बोले गढ़वाल: बड़कोट में सीवर लाइन और नालों के गंदे पानी से दूषित हो रही यमुना
बड़कोट नगर, जो चारधाम यात्रा का प्रमुख पड़ाव है, सीवरलाइन और बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। घनी आबादी के तंग गलियों में सफाई की समस्याएं हैं, जिससे यमुना नदी प्रदूषित हो रही है। स्थानीय लोग...

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर और धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण नगर बड़कोट वैसे तो चारधाम यात्रा का प्रमुख पड़ाव है लेकिन इसके बावजूद प्रचार प्रसार के अभाव में पर्यटन नक्शे में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज नहीं कर सका है वहीं लम्बे समय बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं होने से लोग परेशान हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है सीवरलाइन व्यवस्था से नगर का नहीं जुड़ा होना। सीवरलाइन नहीं होने की वजह से घने आबादी क्षेत्र की तंग पैदल गलियों में सीवर टैंकों की सफाई तो चुनौती रहती ही है, साथ ही इस कारण कई स्थानों पर खुले में बहते सीवर और गंदे नालों की वजह से यमुना नदी भी प्रदूषित हो रही है। बोले गढ़वाल अभियान के तहत परेशान लोगों ने हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं को साझा किया...
बड़कोट नगर वैसे तो अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक धरोहरों के साथ राजशाही के विरोध के दौरान हुए बर्बर तिलाड़ी गोलीकांड के लिये भी जाना जाता है लेकिन लगभग 30,000 की आबादी के इस नगर में सीवर निस्तारण व्यवस्था की उचित व्यवस्था का नहीं होना सबसे बड़ी समस्या है। 40 वर्ष पूर्व नगर निकाय इकाई से जुड़ने वाले बड़कोट को पहले नगर पंचायत और फिर 8 वर्ष पूर्व 7 वार्डों के साथ इसे नगरपालिका का दर्जा दिया गया था लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अभाव आज भी यहां बना हुआ है। पूरे नगर में सीवरलाइन व्यवस्था के नहीं होने की वजह से नगरवासियों को सीवर निस्तारण के दौरान सर्वाधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सभी वार्डों के आबादीक्षेत्र में चौपहिया वाहनों लायक रास्ते नहीं होने की वजह से संकरी तंग और लम्बी गलियों में मौजूद आवासीय भवनों में बने सीवर टैंकों की सफाई भी आसान नहीं होती जिस कारण कई बार नालियों और गदेरों से होते हुए सीवर यमुना नदी में मिलकर उसे प्रदूषित कर रहा है। यमुना नदी और 3 गदेरों के किनारों पर बसे अधिकांश वार्डों में पानी से हो रहे भूकटाव से भूस्खलन की समस्या भी बड़ी और गंभीर समस्याओं में से एक है जिसका समुचित समाधान नहीं होने के कारण नदियों और गदेरों के किनारों पर बसे लोगों का डर बरसात में सबसे ज्यादा बढ़ जाता है।
नगर में पार्किंग सुविधाओं का नहीं होना भी परेशानियों का कारण है। हालांकि 1 पार्किंगस्थल नगरपालिका ने बनाया तो है लेकिन वो अधूरा भी है और पूरे नगर के लिए ऊंट के मुंह में जीरे जैसे ही साबित हो रहा है, जबकि कई पार्किंगस्थलों की अब भी दरकार है। इस समस्या के कारण सड़कों के किनारों पर ही लोगों को अपने वाहन पार्क करने पड़ते हैं जिस कारण आये दिन लगता ट्रैफिक जाम लोगों के लिये सरदर्द बना रहता है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाजारक्षेत्र में 3 संकरे और 5 दशक पुराने मोटरपुलों की स्थिति ये है कि एक वक्त पर एकही तरफ से वाहन गुजर पाते हैं तो 1 लेन का हाईवे होने की वजह से भी वाहनों का लम्बा रेला जाम की शक्ल में हाईवे पर रोज ही देखने को मिलता है।
नगरक्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम भी लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। संकरी तंग नालियों और रास्तों में बरसात के वक्त तो स्थिति इस कदर खराब हो जाती है कि पानी नालियों से निकलकर रास्तों पर तालाब की स्थिति बना देता ह। कुछ स्थानों पर तो न नालियों का निर्माण हुआ है और न रास्तों का, तो कुछ स्थानों पर कच्चे रास्तों को भी पक्का नहीं किया जा सका है। पहले से ही तंग नालियों पर पेयजल लाइनों के मकड़जाल अलग आफत बने हुए हैं।
-प्रस्तुति:- द्वारिका सेमवाल
सुझाव-
1. नगरक्षेत्र को सीवरलाइन से जोड़ने के साथ ही पेयजल लाइनों केे मकड़जाल को हटाया जाय।
2. ड्रेनेज सिस्टम सुधारा जाय। संकरी तंग चोक नालियों को ठीक किया जाय।
3. संकरे तंग व क्षतिग्रस्त रास्तों को ठीक किया जाए और मनोरंजन पार्कों का निर्माण हो।
4. कूड़ेदानों की व्यवस्था संग खेल मैदान, नदी किनारे स्नानघाट, श्मशानघाट व शौचालयों का हो निर्माण। साथ ही प्रर्याप्त पेयजल आपूर्ति हो।
5. बाजारक्षेत्र में 3 संकरे मोटरपुलों की जगह नए पुल बनें व सिंगल लेन हाईवे का चौड़ीकरण हो।
शिकायतें-
1. नगरक्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से कई जगह खुले में बहते सीवर से होती है परेशानियां।
2. लचर ड्रेनेज सिस्टम और संकरी तंग चोक नालियों के कारण सड़कों पर बहता है पानी।
3. संकरे तंग व क्षतिग्रस्त रास्तों पर आवाजाही में दिक्कतें। कुछ स्थानों पर पक्के रास्ते नहीं हैं। मनोरंजन पार्क भी नहीं हैं।
4. न कूड़ेदान, न खेल मैदान, न नदी किनारे स्नानघाट व श्मशानघाट। सार्वजनिक शौचालयों की बेहद कमी।
5. बाजारक्षेत्र में 3 संकरे मोटरपुलों व सिंगल लेन हाईवे से ट्रैफिक जाम की समस्या।
सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति है खस्ताहाल
बड़कोट के पूरे नगरपालिका क्षेत्र में मात्र 3 सार्वजनिक शौचालय ही हैं जो बड़े आबादीक्षेत्र के लिहाज से ना के बराबर तो हैं ही लेकिन सफाई के अभाव में उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहने से लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। दूसरी तरफ नगरक्षेत्र में सीवरलाइन व्यवस्था का लम्बे समय बाद भी इंतजाम नहीं होने और घनी आबादी वाले इलाके की तंग गलियों में चौपहिये वाहनों लायक रास्ते नहीं होने की वजह से सीवर वाहन वहां तक पहुंच ही नहीं पाता। ऐसे में लम्बी तंग गलियों बने आवासीय भवनों के सीवर टैंकों की सफाई में लोगों को बड़ी धनराशि खर्च करनी पड़ती है तो कई बार सीवर को चुपचाप नालियों में या गदेरों में बहा देने से वो यमुना नदी में जाकर उसे भी प्रदूषित कर रहा है। गंदे नालों का पानी भी सीधे नदी में जाकर ही न केवल उसे दूषित कर रहा है बल्कि इस कारण जैव विविधता, मानव स्वास्थ्य के साथ पूरे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। इस कारण विभिन्न मौकों पर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिये नदी में पहुंचते हैं तो उन्हें आस्था और विश्वास के कारण मजबूरन दूषित पानी में ही विभिन्न प्रक्रियाओं को सम्पादित करना पड़ता है।
यमुना के तटों पर घाटों का निर्माण नहीं होने से दिक्कत
बड़कोट नगरपालिका निर्माण के 8 वर्षों बाद भी यमुना नदी के तटों पर घाटों के निर्माण नहीं होने से लोगों को तो दिक्कतें हो ही रही हैं लेकिन इस कारण तटवर्ती क्षेत्रों में गदंगी भी पसरी रहती है। यमुना नदी के किनारे नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी शवदाह के लिये आते हैं लेकिन शवदाह के लिये श्मशान घाट का निर्माण नहीं होने के कारण अलग-अलग जगहों पर उन्हें शवदाह करना पड़ता है। इसके अलावा स्नानघाट नहीं होने व नदी किनारे होने वाली विभिन्न पूजाओं के लिये भी स्थान निर्धारित नहीं होने की वजह से लोग अलग-अलग स्थानों पर पूजा आदि कार्य करते हैं जिस कारण नदी किनारों पर बड़ी मात्रा में गंदगी बिखरी रहती है। घाटों के निर्माण नहीं होने से गंगा आरती जैसे आयोजन भी इस कारण नहीं हो पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस मामले में जनता ने मांग न की हो बल्कि कई बार करने के बावजूद भी स्थिति जस की तस ही है। स्नानघाट और श्मशान घाट नहीं होने की वजह से भी हमेशा दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
प्रचार-प्रसार नहीं होने से उपेक्षित पड़ा है बड़कोट
यमुना नदी के किनारे अवस्थित बड़कोट धार्मिक, सांस्कृतिक, पर्यटन व ऐतिहासिक प्रतीकों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण नगर है लेकिन जिस तरह से उनका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए था वो आज तक नहीं हो सका। मान्यतानुसार नगर क्षेत्र में 360 पौराणिक कुंड मौजूद हैं, जोकि ऋषि परशुराम के प्रकोप के बाद बने थे और भवन निर्माण के दौरान अब तक 12 से अधिक कुंडों के साक्ष्य मिले भी हैं, जबकि दर्जनों भवनस्वामियों ने कुंड निकलने पर निर्माणकार्य बंद करवाकर उस स्थान को पूजास्थल के रूप में बना दिया लेकिन उनके संरक्षण को लेकर आज तक भी कोई पहल नहीं की गई है। गोविंदनगर में ऐतिहासिक सहस्त्रबाहु कुंड के नाम से आज भी बड़ा कुंड स्थित है। माना जाता है कि जब क्षेत्र में सूखा पड़ जाता है तो स्थानीय निवासी इस पौराणिक कुंड की सफाई कर पूजा अर्चना करते हैं और उसके बाद क्षेत्र में बारिश शुरू हो जाती है। वहीं, बरसात के मौसम में गंगा का पानी मटमैला होने पर इस कुंड से भी मटमैला पानी निकलता है।
बोले जिम्मेदार
नगर में बेहतर कनेक्टिविटी और ड्रेनेज सिस्टम को सुदृढ़ किया जा रहा है। तिलाड़ी रोड़ से जहां वार्ड 1 के बैरोला तथा वार्ड 6 के पिक्चर हॉल गली तक रोड का निर्माण किया जा रहा है, तो वहीं वार्ड 7 के भद्री मोहल्ले से जीजीआईसी तथा लोनिवि तक एनएच से जोड़ने के लिए सड़क का सर्वे किया जा चुका है। मूलभूत सुविधाएं देने के हम कृतसंकल्पित हैं।
विनोद डोभाल अध्यक्ष, नगरपालिका, बड़कोट
यमुना नदी का तटवर्ती क्षेत्र होने के बावजूद कहीं भी स्नानघाट नहीं हैं और ना ही यमुना आरती करने के लिए घाट की व्यवस्था। इनकी बेहद जरूरत है। घाट का निर्माण होना चाहिए।
-आचार्य मनोज सेमवाल
नगर क्षेत्र में आज भी सीवरेज की व्यवस्था नहीं है। सीवरेज की व्यवस्था नहीं होने से नगरवासियों को पिट खाली कराने के लिए बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सीवर लाइन होनी जरूरी है।
-हरदेव सिंह
नगर में खेल प्रेमियों और युवाओं के लिए खेल मैदान की सुविधा नहीं है। खेल मैदान के अभाव में नगर एवं क्षेत्र की युवा प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा को निखारने के अवसर नही मिल पाते हैं। -धनीराम जगूड़ी
नगर क्षेत्र में खराब पड़े सीसीटीवी कैमरे ठीक किये जाने चाहिए। बंद पड़े सीसीटीवी कैमरों के कारण नगर क्षेत्र की निगरानी रखने में दिक्कतें हो रही हैं। नई जगह भी कैमरे लगाए जाने चाहिए। -सुभाष रावत
बाजार में एनएच पर बने 40 साल वर्ष पुराने पुल जाम लगने के मुख्य कारक हैं। ये तीनों पुल काफी संकरे हैं और इन पुलों से एकसाथ दो वाहन पास नहीं हो पाते हैं। पुलों को शीघ्र चौड़ा किया जाए। -राजीव जयाड़ा
सभी वार्डों में बनी नालियों में जलसंस्थान के पाइपलाइनों के जाल बिछे होने के कारण आये दिन नालियां चोक होती रहती हैं। इन जालों के कारण नालियों की ठीक से सफाई भी नही हो पाती है। -अजय रावत
बड़कोट बाजार के बीच से निकलने वाले उपराड़ी गदेरा, साड़ा गदेरा और सकरोला गदेरे से दोनों तरफ भूकटाव हो रहा है। भूकटाव की समस्या का जल्द निस्तारण होना चाहिए।
-वीरेंद्र सिंह रावत
तारों के जाल नगर की सुंदरता पर दाग लगा रहे हैं। बिजली, केबल और फाइबर की तारों के जालों को अन्य शहरों की भांति अंडरग्राउंड किया जाना चाहिए। जिससे लोगों को राहत मिल सके। -अनुज डोभाल
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