उत्तराखंड पूर्व सीएम हरीश रावत, मंत्री सुबोध उनियाल समेत नेताओं को CBI का नोटिस, दिल्ली किया गया तलब
उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नाम से चल रहे इस केस में अब सीबीआई ने कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में गए नेताओं से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को मंगलवार शाम को नोटिस मिला और 29 मई को उन्हें दिल्ली बुलाया गया है।

उत्तराखंड में वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले नेताओं के आरोपों की जांच सीबीआई ने तेज कर दी है। इन नेताओं को बयान के लिए नोटिस भेजकर दिल्ली तलब किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग से जुड़े इस प्रकरण में अब तक कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के साथ डॉ. हरक सिंह रावत व डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल को नोटिस मिल चुके हैं। इस मामले में हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
उत्तराखंड में वर्ष 2016 में बदले सियासी घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस के नौ नेता एक साथ पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इन्होंने रावत पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था। हरीश रावत का एक स्टिंग भी तब सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहा। इसी स्टिंग मामले की सीबीआई जांच कर रही है।
यूनियन गर्वमेंट बनाम हरीश रावत नाम से चल रहे इस केस में अब सीबीआई ने कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में गए नेताओं से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को मंगलवार शाम को नोटिस मिला और 29 मई को उन्हें दिल्ली बुलाया गया है। उनियाल ने स्वयं इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि 29 मई को व्यस्तता के चलते वे दिल्ली नहीं जा पाएंगे, सीबीआई को इसकी सूचना दे दी गई है।
उधर,तब भाजपा में गए और बाद में फिर कांग्रेस में लौट आए हरक सिंह का कहना है कि उन्हें भी सीबीआई ने बुलाया, लेकिन वे व्यस्तता के कारण अभी नहीं जा पाए। सीबीआई को इसकी जानकारी दे दी गई है। हरक का कहना है कि उन्होंने इस केस को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जो अभी लंबित है।
पूर्व विधायक डाॅ. शैलेंद्र मोहन सिंघल ने भी नोटिस मिलने की पुष्टि की। रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा का कहना है कि उन्हें इस तरह का नोटिस नहीं मिला है। सीबीआई मामले में कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार,स्टिंग के दोनों ऑडियो की फॉरेंसिक जांच कराई जा चुकी है, जिनमें कोई छेड़छाड़ नहीं पाई गई।
उत्तराखंड में 2016 में सियासी उठापटक से उपजा था मामला
उत्तराखंड में 18 मार्च, 2016 को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्षी दल भाजपा की तरफ से विनियोग विधेयक पर वोटिंग कराने की मांग के समर्थन में कांग्रेस के नौ विधायक भी खुलकर सामने आ गए थे। शोर-शराबा बढ़ने पर स्पीकर ने सदन स्थगित कर कांग्रेस के नौ विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी।
इसके बाद प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के नौ विधायकों ने तत्कालीन हरीश रावत सरकार से बगावत कर दी थी। इनमें पूर्व सीएम बहुगुणा के साथ डाॅ.हरक सिंह, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, डाॅ.शैलेंद्र मोहन सिंघल, कुंवर प्रणव चैंपियन, शैला रानी, उमेश शर्मा काऊ और प्रदीप बत्रा शामिल थे। बाद में ये सभी भाजपा में शामिल हो गए थे।
बागी नेताओं का आरोप था कि तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का प्रयास किया था। हरीश रावत का एक स्टिंग तब सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहा। इस स्टिंग के जारी होते ही 27 मार्च को केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 मई को फ्लोर टेस्ट हुआ था, जिसमें हरीश रावत सरकार ने विश्वास मत जीत लिया था।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।