डुप्लीकेट चांदी का धंधा मंदा पड़ा तो पैथोलॉजिस्ट बना, फिर शुरू कर दिया नकली नोट बनाना और खपाना
गिरोह का सरगना मुरादाबाद का डॉ. नफीस है। वह पहले नकली चांदी के आभूषणों का काम करता था। जब यह धंधा ठप हुआ तो उसने अपनी राह बदलते हुए पैथोलॉजिस्ट बनना चुना। कोरोना महामारी के दौरान जब पैथोलॉजी का काम ठप हुआ, तो वह पूरी तरह से अपराध की दुनिया में उतर गया।

यूपी के शाहजहांपुर में कोतवाली पुलिस ने नकली नोट बनाने और उसे चलन में लाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह का सरगना डॉ.नफीस पहले नकली चांदी की ज्वेलरी का काम करता था। वह धंधा मंदा पड़ा तो वह पैथोलॉजिस्ट बन गया। कोरोना काल के बाद उसने एक बार फिर अपना ट्रैक बदला और नकली नोट बनाना और खपाना शुरू कर दिया। पुलिस ने तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उनके पास से 4.61 लाख के नकली नोट, कार, बाइक, दो प्रिंटर, लैपटॉप, लेमिनेशन मशीन और अन्य सामग्री बरामद की है।
गिरफ्तार आरोपी की पहचान डॉ. नफीस अहमद, पंकज गंगवार और निखिल मिश्रा के रूप में हुई है। डॉ. नफीस मुरादाबाद, पंकज उत्तराखंड के उधमसिंह नगर व निखिल शाहजहांपुर का रहने वाला है। पुलिस ने इन तीनों को बरेली हाईवे से उमरगंज जाने वाले कच्चे रास्ते से सोमवार सुबह पौने आठ बजे उस समय गिरफ्तार किया, जब वे नकली नोट की सप्लाई करने के लिए पहुंचे थे। नफीस के खिलाफ गौतमबुद्धनगर, अमरोहा व मुरादाबाद के थानों में पहले से कई मुकदमे दर्ज हैं। एसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। पता लगाया जा रहा है कि नकली नोटों को कहां-कहां खपाया गया है।
नोएडा, अमरोहा समेत छह जिलों में खपा दिए 15 लाख के नकली नोट
नकली नोटों की बड़ी खेप (चार लाख 61 हजार) के साथ शाहजहांपुर में पकड़े गए तीनों आरोपी अब तक 15 लाख से अधिक नोएडा, अमरोहा समेत छह जिलों में खपा चुके हैं। गिरोह का सरगना मुरादाबाद निवासी डॉ. नफीस है, जो पहले नकली चांदी के आभूषणों का काम करता था। जब यह धंधा ठप हुआ तो उसने अपनी राह बदलते हुए पैथोलॉजिस्ट बनना चुना। कोरोना महामारी के दौरान जब पैथोलॉजी का काम ठप हुआ, तो वह पूरी तरह से अपराध की दुनिया में उतर गया।
नफीस को नकली नोट छापने की प्रेरणा और प्रशिक्षण मुरादाबाद निवासी एक पुराने जानकार जाकिर से मिला, जिसे वह अपना गुरु मानता है। कोरोना काल में ही जाकिर की मौत हो गई, लेकिन उससे पहले नफीस को उसने इतनी ट्रेनिंग दे दी थी कि वह खुद नकली नोट छापने का मास्टर बन गया। दिलचस्प बात यह है कि नफीस को चलती कार में ही नोट छापने का हुनर आता है। उसकी ब्रेजा कार से प्रिंटर, कटर, इंक और स्पेशल पेपर समेत तमाम उपकरण बरामद हुए हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसने इस अपराध को कितनी तकनीकी दक्षता से अंजाम दिया। इस कार्यवाही में थाना कोतवाली पुलिस टीम की अहम भूमिका रही। जिसमें प्रभारी निरीक्षक अश्वनी कुमार सिंह, उप निरीक्षक सुशांत रावत, नितिन कुमार, हेड कांस्टेबल संजीव कुमार, कांस्टेबल सुमित, कांस्टेबल अर्जुन सिंह और कांस्टेबल गौरव कुमार शामिल रहे।
पैसों की सप्लाई के लिए पंकज ने कार लोन पर ली
उधमसिंह नगर निवासी पंकज गंगवार ने नकली नोट चलाने के लिए एक ब्रेजा कार तीन महीने पहले लोन पर खरीदी थी। उसका मकसद यही था कि किराये पर गाड़ी लेकर चलने की बजाय खुद की गाड़ी हो ताकि किसी को शक न हो।
30 प्रतिशत कमीशन पर बंटते थे नकली नोट
नफीस अपने सहयोगी पंकज गंगवार और शाहजहांपुर निवासी निखिल मिश्रा को तीस प्रतिशत कमीशन पर नकली नोट देता था। ये लोग जिले-जिले जाकर इन नोटों को मार्केट में खपाते थे।
चलती कार में नकली नोट छापने का है हुनर
डॉ.नफीस की सबसे खतरनाक तकनीक यह थी कि वह चलती गाड़ी में ही नोट छापने का हुनर रखता था। पुलिस को उसकी कार से प्रिंटर, पेपर,कटिंग मशीन समेत तमाम उपकरण मिले हैं, जिससे वह कहीं भी रुककर नोट तैयार कर सकता था।
हम-आप कैसे पहचान सकते हैं नकली नोट?
नकली नोटों की बड़ी खेप बरामद होने के बाद एसपी राजेश द्विवेदी ने आमजन से सतर्कता और जागरुकता बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि नकली नोटों की पहचान कठिन जरूर है, लेकिन कुछ विशेष संकेतों पर ध्यान देकर इन्हें पहचाना जा सकता है। एसपी ने कहा कि नकली नोट चलाने वाला यह गिरोह बेहद शातिर है, लेकिन पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है। आम नागरिक की सतर्कता और सहयोग से ही इस तरह के गोरखधंधे पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।