हस्तमैथुन की आदत छोड़ नहीं पा रहा, जब 12 साल के बच्चे ने प्रेमानंद महाराज से जताई मजबूरी
वृंदावन के प्रेमानंद महाराज से 12 साल के बच्चे ने हस्तमैथुन की आदत को लेकर अपनी मजबूरी जताई। यह भी बताया कि उसकी गर्लफ्रेंड है तो महाराज चौंक गए। बोले, इतने छोटे बच्चों की भी गर्लफ्रेंड है?

वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज से शुक्रवार को उनके आश्रम पहुंचे एक 12 साल के बच्चे ने अपनी गलत आदतों को लेकर सवाल पूछा। कहा कि दोस्तों के कारण गलत आदतें लग गई हैं। कहा कि हस्तमैथुन की आदत लग गई है। छोड़ने का प्रयास कर रहा हूं लेकिन छोड़ नहीं पा रहा हूं। यही नहीं, जब महाराज को 12 साल के बच्चे की गर्लफ्रेंड के बारे में पता चला तो वह हैरान रह गए। कहा कि इतने छोटे बच्चों की भी गर्लफ्रेंड होती हैं?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आप जैसे कई बच्चे मेरे सामने आते हैं। इस उम्र के बच्चों को यह आदतें बहुत ज्यादा पीड़ा पहुंचा रही हैं। आज कल के बच्चे मोबाइल के कारण और अपने मित्रों से सीखकर यह सब कर रहे हैं। इसका कोई वैक्सीन तो तैयार नहीं हुआ है, कि उसे लगा दिया जाए और मन से ऐसी आदतें हट जाए। यह ऐसी आदतें हैं जिसमें किसी दूसरे के सहयोग की जरूरत भी नहीं होती है। अपने हाथ की क्रिया है, अपने हाथ द्वारा हो जाता है। छोटे-छोटे बच्चों को सुख का कोई और साधन नहीं मिलता तो वह दिन में कई बार करना सीख जाते हैं। इससे उनका जीवन ही बर्बाद हो जाता है।
महाराज ने कहा कि जैसे गेंहू की फसल में बाली निकलते ही काट लें तो न सही भूसा निकलेगा और न ही दाना आएगा। ऐसे में अभी यह बच्चे हैं। इनका अभी वीर्य परिपक्व नहीं हुआ है। न इनकी बुद्धि परिपक्व हुई है। हस्तमैथुन में चले गए तो आगे चलकर डिप्रेशन में पहुंच जाएंगे। इनकी बुद्धि भी गिर जाएगी और शरीर भी गिर जाएगा। यह लोग गृहस्थी के लायक भी नहीं रहेंगे। हस्तमैथुन करने से नस नाड़िया सामर्थ्य खो देती हैं। ऐसे में माता-पिता को बच्चों को मित्रवत बैठाकर उनसे पूछना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि यह बहुत खतरनाक खेल है।
महाराज ने बच्चे को समझाते हुए कहा कि आज के बाद ऐसा मत करना। नाम जप करो और एक किलोमीटर रोज दौड़ो। जब बच्चे ने यह बताया कि उसकी गर्लफ्रेंड भी है तो महाराज हैरान रह गए। कहा कि इस उम्र के बच्चे भी गर्लफ्रेंड रख रहे हैं? बोले, हमारे समाज का क्या होगा। महाराज ने कहा कि 18 साल से पहले वीर्य निकलने पर वह हमारे हड्डियों के पावर को नष्ट कर देते हैं। बच्चे ऐसे संभलने लायक नहीं रहते। ऐसे बच्चों की मानसिकता कमजोर हो जाती है। छोटी-छोटी बातों में माता-पिता को मार देना। यह सब मानसिक कमजोरी के कारण ही होता है।