पौड़ी का ग्वाड़ीगाड़ गांव बन रहा मत्स्य ग्राम
पाबौ ब्लाक के ग्वाड़ीगाड़ गांव में छह किसानों ने मिलकर मछली पालन की नई पहल शुरू की है। उन्होंने 36 मछली तालाब तैयार किए हैं और वैज्ञानिक तरीके से तिलापिया और पंगास मछलियों का पालन कर रहे हैं। इस...

जिले के पाबौ ब्लाक का एक छोटा-सा गांव ग्वाड़ीगाड़ पूरे क्षेत्र में मत्स्य ग्राम के नाम से पहचाना जाने लगा है। यहां के छह किसानों ने मिलकर जो काम किया है, वह न केवल स्वरोजगार का नया रास्ता खोलता है, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बन गया है। गांव के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन कर रहे हैं। गांव में कुल 36 मछली तालाब तैयार किए गए गये हैं, जिनमें तिलापिया और पंगास जैसी अधिक उत्पादन देने वाली मछलियों का पालन किया जा रहा है। इस कार्य को गांव में छह सदस्यों द्वारा क्लस्टर आधारित पर किया जा रहा है, जिन्होंने नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से ऋण प्राप्त कर अपने सपनों को आकार दिया।
इस पूरी पहल की शुरुआत गांव के युवा किसान विपिन पंत ने वर्ष 2022 में एक छोटे से तालाब से की थी। शुरुआती सफलता के बाद उन्होंने मत्स्य विभाग के सहयोग से अपने कार्य को विस्तार दिया और 20 तालाब बनाए। उन्होंने गांव के अन्य युवाओं को भी प्रेरित किया और उन युवाओं द्वारा गांव में 16 तालाब तैयार किए और सभी मिलकर अब व्यवस्थित मत्स्य पालन कर रहे हैं। विपिन पंत बताते हैं कि पिछले वर्ष 8 कुंतल मछली का उत्पादन किया गया था, जिससे अच्छी आय हुयी। इस वर्ष 22 हजार मछली बीज तालाबों में डाले गए हैं और 15 से 20 कुंतल मछली उत्पादन की संभावना है। अक्टूबर माह में मछलियों को विक्रय हेतु निकाला जायेगा। इसके साथ-साथ विपिन मुर्गी पालन से भी अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं और हाल ही में पांच महीनों में लगभग 85 हजार रुपये के अंडों की बिक्री कर चुके हैं। मत्स्य अधिकारी अभिषेक मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत विपिन पंत व अन्य पांच सदस्यों को क्लस्टर आधारित मत्स्य तालाब निर्माण के लिए व क्लस्टर तालाब निर्माण के लिए सहायता बायोफ्लॉक तालाब के लिए दी गई है। साथ ही मत्स्य व्यापार को सुगम बनाने के लिये उन्हें विभाग की ओर से एक मोटरसाइकिल भी प्रदान की गई है। कहा कि ग्वाड़ीगाड़ गांव आज मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक उदाहरण बन गया है। यहां के किसानों ने यह दिखाया है कि ग्रामीण क्षेत्र में भी यदि योजना, तकनीक और मेहनत को साथ लाया जाए, तो सफलता सुनिश्चित है।
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