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बोले काशी- कंपनियां ऑफर के मुताबिक नहीं देतीं पगार, हताश होते होनहार

Varanasi News - वाराणसी के करौंदी आईटीआई के विद्यार्थियों ने रोजगार मेले में कंपनियों द्वारा साक्षात्कार और ट्रेनिंग के लिए पैसे मांगने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि कंपनियां ऑफर लेटर पर अच्छे वेतन का वादा करती हैं,...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीFri, 13 June 2025 02:30 AM
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बोले काशी- कंपनियां ऑफर के मुताबिक नहीं देतीं पगार, हताश होते होनहार

वाराणसी। रोजगार मेला में कंपनियां सलेक्शन के लिए आती जरूर हैं मगर उनसे लाभ कुछ को ही मिल पाता है। अक्सर वे साक्षात्कार और ट्रेनिंग के लिए पैसे मांगती है। सुनहरे भविष्य की उम्मीद पाले अभ्यर्थी पैसे दे भी देते हैं। असल परेशानी तब खड़ी होती है जब ज्वाइनिंग के बाद कंपनियां ऑफर के मुताबिक वेतन नहीं देतीं। बनारस या आसपास नौकरी मिले तो ठीक, बड़े शहरों में महीने का खर्च भी मेंटेन नहीं हो पाता। उन कंपनियों से पूछताछ नहीं होती-यह दर्द करौंदी के राजकीय आईटीआई के विद्यार्थियों का है। करौंदी के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में इन दिनों अलग-अलग ट्रेड में 2000 विद्यार्थी हैं।

इनमें 400 छात्राएं हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में उन्होंने कुछ समस्याओं, चुनौतियों की ओर ध्यान खींचा तो एक बिंदु पर सभी का दर्द उभर आया। वह दर्द अध्ययरत विद्यार्थियों में है। यहां के पास आउट सीनियरो का भी है। बताया कि रोजगार मेला में आने वाली कंपनियों की कथनी-करनी में बहुत फर्क होता है। ऑफर लेटर में कुछ लिखा होता है जबकि व्यवहार के अनुभव एकदम अलग, हताश करने वाले होते हैं। निखिल कुमार, कृष्णा पटेल ने बताया कि रोजगार मेले में कंपनियां कई बार साक्षात्कार के लिए पैसे लेती हैं। कई बार ट्रेनिंग के लिए भी पैसा देना पड़ता है। साक्षात्कार के बाद उनसे संपर्क ही नहीं हो पाता। उन्होंने जोर दिया कि कंपनियों का वेरिफिकेशन और फॉलोअप होना चाहिए ताकि पता चले कि वे फेक तो नहीं हैं। युवा अक्सर ठगी के शिकार हो जाते हैं। ट्रेनिंग-साक्षात्कार के लिए पैसे दे देते हैं और नौकरी भी नहीं लगती। सूरज, अभिषेक पाल के मुताबिक, कई बार कंपनियां ऑफर लेटर पर अलग सैलरी दिखाती हैं जबि असल में कम पैसे देती हैं। कम पैसे में ज्यादा काम कराती हैं। उन्होंने कहा कि कई बार युवा हताश हो लौट आते हैं। काजल शर्मा, अंकिता गुप्ता ने बताया, रोजगार मेला में कई बार ऑफर लेटर के आधार पर डाटा तैयार कर लिया जाता है कि इतने अभ्यर्थियों को रोजगार मिला जबकि वास्तविकता कुछ अलग होती है। उन्होंने कहा, कई अभ्यर्थियों को ऐसे ऑफर मिलते हैं कि वे ज्वाइन ही नहीं करते। 8-10 हजार रुपये की सैलरी में यूपी का लड़का बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे, सूरत, चंडीगढ़, गुरुग्राम जैसे शहरों में उक्त धनराशि में अकेले भी गुजारा नहीं कर पाता। अंकिता ने कहा कि ऑफर मिलने और ज्वाइन करने का अलग-अलग डाटा तैयार होना चाहिए। करौंदी रोड पर चले सिटी बस आईटीआई करौंदी के विद्यार्थी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा न होने से परेशान हैं। इस रोड पर सिटी बस नहीं चलती। गुलाब अली खान, अब्दुल कलाम खान ने कहा कि 2000 विद्यार्थी यहां शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन आवागमन की कोई व्यवस्था नहीं है। कई जगह ऑटो बदलना पड़ता है। ऑटो वाले मनमाना किराया लेते हैं। इस रास्ते पर भी बस चले तो विद्यार्थियों को सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि पूरे दिन न चले, सुबह संस्थान खुलने और छुट्टी होने के समय बस चलनी ही चाहिए। संस्थान का हो हॉस्टल स्नेहा वर्मा, शिवानी मौर्या, ग्रेसी चौरसिया ने ध्यान दिलाया कि आईटीआई के रास्ते पर पर्याप्त स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। शाम के बाद आवागमन मुश्किल होता है। कहा कि आईटीआई में दूर-दूर से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं। किराए पर रूम और पीजी लेना सबसे लिए संभव नहीं होता। क्योंकि यहां मनमाना किराया लिया जा रहा है। ग्रेसी ने कहा कि आईटीआई में हॉस्टल की व्यवस्था होनी चाहिए। उसमें किफायती दरों पर कमरे आदि की सुविधा मिले तो बहुत राहत होगी। छात्र-छात्राओं ने शहर में स्वच्छता पर और काम होने की बात कही। बोले, सड़क पर गंदगी फैलाने और पान खाकर थूकने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। सैलरी 20-25 हजार से कम न हो नवीन गुप्ता, काजल, स्नेहा वर्मा, शिवानी मौर्या ने कहा कि कुशल और अर्धकुशल कर्मचारियों की कैटेगरी बनी है। इसमें न्यूनतम वेतन तय किया गया है। मगर इसका पालन नहीं हो रहा है। रोजगार मेला में कुशल युवाओं को भी 8-10 हजार रुपये की सैलरी पर गृह जनपद से बाहर का ऑफर मिलता है। इतने कम पैसे में कोई कैसे गुजारा कर सकता है। सरकार को कंपनियों में न्यूनतम सैलरी 20-25 हजार तय करनी चाहिए। गुड़िया ने कहा, महंगाई के हिसाब से इतना वेतन तो मिलना ही चाहिए कि इंसान अपना खर्च उठा सके। पिंक बूथ न पुलिसिंग परिसर के आसपास पिंक बूथ नहीं है। पुलिसिंग भी नहीं होती। ग्रेसी चौरसिया, गुड़िया, काजल शर्मा, अंकिता ने कहा कि कई बार समस्या की शिकायत ही नहीं कर पाते हैं। परिसर के पास पिंकबूथ बने तो सहूलियत होगी। हम आसानी से अपनी समस्या बता सकेंगे। समय पर समस्या का निस्तारण भी होगा। बड़ी घटना घटित होने से पहले रोकी जा सकेगी। निखिल कुमार, कृष्णा पटेल ने कहा कि संस्थान खुलने और बंद होने के समय पुलिस गश्त होनी चाहिए। ऑरटीओ ऑफिस से खराब होता है माहौल आईटीआई परिसर में ही आरटीओ का ऑफिस भी है। अक्सर लोग आरटीओ ऑफिस जाने के नाम पर परिसर में आते हैं और अराजकता फैलाते हैं। इससे पठन-पाठन प्रभावित होता है। विद्यार्थी इससे परेशान होते हैं। स्नेहा वर्मा, शिवानी मौर्या ने कहा कि आरटीओ ऑफिस के लिए या तो अलग गेट बने अथवा ऐसी व्यवस्था हो कि कोई अराजकता न फैला सके। परिसर में छात्राएं भी आती हैं । उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संस्थान की हैं। काजल ने कहा कि कई बार लोग कमेंट करते हैं। अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। हम कुछ बोल भी नहीं पाते क्योंकि रोज ही पढ़ने आना है। इस समस्या का स्थायी समाधान हो। इसके लिए आरटीओ ऑफिस का अलग प्रवेश द्वार बनना चाहिए। नाला होता है ओवरफ्लो गुलाब अली खान ने ध्यान दिलाया कि आईटीआई के गेट के बाहर नाला है जो अक्सर ओवरफ्लो करता रहता है। इसकी सफाई नहीं होती। सड़क पर पानी लग जाता है। अब्दुल कलाम खान ने कहा कि बारिश के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। जलजमाव में कई बार लोग गिर जाते हैं। स्नेहा वर्मा ने कहा कि नाले से बदबू आती है। सफाई कराने के साथ उसे ढंका जाना चाहिए। सफाई के बाद दवाओं का छिड़काव होना चाहिए। साइकिल ट्रैक की दरकार गुड़िया, काजल शर्मा, अंकिता गुप्ता ने कहा कि शहर में साइकिल से चलने वालों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। तेज रफ्तार वाहनों के बीच साइकिल से चलना बड़ी चुनौती होती है। इस संस्थान में भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी साइकिल से आते हैं। उनके लिए अलग ट्रैक नहीं है। इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने ओवरस्पीड वाहन चलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर जोर दिया। कहा कि स्कूल, कॉलेज के पास वाहनों की स्पीड तय होनी चाहिए। शिवानी मौर्या, ग्रेसी चौरसिया काजल ने कहा कि पैदल चलने वालों के लिए पॉथवे की व्यवस्था होनी चाहिए। कृष्णा पटेल ने ठेला विक्रेताओं के लिए वेंडिंग जोन सुनिश्चित करने पर जोर दिया। इन विद्यार्थियों ने भी कहा कि शहर में वीआईपी मूवमेंट के समय यातायात प्रतिबंध और स्कूल-कॉलेजों में बंदी लागू करते समय स्थानीय लोगों की सुविधा का ध्यान रखा जाना चाहिए। सुनें हमारी बात आईटीआई करौंदी के रास्ते पर सिटी बस नहीं चलती। विकल्प नहीं होने से ऑटो वाले मनमाना किराया वसूलते हैं। - गुलाब अली खान आईटीआई के बाहर स्पीड ब्रेकर और जेब्रा क्रासिंग नहीं है। तेज रफ्तार वाहन से आए दिन विद्यार्थी घायल होते हैं। -अब्दुल कलाम खान रोजगार मेले में कुशल युवाओं को भी 8-10 हजार की सैलरी पर गृह जनपद से बाहर का ऑफर मिलता है। यह व्यावहारिक नहीं है। -नवीन गुप्ता ऑफर लेटर गिनकर रोजगार का डाटा तैयार न किया जाए। कई लोगों को ऐसे ऑफर मिलते हैं कि वे ज्वाइन ही नहीं करते। -काजल रोजगार मेले में आने वाली कंपनियां कई बार साक्षात्कार, ट्रेनिंग के लिए पैसे लेती हैं। फिर उनसे संपर्क नहीं हो पाता है। - स्नेहा वर्मा परिसर के आसपास पिंक बूथ नहीं है। पुलिसिंग भी नहीं होती। कई बार विद्यार्थी शिकायत नहीं कर पाते हैं। इससे परेशानी होती है। -शिवानी मौर्या आईटीआई परिसर में ही आरटीओ के ऑफिस है। वहां आने वाले लोग अक्सर अराजकता फैलाते हैं। उसका अलग गेट बने। - ग्रेसी चौरसिया गेट के बाहर नाला अक्सर ओवरफ्लो होता रहता है। इसकी सफाई नहीं होती है। बारिश के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। -गुड़िया शहर में साइकिल से चलने वालों के लिए ट्रैक नहीं है। तेज रफ्तार वाहनों के बीच साइकिल से चलना बड़ी चुनौती है। - काजल शर्मा रोजगार मेले में आने वाली कंपनियों के वेरिफिकेशन के साथ फॉलोअप भी होना चाहिए ताकि पता रहे कि वे सही हैं या गलत। - अंकिता गुप्ता सुझाव 1- आईटीआई रूट पर सिटी बस चलाई जाए। सुबह संस्थान खुलने और बंद होने तक बस का संचालन हो तो विद्यार्थियों को आवागमन में राहत होगी। 2- नाले की सफाई कराई जाए। बारिश के दिनों में जलजमाव की समस्या से राहत मिलेगी। उसके ओवरफ्लो होने की शिकायत दूर होगी। 3- आरटीओ ऑफिस का एंट्री गेट अलग किया जाए। या तो ऐसी व्यवस्था हो कि अराजकता पर रोक लगे ताकि छात्र-छात्राओं को परेशानी न हो। 4- संस्थान के पास पिंक बूथ बनाया जाए। ताकि किसी की समस्या पर विद्यार्थी तुरंत शिकायत कर सकें और समाधान मिल सके। इससे बड़ी घटना भी रोकी जा सकेगी। 5- रोजगार मेले में आने वाली कंपनियों का वेरिफिकेशन होना चाहिए। मेले के बाद फॉलोअप होना चाहिए कि कितने ऑफर मिले, कितने लोगों ने ज्वाइन किया। . शिकायतें 1- आईटीआई रूट पर सिटी बस नहीं चलती। समय से ऑटो भी नहीं मिल पाता। विकल्प न होने से कई बार ऑटे वाले मनमाना किराया मांगते हैं। 2- संस्थान के गेट के पास नाला की सफाई नहीं होती। आए दिन ओवरफ्लो होने से पानी लगा रहता है। विद्यार्थियों को आवागमन में दिक्कत होती है। 3- आईटीआई परिसर के अंदर आरटीओ ऑफिस में अराजक तत्व भी आते हैं। अक्सर वे अराजकता फैलाते हैं। इससे माहौल खराब होता है। 4- संस्थान के आसपास पिंक बूथ नहीं है। पुलिसिंग भी नहीं होती। इससे छात्राओं में डर का माहौल रहता है। 5- रोजगार मेले में कई बार कंपनियां ट्रेनिंग और साक्षात्कार के नाम पर पैसे लेती हैं। उनका लेखाजोखा नहीं रहता। बोले प्रधानाचार्य संस्थान के बाहर स्पीड ब्रेकर की आवश्यकता है। आरटीओ ऑफिस का गेट अलग बनाया जाए। यहां आने के नाम पर लोग परिसर में अराजकता फैलाते हैं। इससे पठन-पाठन प्रभावित होता है। परिसर के बाहर नाला सफाई न होने से भी परेशानी होती है। नाले का पानी ओवरफ्लो करता है। आईटीआई के रूट पर सिटी का संचालन शुरू हो तो संस्थान के छात्र-छात्राओं को सहूलियत होगी। - मुकेश कुमार सिंह, प्रधानाचार्य, आईटीआई-करौंदी अभ्यर्थी करें शिकायत, कार्रवाई होगी रोजगार मेले में आई किसी कंपनी ने अगर साक्षात्कार और ट्रेनिंग के नाम पर पैसा लिया है तो कार्रवाई की जाएगी। जिन अभ्यर्थियों के साथ ऐसी घटना हुई है, वे शिकायत कर सकते हैं। इससे उन कंपनियों ने ऐसा किया होगा, उनकी जानकारी जुटाने में आसानी होगी। आगे ऐसी घटनाएं न हों, इसका ध्यान रखा जाएगा। -दीप सिंह, रोजगार मेला प्रभारी पिंक बूथ की बात अफसरों से कहेंगे महिला अपराध को लेकर पुलिस सजग है। करौंदी आईटीआई के पास पुलिस गश्त होती है। जहां तक परिसर में पिंक बूथ की मांग है, उसे उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। - डॉ. इशान सोनी, एसीपी भेलूपुर

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