बीएचयू अस्पताल : डायग्नोस्टिक सेवा के टेंडर में फर्जीवाड़े में सात पर मुकदमा
Varanasi News - वाराणसी के आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने तीन डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशकों समेत सात पर बीएचयू अस्पताल में फर्जी निविदा के आरोप में केस दर्ज कराया है। आरोप है कि निविदा में फर्जी...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो.एसएन संखवार ने तीन डायग्नोस्टिक सेंटर के डायरेक्टर समेत सात पर केस दर्ज कराया है। इन पर बीएचयू अस्पताल में ऑपरेशन एवं डायग्नोस्टिक प्रबंधन सेवा के लिए आमंत्रित निविदा में फर्जीवाड़े का आरोप है। यह निविदा पीपीपी मॉडल पर सेवा देने के लिए आमंत्रित की गई थी। लंका थाने में जिन पर केस दर्ज कराया गया है उनमें रश्मिनगर (लंका) निवासी नोबल स्टार हेल्थ सर्विसेस प्रा.लि. के निदेशक डॉ. उदयभान सिंह और रजनी सिंह, कानपुर स्कैन्स अल्ट्रासाउंड एवं इमेजिंग सेंटर के संचालक कानपुर देहात के स्वरूपनगर निवासी किरण पांडेय, डॉ. जायसवाल इमेजिंग क्लिनिक के संचालक गोरखपुर के कसिया रोड निवासी डॉ. राजीव जायसवाल, डॉ. मनोज रंजन, डॉ. समीर अग्रवाल एवं एक अन्य अज्ञात शामिल हैं।
शिकायत में बताया गया है कि अस्पताल की ओर से एक सीटी स्कैन मशीन, एक एमआरआई मशीन के संचालन और रखरखाव से संबंधित निविदा प्रकाशित थी। इस प्रक्रिया में आरोपियों की ओर से प्रस्तुत अभिलेखों से साबित होता है कि उन्होंने दुर्भावनापूर्ण और तकनीकी दुरुपयोग कर अन्य आरोपियों की मदद से कूटरचित दस्तावेजों को प्रमाणिक दस्तावेजों के रूप में प्रस्तुत कर व्यावसायिक लाभ लेने के लिए भ्रमित किया। डायनोस्टिक सेंटर अनुभव प्रमाणपत्र भी फर्जी मिला आईएमएस के निदेशक प्रो.एसएन संखवार की पुलिस से की गई शिकायत में बताया गया है कि निविदा में दाखिल अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी मिला है। बताया कि दस्तावेजों की जांच के दौरान कानपुर स्कैन्स अल्ट्रासाउंड एवं इमेजिंग सेंटर ने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं गोरखपुर के डॉ. जायसवाल इमेजिंग क्लिनिक स्वीकार किया कि यह सर्टिफिकेट ऑफ एप्रसिसएशन है, ना कि अनुभव प्रमाणपत्र है। ना ही उनके मध्य कोई इकरारनामा है। शिकायत के अनुसार डॉ. जायसवाल इमेजिंग क्लिनिक प्राइवेट लिमिटेड गोरखपुर-273001 को पंजीकृत डाक के माध्यम से सत्यापन के लिए पत्र भेजा गया। जिनका कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद पुन: आधिकारिक ई-मेल आईडी पर 23 अप्रैल 2025 को ई-मेल भेजा गया। इसका जवाब 25 अप्रैल 2025 को मिला, जिसमें डॉ. जायसवाल इमेजिंग ने उक्त बातें स्वीकारीं। वहीं 23 नवंबर 2024 को कानपुर स्कैन्स अल्ट्रासाउंड एवं इमेजिंग सेंटर को स्पीड पोस्ट किया गया, जिसका कोई जवाब नहीं आया। जांच के दौरान डॉ. जायसवाल इमेजिंग की ओर से भी अपना बयान बदलना यह दर्शाता है कि डॉ. जायसवाल इमेजिंग एवं अन्य आरोपियों के बीच कोई अनुबंध नहीं था। केवल जाली कागज प्रस्तुत कर बीएचयू से धोखा, जालसाजी, राजकीय कोष की लूट एवं जनमानस की जान से खेलवाड़ करने की मंशा से फर्जीवाड़ा किया गया। प्रारंभिक परीक्षण में ये गड़बड़ियां मिलीं - निविदा की शर्तों के अनुसार आरोपियों की ओर से प्रस्तुत डॉ. मनोज रंजन, डॉ. समीर अग्रवाल और 5 अन्य रेडियोलजिस्ट की मिलीभगत से जाली हस्ताक्षरों से निर्मित स्टैम्प पेपर पर समझौता पत्र दाखिल किया गया। - कानपुर स्कैन्स अल्ट्रासाउंड एवं इमेजिंग सेंटर, कानपुर तथा डॉ. जायसवाल इमेजिंग गोरखपुर की ओर से प्रस्तुत अनुभव प्रमाण-पत्र, अनुबंध अदिनांकित (बिना तारीख) एवं अस्पष्ट हैं। इनमें कंपनी का आधिकारिक ट्रेडमार्क, सीएमओ पंजीकरण संख्या या किसी प्रकार की सरकारी पंजीकरण संख्या उल्लेखित नहीं है। साथ ही पीरीयड ऑफ कट्रैक्ट उल्लेखित नहीं है। - डा. जायसवाल इमेजिंग क्लिनिक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से प्रस्तुत अनुभव प्रमाण-पत्र भी कूटरचित है, क्योंकि उसमें न तो निदेशक का डीआईएन यानी डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर, न कंपनी की आधिकारिक मोहर और न ही कंपनी का सीआईएन यानी कंपनी आईडेंटिफिकेशन नंबर अंकित है। - निविदा प्रपत्र में अभियुक्तगण ने यह दावा किया है कि उनका अनुबंध कानपुर स्कैन्स के साथ वर्ष 2026 तक तथा डॉ. जायसवाल इमेजिंग के साथ वर्ष 2028 तक मान्य है, प्रस्तुत अनुभव प्रमाण-पत्रों में कहीं भी अनुबंध की अवधि या समाप्ति तिथि 7/11 उल्लेख नहीं है। पूर्व में एमएस सहित पांच पर दर्ज हुआ था मुकदमा लंका पुलिस ने बीएचयू अस्पताल में डायग्नोस्टिक उपकरण की आपूर्ति और सेवाएं संचालित करने के लिए निकले टेंडर में हेराफेरी, कूटरचना के आरोप 20 मार्च को केस दर्ज किया है। नोबेल हेल्थ सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के प्रोपराइटर रश्मिनगर (लंका) निवासी डॉ. उदयभान सिंह ने केस दर्ज करने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय पवन कुमार सिंह की कोर्ट के आदेश पर लंका पुलिस ने बीएचयू अस्पताल के एमएस सहित पांच पर नामजद मुकदमा दर्ज किया था।
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