प्रभु जगन्नाथ ने अष्टकोणीय रथ पर दिए भक्तों को दर्शन
Varanasi News - काशी में रथयात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान जगन्नाथ ने भक्तों को दर्शन दिए। मेला के पहले दिन बारिश ने किसानों के लिए शुभता का संकेत दिया। भक्तों ने भगवान को विभिन्न भोग अर्पित किए, और नानखटाई की...

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। काशी का रथयात्रा इलाका शुक्रवार को लघु पुरी के रूप में बदल गया। अष्टकोणीय रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ ने भक्तों को दर्शन दिए। कोई उन्हें तुलसी की माला और नानखटाई का भोग लगा रहा था तो कोई परवल की मिठाई, केसरिया पेड़ा, राजभोग और आम अर्पित कर रहा था। मध्याह्न बाद झमाझम वर्षा से भक्तों की बांछें खिल गईं। विश्वास हो गया कि मेला के प्रथम दिन हुई बारिश किसानों के लिए कल्याणकारी होगी। यह सब शुक्रवार को काशी के लक्खा मेले रथयात्रा के 223वें संस्करण के पहले दिन हुआ। वर्षों बाद मेले के पहले ही दिन हुई वर्षा से जनमानस में शुभता के भाव भरे रहे।
मेला में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की भीड़ अधिक रही। शाम के बाद शहरी भीड़ से मेलाक्षेत्र गुलजार हो गया। जय जगन्नाथ के साथ ही हर-हर महादेव का घोष गूंज रहा था। गुलाब, कमल और बेला के फूलों से सजा श्रीयंत्र की आकृति वाला दो टन वजनी लकड़ी का अष्टकोणीय रथ दूर से ही आकर्षित कर रहा था। प्रथम दिन भोर में 5:07 बजे पं. राधेश्याम पांडेय ने प्रभु जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की मंगला आरती की। पट खुलने से पहले ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। सुबह 9 बजे भगवान को छौंका चना, मूंग, पेड़ा, गुड़ और देसी चीनी का शरबत भोग स्वरूप अर्पित कया गया। अर्पित किए गए विविध भोग दोपहर में भोग आरती तक दर्शन का क्रम जारी रहा। भोग में प्रभु को पूड़ी, कोहड़े की सब्जी, दही, देसी चीनी, कटहल और आम के अचार अर्पित किए गए। इसके बाद दिन में 3 बजे तक पट बंद रहा। इसके बाद आरती के साथ पुन: दर्शन का क्रम शुरू हुआ जो मध्यरात्रि में पुन: पट बंद होने तक जारी रहा। मेला क्षेत्र में जगह-जगह झूले, खिलौनों और चाट पकौड़ों की दुकानें सजी हैं। नानखटाई की दुकानों पर भीड़ महमूरगंज से गुरुबाग तक मेला क्षेत्र में सर्वाधिक दुकानें नानखटाई की लगीं। इनपर 80 से अधिक प्रकार की नानखटाइयां आकर्षित करती रहीं। 160 रुपये किलो से 700 रुपये किलो तक की नानखटाई मेला क्षेत्र में बिक्री के लिए हैं। शाम ढलने के बाद इन दुकानों पर भीड़ कुछ ज्यादा ही दिखी। अधिकारी करते रहे मेला क्षेत्र में भ्रमण दोपहर बाद मेले में भीड़ के दबाव को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी निरंतर मेला क्षेत्र में भ्रमण करते रहे। इस दौरान नागरिक सुरक्षा, शांति समिति और समाज संगठन के स्वयंसेवकों ने भी सहयोग किया। इनकी मदद से पहले दिन शाम तक 57 भूले भटके बच्चों और बुजुर्ग महिलाओं को उनके परिजनों से मिलाया गया। इनमें छोटे बच्चों की संख्या 13 रही।
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