अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर सीएम योगी ने कहा- जीवित रहना है तो संसार के बारे में सोचें
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर गुरुवार को यूपी में लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहे। वन मंत्री अरुण सक्सेना के अलावा विभाग के राज्यमंत्री केपी मलिक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर गुरुवार को यूपी में लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहे। वन मंत्री अरुण सक्सेना के अलावा विभाग के राज्यमंत्री केपी मलिक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। संगोष्ठी में वन व जैव विविधिता से संबंधित विभागों के अतिरिक्त कृषि, मत्स्य, उद्यान, पशुपालन, व पंचायती राज विभाग के अधिकारी, अनुसंधान संस्थान, विश्वविद्यालयों और जैव विविधता संरक्षण क्षेत्र में करने वाली संस्थाएं शामिल रहीं। इस वर्ष की जैव विविधता दिवस की विषयवस्तु 'प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास' है।
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रकृति प्रदत्त वरदानों का उपभोग कर आध्यात्मिक तथा भौतिक प्रगति करता है। प्रकृति से प्राप्त लाभों की निरन्तरता बनाये व बचाए रखने हेतु विद्यमान प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा तथा प्रकृति मित्र जीवनशैली अपनाकर इन संसाधनों का विस्तार करना प्रत्येक व्यक्ति का संवैधानिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक दायित्व है। प्रदेश सरकार जैव विविधता को सुरक्षित रखते हुए तीव्र गति से विकास हेतु प्रतिबद्ध है। जैव विविधता के महत्व को भारत से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। किसी सनातन परिवार में मांगलिक कार्य की शुरुआत शांति पाठ से होती है। ये अपने लिए नहीं होता बल्कि पूरे संसार के कल्याण की कामना के साथ मांगलिक कार्य शुरू होता है। ये वेद की सूक्ति के साथ शुरू होता है। अगर मनुष्य को जीवित रहना है तो संसार के बारे में सोचना होगा। वेदों में कहा गया है कि धरती हमारी माता है और हम इसके बेटे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि हमें विकास का ऐसा मॉडल अपनाना चाहिए जो कि आत्मघाती न हो। प्रकृति और पुरुष का समन्वित रूप ही पर्यावरण है। प्राचीन काल में हर गांव में खलिहान की भूमि होती थी। लोग खेत में आग नहीं लगाते थे। पराली में आग नहीं लगाते थे। गांव में खाद का खड्ड होता था। कंपोस्ट के रूप में उसका इस्तेमाल होता था। हर गांव में तालाब था। उसे गंदा नहीं करते थे।