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बापू को लेकर सनातनी क्यों कर रहे हैं तनातनी

Varanasi News - वाराणसी में बाबा रामदेव ने कहा कि बापू की आलोचना करने वाले विरोधी हैं। उन्होंने बापू को सनातन संस्कृति का प्रतीक बताया और कहा कि बापू की आलोचना का जवाब देने की जरूरत नहीं है। बाबा ने बापू की विविधताओं...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 22 June 2025 10:01 PM
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बापू को लेकर सनातनी क्यों कर रहे हैं तनातनी

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। बापू की आलोचना कोई विधर्मी करे तो लगता है भाई ये तो विरोधी हैं कर रहे होंगे। जिनको हम अपने सनातनी कहते हैं वे तनातनी क्यों करते हैं। ये बातें योग गुरु बाबा रामदेव ने कहीं। वह रविवार को मानस सिंदूर कथा के अंतिम दिन सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में बोल रहे थे। बाबा रामदेव ने कहा कि मैं किसी की आलोचनाओं का उत्तर देने नहीं आया हूं। न तो बापू को इतनी फुर्सत है कि किसी की आलोचनाओं को सुनें। बापू को तो अच्छा करने से ही फुर्सत नहीं है। तो बुरी बातों को सुनने और प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत ही नहीं है।

बापू हमेशा कहते हैं मैं तो संवाद का व्यक्ति हूं फिर भी कोई विवाद करे तो ये उसका विवेक है। बापू मात्र एक व्यक्ति नहीं हैं। बापू सनातन संस्कृति और विश्व की एक धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि बापू में राम का रामत्व है, कृष्ण का कृष्णत्व है, शिव का शिवत्व है, हनुमान का हनुमत तत्व है। यह देखने की दृष्टि न तो मैं किसी को दे सकता हूं, न बापू। यह दृष्टि तो गुरु के अनुग्रह से मिलती है। कोरोना काल में भी ऐसा ही कुछ वायरस निकला था। किसी ने कहा बापू के कुनबे में तो किसी का मुसलमान से ब्याह हो रखा है। झूठ की भी पराकाष्ठा है। मैं कहता हूं सनातन धर्म में बहुत सी विविधताएं हैं। किसी का अग्नि संस्कार होता है, किसी का भू संस्कार होता है। सनातन का यही तो वैविध्य है जो इसे शाश्वत बनाए हुए हैं। बापू और बाबा का न तो किसी सत्ता से लेना देना न किसी राजनेता से। किसी राजनेता ने बापू को नहीं बनाया। बापू ने राजनीति को जरूर परिष्कार दिया है। राजनेता को बापू बना सकते हैं, राजनेता बापू को क्या बनाएंगे। बाबा रामदेव ने कहा कि बापू देह में रहते हुए देहातीत हैं, साधारण वेश में रहते हुए परम संन्यासी हैं। बापू की बड़ाई करके न मुझे कुछ मिलेगा, न उन्हें कुछ मिलेगा। जो बापू के आलोचक हैं उनसे कहना चाहता हूं मेरी बात को श्रद्धा से कतई मत सुनना। मैं जो कह रहा हूं उसको बापू के आचरण से मिलाकर देखना।

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