Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Weapons were played under guise of shooting many influential people got trapped in Arms Act case filed on DGP order

शूटिंग की आड़ में हथियारों का खेला, आर्म्स एक्ट में फंसे कई रसूखदार, DGP के आदेश पर केस

आगरा में शूटिंग की आड़ में हथियारों के खेला का मामला सामने आया है। एसटीएफ ने पूरे मामले को पकड़ा है। डीजीपी के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर मुख्यालय को जांच रिपोर्ट भेजी गई है।

Yogesh Yadav आगरा, प्रमुख संवाददाताTue, 27 May 2025 02:40 PM
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शूटिंग की आड़ में हथियारों का खेला, आर्म्स एक्ट में फंसे कई रसूखदार, DGP के आदेश पर केस

फर्जी जानकारियां देकर हथियार लाइसेंस बनवाने और कहीं से भी शस्त्र लेकर लाइसेंस पर चढ़वाने के सनसनीखेज मामले का खुलासा एसटीएफ की जांच में हुआ है। खिलाड़ी बनाकर शूटिंग की आड़ में यह लाइसेंस बनवाए गए थे। इस जांच रिपोर्ट पर डीजीपी के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। इस पूरे खेल में रसूखदार लोग और सेवानिवृत्त असलहा बाबू संजय कपूर को भी नामजद किया गया है।

एसटीएफ इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा ने नाई की मंडी थाने में धोखाधड़ी और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमे में चर्चित शख्स मोहम्मद जैद, नेशनल शूटर मोहम्मद अरशद, राजेश कुमार बघेल, भूपेंद्र, शोभित चतुर्वेदी और सेवानिवृत्त असलहा बाबू संजय कपूर नामजद किए गए हैं। सभी पर अलग-अलग आरोप लगाए गए हैं। एसटीएफ को मामले की जांच का आदेश मुख्यालय से मिला था। कई महीने जांच चली। आरोप है कि आरोपियों ने जांच के दौरान न तो सहयोग किया और न ही कागजात मुहैया कराए। एसटीएफ इंस्पेक्टर ने जांच रिपोर्ट में यह आशंका जाहिर की कि यह मामला अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त का है। हथियारों की तस्करी और कारतूस घोटाले के लिए शूटिंग खिलाड़ी बनाए जाते हैं।

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सीएम के जनता दरबार में पहुंची थी शिकायत

यह मामला एक शिकायत के आधार पर खुला। शिकायतकर्ता विशाल भारद्वाज और भूपेंद्र सारस्वत के बीच विवाद हुआ था। विशाल पहले भूपेंद्र के यहां काम करता था। पांच लाख का लेन-देन था। आरोप है कि उसके खिलाफ मुकदमे लिखाए गए। उसे पुलिस से धमकी दिलवाई गई। विशाल भारद्वाज इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में पहुंचा। उनसे शिकायत की। फिर मामला एसटीएफ को दिया गया। एसटीएफ आगरा यूनिट के इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा से जांच कराई गई।

सबके खो चुके हैं लाइसेंस

इंस्पेक्टर ने अपनी जांच में पाया कि मुकदमे में नामजद आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस एक-एक बार जरूर खोए हैं। पुराना लाइसेंस खो जाने के बाद नया बनता है। नए लाइसेंस में इस बात का उल्लेख नहीं किया जाता कि कितने कारतूस इश्यू कराए गए थे। पुराने लाइसेंस पर कौन सा हथियार चढ़ा था। जांच में उन्होंने पाया कि प्रत्येक आरोपित का एक बार लाइसेंस जरूर खोया है। किसी के पास उसके खोने का प्रमाण नहीं था। इतना ही नहीं हथियार किस दुकान से खरीदा, कब खरीदा और कितने का खरीदा इसके प्रमाण नहीं हैं।

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बदमाश की धमकी को दबा गई पुलिस

एक और मामले में मुकदमे के आदेश हुए हैं। फिलहाल उस पर मुकदमा कायम नहीं किया गया है। उस मुकदमे में तीन लोगों को आरोपित बनाया गया। शिकायत करने वाले विशाल भारद्वाज का आरोप है कि उन्हें बदमाश सोनू गौतम से धमकी दिलवाई गई थी। पीड़ित ने धमकी की रिकार्डिंग जांच के दौरान मुहैया कराई थी।

पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के अनुसार मुख्यालय से एसटीएफ इंस्पेक्टर की तहरीर प्राप्त हुई थी। इसके आधार नाई की मंडी थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। विवेचना में पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

किस पर क्या आरोप लगे

-मोहम्मद जैद पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2003 में शस्त्र लाइसेंस बनवाया। शपथ पत्र में अपनी जन्मतिथि 1975 दर्शाई, जबकि अन्य प्रमाणपत्रों में 1972 है।

-नेशनल शूटर अरशद खान के पास पांच लाइसेंस हैं। उन पर आरोप है कि प्रपत्रों में कम उम्र दर्शाकर खुद को कुशल निशानेबाज दर्शाया था, ताकि आराम से शस्त्र लाइसेंस बन सके। उन्होंने सभी शस्त्रों की खरीद से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए।

-राजेश कुमार बघेल पर आरोप है कि उनके लाइसेंस से संबंधित वह पत्रावली ही नहीं मिली, जिस पर शस्त्र क्रय करके चढ़वाया गया। जो शस्त्र लाइसेंस पर चढ़ा है, उसकी खरीद से संबंधित कोई कागजात मुहैया नहीं कराया गया। शस्त्र लाइसेंस बनवाने और गुम होने की जांच के दौरान शस्त्र क्रेता शोभित चतुर्वेदी का नाम प्रकाश में आया।

-शोभित चतुर्वेदी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी शपथपत्र दिया। उनके पास टिहरी उत्तराखंड के जारी एक लाइसेंस था। यह बात उन्होंने दूसरा लाइसेंस बनवाने के दौरान छिपाई। जन्म का मूल स्थान लखनऊ के बजाय आगरा दर्शाया। शोभित चतुर्वेदी ने बरैठा की पिस्टल शिव कुमार सारस्वत से बिना किसी प्रपत्र के क्रय की। जांच के दौरान दस्तावेज नहीं दिखाए।

-भूपेंद्र सारस्वत पर आरोप है कि वह 21 साल के नहीं थे, इसके बावजूद शस्त्र लाइसेंस था। उक्त लाइसेंस वर्ष 2016-2017 में गुम होना बताया। आरोपित ने थाने में दर्ज गुमशुदगी के कागज नहीं दिए। पहले लाइसेंस की छायाप्रति तक उपलब्ध नहीं कराई।

-असलहा बाबू संजय कपूर को भी जांच में आरोपित किया गया है। वह स्वैच्छित सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। उन पर कूट रचना, तथ्यों को छिपाना, असत्य शपथ पत्र प्रेषित करने का आरोप है।

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