काशी के साहित्यकार डॉ. विश्वनाथ प्रसाद पर कानपुर में शोध
Varanasi News - वाराणसी में, काशी के प्रसिद्ध लेखक, कवि और समीक्षक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद पर पहला शोध छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा किया गया। प्रो. गीता अस्थाना के निर्देशन में रूबी सिंह ने यह शोध...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। काशी के सुप्रसिद्ध ललित निबंधकार, कवि, समीक्षक और ‘विद्याभूषण से सम्मानित डॉ. विश्वनाथ प्रसाद के रचना संसार पर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर की ओर से पहला शोध किया गया। यह शोध हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. गीता अस्थाना के निर्देशन में रूबी सिंह ने किया। प्रो. गीता अस्थाना ने कहा कि डॉ. विश्वनाथ देश के चर्चित समीक्षक और ललित निबंधकार थे। उनके साहित्य पर किया गया यह शोध वास्तव में हिंदी ज्ञान परम्परा को समृद्धि प्रदान करता है। डॉ. विश्वनाथ पर पीएचडी की उपाधि प्रदान किए जाने पर डॉ. विश्वनाथ प्रसाद साहित्य बोध संस्थान के सचिव डॉ. सीमान्त प्रियदर्शी ने कहा कि पिताजी के साहित्य में अद्भुत चिंतन था।
उनके पास साहित्य को तलाशने, तराशने और परखने की अनोखी दृष्टि थी। संस्था की सदस्य ऋचा प्रियदर्शिनी ने भी हर्ष व्यक्त किया। डॉ. विश्वनाथ प्रसाद की प्रमुख रचाएं 'चौरे का दिया', 'प्याज के छिलके', 'काल का ज्योति मुकुट',' आधुनिक हिंदी गीतिकाव्य', 'आम आदमी की लालटेन' 'बीच की रेत', 'रोशनी ही नदी की धारा है', 'आवाज', 'उपरांत', 'पूर्वांचल', 'गीतायन', 'निबंध और निबंध', 'सौंदर्य तथा सौन्दर्यानुभूति', 'अष्टछाप के कवियों की सौन्दर्यानुभूति', 'चुटकीभर अपनापन', 'जीवन के अनगिन दरवाजे', 'वृंदावनलाल वर्मा समग्र समीक्षाग्रंथ , 'लक्ष्मीनारायण मिश्र ग्रंथावली', 'काल का ज्योति मुकुट' आदि।
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