खाराखेत को धरोहर रुप में विकसित करे सरकार
दून पुस्तकालय में डॉ. लालता प्रसाद की पुस्तक 'खाराखेत का नमक सत्याग्रह' का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने खाराखेत को धरोहर के रूप में...

दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में शुक्रवार को डॉ. लालता प्रसाद की खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका का लोकार्पण किया गया। पुस्तक पर समूह चर्चा भी हुई। जिसमें वक्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका पर चर्चा करते हुए खाराखेत को एक धरोहर के रुप में विकसित करने का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. बीके जोशी ने की। चर्चा में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता और लेखक अनिल नौरिया, वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. सुनील कुमार सक्सेना, सामाजिक इतिहासकार डॉ. योगेश धस्माना और डॉ. लालता प्रसाद ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सामाजिक विचारक बिजू नेगी ने किया।
प्रो. बीके जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आंदोलन में उत्तराखंड का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 20 अप्रैल 1930 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देहरादून के बिधौली गांव से आगे खाराखेत में नून नदी में नमक बनाया था। डॉ. लालता प्रसाद की यह पुस्तक खाराखेत के नमक सत्याग्रह एक प्रमाणिक पुस्तक के रूप में आयी है। दून के पंडित नरदेव शास्त्री, महावीर त्यागी, पंडित नारायण दत्त डंगवाल की अगुवाई में बड़ी तादाद में सत्याग्रहियों ने खाराखेत पहुंचकर भागीदारी की थी। डॉ. लालता प्रसाद ने बताया कि पुस्तिका में उन्होंने जिला देहरादून के 140 से अधिक सत्याग्रहियों का नाम दिया है जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। कई दुर्लभ छाया चित्र, न्यायालय के फैसलों की छाया प्रति भी शामिल है। मौके पर केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, डॉ. सुभाष थलेड़ी, अनूप कुमार, देवेन्द्र कांडपाल, राजू गुसाईं, डॉ. अतुल शर्मा, रविन्द्र जुगराण, जगदीश बाबला, शैलेन्द्र नौटियाल, जगदीश सिंह महर, कुसुम नौटियाल, प्रवीन भट्ट, कुसुम रावत, त्रिलोचन भट्ट, दिनेश जोशी, कमला पंत उपस्थित रहे।
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