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ऊन शुगर मिल में एथेनॉल में किया जा रहा था किसानों के यूरिया का इस्तेमाल

Shamli News - जिले में किसान यूरिया की कमी से परेशान हैं, वहीं ऊन शुगर मिल के एथेनॉल प्लांट में प्रतिबंधित किसानों का यूरिया उपयोग किया जा रहा है। कृषि अधिकारी प्रदीप यादव की अगुवाई में छापेमारी में छह कट्टे भरे और...

Newswrap हिन्दुस्तान, शामलीFri, 27 June 2025 01:58 AM
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ऊन शुगर मिल में एथेनॉल में किया जा रहा था किसानों के यूरिया का इस्तेमाल

जिले में एक ओर किसान यूरिया की भारी कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ऊन शुगर मिल के प्लांट में एथेनॉल बनाने में टैक्निकल ग्रेड के स्थान पर प्रतिबंधित किसानों को मिलने वाले यूरिया का प्रयोग होते पाया गया। जिला कृषि अधिकारी प्रदीप यादव के नेतृत्व में टीम ने पुलिस बल के साथ शुगर मिल के एथेनॉल प्लांट पर छापेमारी की तो यह खुलासा है। मौके से छह कट्टे यूरिया से भरे हुए और दस खाली प्रतिबंधित यूरिया के कट्टे पाए गए। यह कट्टे किसान ही प्रयोग कर सकते है। कृषि अधिकारी ने ऊन शुगर मिल के एथेनॉल प्लांट प्रबंधन के खिलाफ तहरीर दे दी है।

पिछले कई महीनों से जिले में यूरिया की कमी से किसान जूझ रहे है। हालात यह है कि सहकारी समितियों पर किसान यूरिया लेने के लिए आये दिन चक्का काट रहे है। हालांकि जिले में यूरिया की रैक पहुंचने से राहत है। यूरिया एवं पेस्टीसाइड को लेकर किसानों ने किसान दिवस में भी शुगर मिल की शिकायत की थी। इसी को लेकर डीएम के निर्देश पर जिला कृषि अधिकारी प्रदीप कुमार यादव के नेतृत्व में देर शाम ऊन शुगर मिल में छापा मारा गया। इस दौरान एथेनॉल प्लांट की भी जांच पड़ताल की गई तो। करीब दो घंटे जांच पड़ताल की गई। इस दौरान एथेनॉल बनाने में किसानों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले यूरिया के कट्टों का इस्तेमाल होते मिला। छह कट्टे यूरिया भरे हुए और दस कट्टे खाली मिले। जिला कृषि अधिकारी ने एथेनॉल प्लांट प्रबंधन जिम्मेदारान अफसरों के खिालफ तहरीर दी है। थानाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने बताया कि तहरीर के आधार पर एथेनॉल प्लांट प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। सस्ता पड़ने के कारण करते है किसानों के यूरिया का प्रयोग जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि एथेनॉल की प्रोसेसिंग में टैक्निकल ग्रेड यूरिया का प्रयोग किया जाता है। प्लांट में इसी टैक्निकल ग्रेड यूरिया का प्रयोग करने का प्रावधान है। यह यूरिया महंगा लगभग दो हजार रुपये बोरा आता है। जबकि किसानों को दिया जाने वाले यूरिया का बोरा 267 रुपये 50 पैसे आता है। इसलिए सस्ता होने के कारण प्लांट में किसानों के यूरिया का इस्तेमाल किया जा रहा था जो कि प्रतिबंधित है।

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