो भूमिगत किया जाय या फिर व्यवस्थित किया जाना चाहिए।
क्षेत्र में संकरे तंग रास्तों पर आवाजाही के दौरान लोगों को कठिनाईयां उठानी पड़ रही हैं। हालांकि इन पैदल सम्पर्क मार्गों की स्थिति किस कदर खराब है कि उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनमें दो दोपहिया वाहनों का आमने सामने गुजरना भी आसान नहीं होता। वार्ड के बीच में एकमात्र चौपहिया हल्का वाहन मार्ग है जबकि बाकि पूरे आबादीक्षेत्र में केवल दोपहिया वाहन मार्ग ही हैं। पार्किंग सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोगों को मजबूरन वार्ड में मौजूद एकमात्र सम्पर्क मोटर मार्ग के किनारों पर ही अपने वाहनों को पार्क करना पड़ता है जिस कारण सड़क संकरी हो जाती है और इस कारण आवागमन भी प्रभावित होता है।
हमारी आवाज सुनो नगरपालिका में सीवरेज निस्तारण एक मुख्य समस्या है। यहां शौचालय के पिट को सीवर टैंक के माध्यम से खाली करने की कोई व्यवस्था वार्डो में तंग रोड के कारण नहीं है। इससे परेशानी है। -नीरज चौहान कूड़ा नालियों में पड़ा रहता है और नालियां चोक हो जाती हैं। इसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका समाधान किया जाना बेहद जरूरी है।
-संतोष चौहान पटेलनगर
वार्ड में कहीं भी वाहन पार्किंग की सुविधा नहीं होने के कारण लोग अपने वाहनों को सड़क पर ही खड़ा करते हैं, जिससे परेशानी का सामना करना पड़ता है। -अर्जुन चौहान पटेलनगर के बीच से निकलने वाली सड़क पर कहीं भी ब्रेकर नही हैं, जिससे बाईकर्स यहां तेज रफ्तार में चलते रहते हैं और इस कारण कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं।
-मीना चौहान
नगर में एकमात्र महाविद्यालय जिसमें बीए बीएससी की पढ़ाई अभी चल रही है इससे आगे पीजी के कोर्सेज यहां पर शुरू नहीं हो पाया जो के यहां के छात्रों के लिए बड़ी परेशानी है।
-सोनी तोमर
वार्ड के अंदर शिव मंदिर तक मार्ग को चौड़ा किया जाना चाहिए, जिससे मंदिर तक चार पहिया वाहन आ सकें। इससे लोगों को अपने वाहनों और सामान को अपने घरों तक पहुंचाने में सहूलियत होगी।
-आनंद बहुगुणा
लोगों ने मकान की छतों की जल निकासी सीधे सड़कों पर कर रखी है, जिस कारण लोगों का बारिश के दौरान रास्तों पर चलना दूभर हो जाता है। इसके लिए डाउन पाइप लगाए जाने चाहिए। -मदन प्रकाश डिमरी पटेलनगर के अंदर शौचालय की सुविधा नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है। वार्ड के बीच में कहीं शौचालय का निर्माण किया जाना चाहिए।
-दीपक मटुड़ा
पटेलनगर के अंतर्गत देवभूमि होटल के सामने वाली नाली चोक होने से नाली का पानी आगे नहीं जा पाता है, जिस कारण नाली का पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर बहता रहता है।
-रणवीर चौहान
क्षेत्र में बिजली, केबल व फाइबर तारों के जालों को अंडरग्राउंड होना चाहिए। यह यमुनोत्री धाम का पहला मुख्य पड़ाव भी है, ऐसे में इन तारों के जाल से शहर को मुक्त किया जाना चाहिए।
-भरत सिंह चौहान
शिवमंदिर के सामने वाली नाली में पानी के पाइप लाइनों के कारण आये दिन नाली चोक हो जाती है। नाली की नियमित सफाई भी नहीं हो पा रही हैै। -रोशन देव राणा पटेलनगर के अंदर संकरी नालियों में जल संस्थान के पाइपलाइनों के जाल तथा घरों के ऊपर और आसपास तारों के जाल बिछे हुए हैं, इन्हें ठीक कराने का प्रयास किया जाएगा।
-संजीव राणा, सभासद
1. क्षेत्र को सीवरलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाए जिससे लोगों को परेशानियां न हों।
2. सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था हो व चोक नालियों को खोलकर गंदे पानी की निकासी की जाए।
3. संकरी तंग नालियों को चौड़ा कर उनसे पेयजल पाइपलाइनों के जालों को हटाया जाए। लोगों की समस्या का समाधान किया जाए।
4. संकरे रास्तों को चौड़ा किया जाए व पर्याप्त कूड़ेदानों के साथ नियमित तौर पर सफाई की व्यवस्था हो। 5. पार्किंग सुविधा विकसित की जाए व रास्तों और भवनों के ऊपर झूलते तारों के जाल को हटाया जाए।
शिकायतें
1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से कई बार खुले में बहता है सीवर, जिस वजह से परेशानी होती है।
2. सार्वजनिक शौचालय नहीं है व चोक होती नालियों की वजह से गंदा पानी सड़कों पर बहकर उन्हें खराब कर रहा है।
3. संकरी तंग नालियों से गुजरते पेयजल पाइपलाइनों के जाल से सफाई में दिक्कतें।
4. संकरे रास्तों पर आवाजाही में व नियमित तौर पर सफाई नहीं होने से बिखरी रहती है गदंगी, जिससे लोगों को परेशानी होती है।
5. पार्किंग सुविधा नहीं होने, रास्तों व भवनों के ऊपर झूलते तारों से होती हैं परेशानियां। बोले जिम्मेदार नगर के विकास के लिए नगरवासियों के साथ बैठक कर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। पुराने बाजार के अंतर्गत वार्ड नम्बर 3 और 4 दोनों वार्डों के बीच रोड़ कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना तथा ड्रैनेज सिस्टम को सही करना प्राथमिकता में है।
नगर के अंदर रास्तों व नालियों में पाइप लाइनों के जाल तथा झूलती तारों को व्यवस्थित करने के लिए सम्बंधित विभागों को लिखा गया है।
-विनोद डोभाल, अध्यक्ष, नगरपालिका, बड़कोट।
मुख्यालय से कनेक्शन शिफ्टिंग की डीपीआर मांगी गई है। इस माह के अंत तक बड़कोट नगर के कनेक्शन शिफ्टिंग की डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए भेज दी जाएगी। स्वीकृति मिलने के तुरंत बाद कनेक्शन शिफ्टिंग का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
- देवराज तोमर, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान
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