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बोले काशी - समस्याएं करा रहीं ‘इनसे शीर्षासन

Varanasi News - वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा, लेकिन योग प्रशिक्षकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें सम्मानजनक मानदेय नहीं मिलता, और 11 महीने की संविदा पर काम करना पड़ता है। सरकारी...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 22 June 2025 02:50 AM
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बोले काशी - समस्याएं करा रहीं ‘इनसे शीर्षासन

वाराणसी। भारत समेत दुनिया के कई देशों में शनिवार को योग दिवस मनाया जाएगा। संयमित दिनचर्या से स्वस्थ जीवन का संकल्प मजबूत होगा। यह योग की वैश्विक पहचान का भी प्रतीक है। इस संकल्पपूर्ति की अहम कड़ी होते हैं योग शिक्षक और प्रशिक्षक। वे विभिन्न प्रकार के आसन-प्राणायाम के अभ्यास से शरीर को फिट रखने के टिप्स देते हैं। मगर उन शिक्षकों को समस्याएं ‘शीर्षासन करा रही हैं। सम्मानजनक मानदेय नहीं, वह भी समय से नहीं मिलता। 11 महीने की संविदा पर नौकरी उनके कभी भविष्य को चिंतामुक्त नहीं रहने देती। काशी भी शनिवार को 11वां अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएगी। काशी विश्वनाथ धाम में मुख्य आयोजन होना है।

बीएचयू समेत सभी शिक्षण संस्थानों, पार्कों-मैदानों और गंगा के प्रमुख घाटों पर योगासनों का भव्य प्रदर्शन दिखेगा। इस आयोजन को भव्य बनाने वाले योग प्रशिक्षक एवं शिक्षक (पुरुषों के साथ महिलाएं भी) लंबे समय से सक्रिय रहते हैं। हाल के वर्षों में कई केन्द्र खुले हैं जहां लोगबाग आसन-प्राणायाम के जरिए सेहत सुधारते हैं। राजकीय अस्पतालों में भी योग प्रशिक्षकों की तैनाती हुई है। निजी एवं सरकारी योग प्रशिक्षकों की समस्याएं कमोबेश एक सी हैं। सोनिया पानी टंकी स्थित एक केन्द्र में योग प्रशिक्षकों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि निजी प्रशिक्षकों के सामने सबसे बड़ा संकट स्थायी नौकरी का है। मौजूदा महंगाई एवं जरूरतों को देखते हुए योग प्रशिक्षण केन्द्रों से मिलने वाला मानदेय पर्याप्त नहीं होता। दर्द उभरा कि उनकी पूछ विश्व योग दिवस के आसपास ही होती है। बाद में जिम्मेदार नजरंदाज करते हैं। श्वेता दुबे, नेहा प्रजापति और सुबोध यादव ने कहा, हमें समाज से पर्याप्त सम्मान भी नहीं मिलता। कई जगह महिला एवं पुरुष प्रशिक्षकों में भेद होता है। सुबोध ने बताया कि शासकीय विभाग में नियुक्ति 11 महीने के कंट्रेक्ट पर होती है। जिनकी नियुक्तियां हुई हैं, उन्हें समय से मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है। इससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। कई जगह महिला और पुरुषों में भेज किया जाता है। योग प्रशिक्षकों का कहना है कि सरकार को हमारी आर्थिक सुरक्षा की गारंटी लेनी चाहिए ताकि हम भी सम्मानजनक जीवन जी सकें। डिग्री समान, वेतन असमान योग प्रशिक्षकों ने कहा कि हम सभी की डिग्री समान होती है। प्रशिक्षक के रूप में जिम्मेदारी भी समान है लेकिन योग वेलनेस सेंटर और आयुष्मान आरोग्य मंदिर में वेतन में भेदभाव होता है। योग में एक साल के डिप्लोमा सर्टिफिकेट वाले वेलनेस सेंटर के पूर्णकालिक प्रशिक्षक को 27 हजार वेतन मिलता है। जबकि आयुष्मान आरोग्य मंदिर में महिला प्रशिक्षक को पांच और पुरुषों को आठ हजार रुपये मिलते हैं। रत्नेश, पूजा ने कहा कि यह भेदभाव खत्म होना चाहिए। बताया कि अंशकालिक योग प्रशिक्षकों ने कई बार समान कार्य-समान वेतन के तहत मानदेय बढ़ाने की मांग की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सीएल न मेडिकल लीव योग प्रशिक्षक आशीष टंडन ने कहा कि हम प्रशिक्षकों को सरकारी कर्मचारियों की तरह सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। बताया कि संविदा पर तैनात प्रशिक्षक-शिक्षक को अवकाश नहीं मिलता। उनको न तो सीएल मिलती है और न ही मेडिकल लीव। बीमार पड़ जाएं, कोई इमरजेंसी आ जाए या घर-परिवार में शादी-समारोह के लिए छुट्टी लेने पर मानदेय से कटौती कर दी जाती है। यह बड़ा संकट है। छुट्टी लेने पर योग प्रशिक्षकों को मानदेय कटने का डर रहता है। पेट्रोल खर्च ही मिले योग प्रशिक्षकों ने कहा कि हमें वेतन कम मिलता है। पेट्रोल का खर्च खुद ही उठाना पड़ता है। कई केंद्र 50 किमी दूरी पर होते हैं। रोज वहां आने-जाने में माह में तीन हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं। फिर मानदेय में इतना नहीं बचता कि उससे घर चलाया जा सके। योग दिवस की ड्यूटी आयुष्मान आरोग्य मंदिर में तैनात प्रशिक्षकों ने बताया कि योग दिवस पर सुबह ही ड्यूटी लग जाती है। हम अपना पैसा खर्च करके ड्यूटी स्थल पर जाते हैं। वहीं, योग दिवस के एक सप्ताह पहले से ही जगह-जगह ड्यूटी लगती है लेकिन इसका अतिरिक्त भुगतान नहीं मिलता है। सरकारी नौकरी में हो कोटा सुबोध यादव का दर्द उभरा कि राष्ट्रीय स्तर के योग प्रशिक्षकों को सम्मान नहीं मिलता है। उन्हें नौकरी नहीं मिलती जबकि कई खेलों में कोटा तय है। कहा, राष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाने वाले योग प्रशिक्षकों को भी सरकारी नौकरियों में कोटा देना चाहिए। इससे उनका सम्मान बढ़ेगा, जीवन से अनिश्चितता दूर होगी। इससे दूसरे लोग भी योग के प्रति होंगे। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। संविदा नहीं, स्थायी नौकरी मिले योग प्रशिक्षकों के मुताबिक उन्हें 11 महीने के कंट्रेक्ट पर नौकरी मिलती है। बोले, संविदा की जगह योग प्रशिक्षकों को स्थायी नौकरी मिलनी चाहिए। योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रशिक्षकों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। यह तभी संभव है, जब उन्हें स्थायी नौकरी मिलेगी। महिला-पुरुष में भेदभाव बातचीत के दौरान वेलनेस सेंटर और आयुष्मान आरोग्य मंदिर में महिला-पुरुष के नाम पर भेदभाव की भी शिकायत सामने आई। प्रशिक्षकों ने कहा कि समाज में महिलाओं को समान दर्जा देने की बात होती है लेकिन वेलनेस सेंटर और आरोग्य मंदिरों में यह लागू नहीं होता है। पुरुष योग प्रशिक्षक को 32 सत्र और महिला योग प्रशिक्षक को 20 सत्र मिलता है। इस हिसाब से महिलाओं को पांच और पुरुषों को आठ हजार रुपये बतौर मानदेय दिए जाते हैं। श्वेता दुबे ने कहा कि यह भेदभाव खत्म होना चाहिए। कोई भत्ता भी नहीं सीएचसी या आरोग्य मंदिर में अंशकालीन प्रशिक्षकों की योग क्लास एक घंटे की होती है। एक घंटे की क्लास के लिए उनका आने-जाने में ही तीन से चार घंटे समय लग जाता है। किराये में अधिक रुपये खर्च होते हैं। उनको यात्रा भत्ता भी नहीं मिलता है। नेहा प्रजापति ने कहा कि कई प्रशिक्षकों का एक चौथाई मानदेय तो केंद्र पर आने-जाने में ही खर्च हो रहा है। कई केंद्र ऐसी जगह हैं जहां अपने वाहन से ही पहुंचा जा सकता है। छुट्टी लेने पर कटौती कई आयुष्मान आरोग्य मंदिर दूरी पर हैं। वहां आने-जाने में समय और किराया अधिक खर्च हो रहा है। इससे भी अंशकालिक प्रशिक्षक परेशान हैं। उनके साथ अवकाश की भी समस्या है। वैभवी और विवेक ने बताया कि जरूरत पड़ने पर छुट्टी लेते हैं तो उनके मानदेय से कटौती कर दी जाती है। 20 दिन में अगर एक दिन का भी गैप हुआ तब भी कटौती होती है। तीन से छह महीने का वेतन बकाया अलग-अलग सीएचसी पर भी योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई है। यहां के प्रशिक्षकों ने बताया कि उन्हें समय से मानदेय नहीं मिलता है। किसी का तीन महीने तो किसी का छह महीने का मानदेय बकाया है। प्रशिक्षकों का कहना है कि हमारा वेतन यूं ही कम है। ऐसे में समय पर भुगतान नहीं होने से घर चलाना मुश्किल हो रहा है। अतिरिक्त काम का बोझ कई आयुष केंद्रों पर स्टाफ की कमी है। ऐसे में वीआईपी मूवमेंट होने पर योग प्रशिक्षकों को अतिरिक्त काम करने पड़ते हैं। डॉक्टर उनसे दूसरे स्टाफ का भी काम लेते हैं। जबकि नियमानुसार उनको सिर्फ एक घंटा योग सिखाने के लिए ही तैनात किया गया है। बताया कि काम का दबाव होने से उनका पूरा दिन आयुष केंद्रों पर ही बीत जाता है। आने-जाने में जो समय लगता है, सो अलग। उस दिन में वे कोई दूसरा काम भी नहीं कर पाते। सुनें हमारी बात सरकार प्रशिक्षकों को स्थायी नौकरी दे। 11 महीने की ही नौकरी से हमेशा अनिश्चिता रहती है। सुरक्षित माहौल जरूरी है। -वैभवी समान सर्टिफिकेट, समान काम तो योग प्रशिक्षकों का वेतन भी समान होना चाहिए। वेलनेस सेंटर में भेदभाव होता है। -विवेक योग प्रशिक्षकों को फिक्स वेतन मिलना चाहिए। वेतन का मानकीकरण होना चाहिए, जिससे भेदभाव खत्म होगा। -नेहा प्रजापति सरकारी विभागों में महिला-पुरुष प्रशिक्षकों के वेतन में अंतर है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर में भेदभाव से महिलाओं का मनोबल गिरता है। -श्वेता दुबे सभी सरकारी एवं निजी स्कूलों में योग प्रशिक्षक की नियुक्ति होनी चाहिए। इससे बच्चे योग के प्रति प्रेरित होंगे। हमें रोजगार भी मिलेगा। -अनुपम अवस्थी शासन स्तर पर योग प्रशिक्षकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे वे आमलोगों को अधिक से अधिक प्रेरित कर सकेंगे। -अवधेश कुमार दो महीने की ट्रेनिंग के बाद कोई भी प्रशिक्षक हो जाता है। डिप्लोमाधारी को ही योग प्रशिक्षक पद पर रखना चाहिए। मानदेय भी बढ़े। -गौरव हमारे जीवन के लिए योग जरूरी है। हर अपार्टमेंट में एक प्रशिक्षक की नियुक्ति होनी चाहिए। इससे लोग योग के प्रति जागरूक होंगे। - पूजा योग प्रशिक्षक अपनी मूलभूत समस्या से जूझ रहे हैं। उनका मानदेय बढ़ाएं। योग को रोजगार से जोड़ने की जरूरत है। -रत्नेश सोशल मीडिया पर योग की गलत पद्धतियों का प्रचार लाभ के बजाय हानिकारक है। योग्य प्रशिक्षक से ही योग सीखना चाहिए। -रोहित कुमार सुझाव 1. हेल्थ वेलनेस सेंटर एवं आरोग्य मंदिरों पर तैनात महिला-पुरुष योग प्रशिक्षकों को सामान वेतन मिलना चाहिए। 2. सरकारी विभागों में योग प्रशिक्षकों की तैनाती के समय समान डिग्री-समान वेतन का प्रावधान होना चाहिए। 3. राष्ट्रीय योग आयोग का गठन किया जाए। उसके माध्यम से योग प्रशिक्षकों-शिक्षकों की समस्याओं का समाधान हो। 4. सभी स्कूलों में खेल शिक्षक की तरह योग प्रशिक्षकों की भी नियुक्ति हो। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। 5. वेतन का मानकीकरण करते हुए मानदेय में अंतर को दूर करना चाहिए। इससे योग प्रशिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा। शिकायतें 1. हेल्थ वेलनेस सेंटर एवं आरोग्य मंदिरों पर तैनात महिला-पुरुष योग प्रशिक्षकों में वेतन के आधार पर भेदभाव किया जाता है। 2. काम के हिसाब से वेतन/मानदेय बहुत कम है। अवकाश लेने पर उसमें कटौती से महीने का खर्च निकालना कठिन हो जाता है। 3. साल में 11 माह की संविदा पर नौकरी से सुरक्षित भविष्य को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है। स्थायी नौकरी की मांग अनसुनी की जा रही है। 4. शाकसीय संविदा योग प्रशिक्षकों का मानदेय समय से नहीं मिलता। किसी का तीन तो किसी का छह माह से मानदेय भुगतान नहीं हुआ है। 5. योग दिवस के अलावा कुछ खास अवसरों पर ही प्रशिक्षकों की पूछ होती है। उन्हें काम का सम्मान नहीं मिलता।

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