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बोले सीतापुर : नए तो बेहतर, निर्माणाधीन बन जाएं तो बने बात

Sitapur News - सीतापुर में बने फ्लाईओवर यातायात को सुचारू करने में मदद कर रहे हैं, जिससे जाम की समस्या कम हुई है। हालांकि, फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण और जलभराव की समस्याएं विकराल हैं। नए ओवरब्रिज निर्माणाधीन हैं,...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरSat, 28 June 2025 04:53 PM
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बोले सीतापुर : नए तो बेहतर, निर्माणाधीन बन जाएं तो बने बात

सीतापुर में बने फ्लाईओवर निश्चित रूप से यातायात को सुचारू बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये पुल न केवल भीड़भाड़ वाले चौराहों पर जाम से निजात दिलाते हैं, बल्कि यात्रा के समय को भी कम करते हैं। जिले के लगभग सभी फ्लाईओवर अच्छी स्थिति में हैं और उन पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था है, जिससे रात में भी आवागमन सुरक्षित रहता है। नए निर्माणाधीन फ्लाईओवर भी यातायात के दबाव को और कम करने में सहायक होंगे, खासकर उन क्षेत्रों में जहां शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। अभी शहर में जेल रोड, शहर के बाईपास पर बिजवार से नेपालापुर जाने वाले मार्ग पर, हाईवे पर और सीतापुर से हरदोई जाने वाले मार्ग पर फ्लाईओवर हैं, जिसमें से हरदोई रोड वाला फ्लाईओवर अभी हाल में ही शुरू हुआ है।

हालांकि ये फ्लाईओवर पर कार, जीप और दोपहिया वाहनों को ही गुजरने की अनुमति है। बावजूद इसके लोगों का कहना है कि इस फ्लाईओवर के शुरू होने के बाद से लोगों को काफी सहूलियत है। लोग आए दिन नवीन चौक पर जाम की समस्या से जूझ रहे थे। जिससे से अब पूरी तरह से निजात मिल गई है। हालांकि इन आधुनिक संरचनाओं के साथ एक बड़ी चुनौती भी जुड़ी हुई है। इसके अलावा शहर में जेल के पास संचालित और पुलिस लाइन के पास निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण की समस्या विकराल है। फुटपाथ पर अवैध दुकानें और यहां तक कि झुग्गी-झोपड़ियां भी फ्लाईओवर के नीचे पनप रही हैं। यह अतिक्रमण न केवल पैदल चलने वालों के लिए बाधा उत्पन्न करता है, बल्कि स्वच्छता और सुरक्षा की दृष्टि से भी गंभीर समस्याएं पैदा करता है। ये अतिक्रमण अक्सर कचरे के ढेर का कारण बनते हैं, जिससे मच्छर और अन्य कीट पनपते हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं। इसके अलावा अवैध कब्जे आपात स्थितियों में बचाव कार्यों में बाधा डाल सकते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से इस समस्या पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उनकी अनदेखी के कारण अतिक्रमणकारी बेखौफ होकर अपना जाल फैलाते जा रहे हैं, जिससे यह समस्या दिन-प्रतिदिन और गंभीर होती जा रही है। जिले में यातायात बुनियादी ढांचे में सुधार सराहनीय है, लेकिन इन सुविधाओं का अधिकतम लाभ तभी उठाया जा सकता है जब इनसे जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जाए। फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करना और रेलवे अंडरपास को जलभराव से मुक्त करना जिला प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए नागरिकों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। उन्हें अतिक्रमण न करने और जल निकासी प्रणालियों को बाधित न करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। केवल एक समन्वित और सक्रिय दृष्टिकोण से ही सीतापुर अपने नागरिकों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और सुगम यातायात प्रणाली सुनिश्चित कर सकता है। बन रहे दो ओवरब्रिज : उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम द्वारा बिसवां सिधौली मार्ग पर बनाए जा रहे रेल सम्पार संख्या 56 ए पर दो लेन ओवरब्रिज बनाने का शुभारंभ पूर्व सांसद राजेश वर्मा और विधायक निर्मल वर्मा द्वारा 18 अक्तूबर 2023 को किया गया था। इस की समय सीमा दो साल है। वहीं कुल लंबाई 600.27 मीटर होगी। इसमें 76 मीटर ओवरब्रिज का रेलवे निर्माण करेगा। इसकी लागत 5471.71 लाख रुपए है। इस ओवरब्रिज का का काम करीब करीब पूरा हो गया है। इसके दोनों सिरों पर अप्रोच बनाने का काम अभी बाकी है। वहीं, पूर्वोत्तर रेलवे के बिसवां सीतापुर स्टेशन के मध्य रेल सम्पार संख्या 58 बी क्रासिंग पर दो लेन ओवरब्रिज के बनने का शुभारंभ 10 मार्च 2024 को किया गया था। इस पर काम तेजी के साथ चल रहा है। इसकी कुल लंबाई 627.276 मीटर होगी। इसकी लागत 7275.48 लाख रुपए है। बिसवां में इसलिए जरुरी है ओवरब्रिज बिसवां। बिसवां सिधौली एवं बिसवां सीतापुर रेलवे क्रासिंग पर भारी ट्रैफिक के दबाव के चलते बाशिंदे दोनों रेलवे क्रॉसिंगों पर ओवरब्रिज बनाए जाने की मांग उठाते काफ़ी अरसे से उठाते चले आ रहे थे। जो कि परवान तो चढ़ रही है। लेकिन रेलवे के हिस्से का ओवरब्रिज कब बनेगा। यह एक प्रश्न बना हुआ है। क्रासिंग की रेलवे लाइन के ऊपर का निर्माण कार्य रेल विभाग को करवाना है। वहीं, पूर्वोत्तर रेलवे के बिसवां सीतापुर स्टेशन के मध्य रेल सम्पार संख्या 58 बी क्रासिंग पर दो लेन ओवरब्रिज बनना शुरू हो गया है। यहां काम तो चल रहा है, लेकिन इसके बनने का आमजनमानस को बेसब्री से इंतजार है। यदि बिसवां सिधौली और बिसवां सीतापुर रेलवे क्रॉसिंगों पर रेलवे ओवरब्रिज बनने के उपरांत बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर से बहराइच,श्रावस्ती, गोंडा आदि की ओर जाने वाले सारे वाहन बड़े चौराहे से ही आवागमन करेंगे। वहीं बिसवां सिधौली रेलवे क्रॉसिंग पर बनने वाले ओवरब्रिज के चालू हो जाने के उपरांत कानपुर, उन्नाव, लखनऊ और सिधौली आदि से बहराइच जाने वाले वाहन कस्बे के बड़े चौराहे से ही गुजरेंगे। रेलवे अंडरपास, जलभराव की निरंतर चुनौती जिले में फ्लाईओवर जहां यातायात को गति प्रदान कर रहे हैं, वहीं रेलवे अंडरपास अक्सर धीमी गति और जलभराव के पर्याय बन गए हैं। जिले में मौजूद रेलवे अंडरपास रेलवे लाइनों को पार करने के लिए एक जरूरी साधन हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां रेलवे फाटक पर लंबा इंतजार करना पड़ता है। महोली क्षेत्र के महसुनिया गंज अंडरपास में मामूली बारिश में कीचड़ और पानी भरे होनी की तस्वीर सामने आई। हालांकि, इन अंडरपास में जलभराव की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय है, खासकर मानसून के दौरान। हल्की बारिश में भी ये अंडरपास पानी से लबालब भर जाते हैं, जिससे वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो जलभराव इतना अधिक हो जाता है कि अंडरपास को बंद करना पड़ता है, जिससे यातायात को वैकल्पिक मार्गों से मोड़ना पड़ता है और समय व ईंधन दोनों की बर्बादी होती है। लोगों को कहना है कि उचित जल निकासी प्रणाली का अभाव, चोक नालियां और रखरखाव की कमी के चलते अंडरपासों मे ये समस्या लगातार बनी हुई है। कई मामलों में, अंडरपास के निर्माण के समय उचित ढलान या पंपिंग तंत्र का अभाव होता है, जिससे पानी आसानी से निकल नहीं पाता। इसके अलावा स्थानीय निवासियों द्वारा कचरा और मलबा फेंकने से भी जल निकासी प्रणाली अवरुद्ध हो जाती है, जिससे समस्या और गंभीर हो जाती है। जाम से परेशान बिसवां : बिसवां एक बार फिर ज़ाम से परेशान है। कस्बे की दोनों रेलवे क्रासिंगों पर गुज़रना जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। यहां लंबा ज़ाम लगना शुरू हो गया है। कस्बा बिसवां के बाशिंदे जाम के झाम को झेलने के लिए मजबूर हैं। निर्माणाधीन दोनों ओवरब्रिज पर रेलवे की ओर से अभी तक कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है। कस्बे के बाशिंदे रेलवे लाइन के ऊपर बनने वाले पिलर एवं स्लेव की बाट जोह रहे हैं। लेकिन कहीं दूर दूर तक इसके बनने के आसार नजर नहीं आते हैं। कस्बे के बाशिंदे सशंकित हैं कि कहीं रेलवे के कार्य में विलंब होता है तो इन दोनों क्रासिंगों पर जाम की समस्या से निकट भविष्य में छुटकारा मिल पाना संभव नहीं हो पाएगा। इनकी भी सुनिए रेलवे अंडरपास से गुजरने में डर लगता है, खासकर बारिश में। पानी इतना भर जाता है कि डूबने का खतरा रहता है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।-प्रेमचंद्र श्रीवास्तव फ्लाईओवर ने तो हमारी जिंदगी ही बदल दी है। पहले एक चक्कर लगाने में एक घंटा लग जाता था, अब बीस मिनट में ही हो जाता है। -राकेश शर्मा फ्लाईओवर के कारण कॉलेज पहुंचने में अब देर नहीं होती। लेकिन फ्लाईओवर के नीचे इतनी गंदगी है कि पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। -ईशू बाजपेई फ्लाईओवर ने रोजमर्रा की यात्रा को काफी आरामदायक बना दिया है। लेकिन हर साल बरसात में यही हाल होता है। -मोहम्मद साद बोले जिम्मेदार जिले में आठ पुल निर्माणाधीन हैं, जिनमें से पांच इसी साल चालू कर दिए जाएंगे। इसके अलावा जो पुल बन रहे हैं, उनको भी मानकों के अनुसार ही बनाया जा रहा है। निर्माणाधीन पुलों के आसपास कोई हादसा न हो इसके लिए सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए हैं। इन निर्माणाधीन पुलों का संचालन शुरु होने के बाद सड़कों पर लगने वाला जाम कम होगा। इसके अलावा यातायात भी सुगमता से चलेगा। पुलों को ऐसी इंजीनियरिंग से डिजाइन किया जा रहा है कि उसमें चलने वालों को एक अलग और बेहतर एहसास होगा। कैसर मसरुर अंसारी, डीपीएम सेतु निगम प्रस्तुति - अविनाश दीक्षित, आशीष मिश्रा

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