आयुर्वेद को पहचान देना हमारी सांस्कृतिक परंपरा का सम्मान : शैलेंद्र
यूनिवर्सिटीज जर्नल ऑफ फाइटोकैमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स का विमोचन उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से हुआ। कार्यक्रम में आयुर्वेद के विकास, पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा और...

यूनिवर्सिटीज जर्नल ऑफ फाइटोकैमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स (यूजेपीएएच) ने उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में ‘यूनिवर्सिटीज जर्नल ऑफ फाइटोकैमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ हिमालयन ड्रग कंपनी के अध्यक्ष एवं यूजेपीएएच के मुख्य संपादाक डॉ. एस फारूक ने किया। सह-संपादक डॉ. हिम्मत सिंह ने जर्नल का उद्देश्य, उसकी संरचना और इसके गुणवत्ता सुधार के प्रयासों पर विस्तृत जानकारी दी। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. शैलेन्द्र सर्राफ ने कहा कि आयुर्वेद को पहचान देना हमारी सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक परंपरा के प्रति सम्मान व्यक्त करने जैसा है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने विश्व स्तर पर आयुर्वेदिक उपचारों और प्रभावी हर्बल दवाओं के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि पंडित रविशंकर शुक्ल विवि छत्तीसगढ़ के निदेशक प्रो. स्वर्णलता सर्राफ ने पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण, पेटेंट अधिकारों की सुरक्षा और आयुर्वेदिक अनुसंधान में सतत् प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने साक्ष्य-आधारित आयुर्वेदिक प्रथाओं के महत्व पर बल देते हुए शोध नेटवर्क और संस्थागत सहयोग विकसित करने के लिए सभी छात्रों और शोधकर्ताओं का आह्वान किया। उन्होंने इस उभरते क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता बताई। इस मौके पर संपादक डॉ. आईपी सक्सेना आदि मौजूद रहे।
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