अज्ञानता दूर करने वाले शस्त्र हैं हमारे शास्त्र: शिंदे
Varanasi News - महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने वाराणसी में पहले शास्त्र संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए कहा कि वैदिक ज्ञान भारत को विश्व गुरु बनाने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों के...

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा वैदिक ज्ञान हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इसके बल पर ही भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना साकार होगा। वह शुक्रवार को देश के पहले शास्त्र संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र का शुभारंभ करने के लिए काशी आए थे। खराब मौसम के कारण विलंब से पहुंचने के लिए क्षमायाचना करते हुए दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ परिसर में हुए आयोजन में उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति, हमारे धार्मिक ग्रंथों का जतन होना चाहिए। मुझे विश्वास है कि करपात्रीजी की साधना स्थली से शुरू हुआ यह कार्य विश्व के लिए कल्याणकारी होगा। शास्त्र और शस्त्र में छोटा सा अंतर है।
मैं मानता हूं कि शास्त्र भी एक शस्त्र है जो अज्ञानता दूर करता हैं। आज हमें शस्त्रों की कम और शास्त्रों की अधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे वेद और आधुनिक विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इनको डिजिटलाइज करके ही काम पूरा नहीं होगा। बल्कि वेदों के ज्ञान को समाज तक पहुंचाना होगा। सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से यह कार्य संभव होगा। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व हमें सिखाता है कि हर व्यक्ति प्राणी और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन यापन करे। सत्य, धर्म और मानवता की सेवा ही हिन्दुत्व है। हिन्दुत्व हमें आत्मनिर्भरता, कर्मयोग और विश्वशांति का मार्ग दिखाता है। आरएसएस ने वेदाध्ययन को बढ़ावा दिया है। साथ ही आयुर्वेद को भारतीय संस्कृति की पहचान बनाया है। आरएसएस राष्ट्रभक्ति का प्रतीक एकनाथ शिंदे ने कहा कि आरएसएस राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। जब भी कोई आपत्ति आती है तो स्वयंसेवक सेवा के लिए पहुंच जाते हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी नमन करता हूं। देशभक्ति की जागृति और हिन्दुत्व के प्रति उनका प्रेम सभी के लिए प्रेरणादायी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक रूप से भारत को मजबूत किया है। उन्हीं के प्रयासों से भारत आर्थिक महासत्ता बनने जा रहा है। बाला साहब ठाकरे भी चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने और कश्मीर से धारा 370 हटे। प्रधानमंत्री ने उनका यह सपना भी पूरा किया है। इनकी रही उपस्थिति मंच पर पद्मश्री गणेश्वर शास्त्री, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.दयाशंकर मिश्र दयालु, शास्त्र संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र के संस्थापक रामानंद तिवारी, बीएचयू के प्रो. उपेंद्र त्रिपाठी, धर्मसंघ शिक्षा मंडल के सचिव पं. जगजीतन पांडेय, भुजंग बोबडे मौजूद रहे। ग्रंथों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने दुर्लभ ग्रंथों पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। प्रदर्शनी में विज्ञान भैरवकल्प (शारदा लिपि), शिवपूजाविधि, बिजक (त्रिधा), ऋग्वेद संहिता (सर्ग 1-8), सामवेद, ऐतरेय ब्राह्मण, केनोपनिषद, हनुमत संहिता, आर्यभटीय, विवेक मार्तण्ड (गोरक्षशत), वशिष्ठ स्मृति, तंत्रसार कर्मप्रकाश सहित अनेक दुर्लभ पांडुलिपियों का समावेश किया गया है।
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