बदहाली का दंश झेल रहे हैं भेड़ौरा पिकौरा के ग्रामीण
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के गांव भेड़ौरा पिकौरा में सफाई और बुनियादी सुविधाओं की कमी है। गांव में जल जमाव, खराब सड़कें और जाम पड़ी नालियां हैं। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, और मच्छरों का...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के बेलहर ब्लाक का लगभग चार हजार से अधिक आबादी वाला गांव ग्राम भेड़ौरा पिकौरा लगभग दो किलोमीटर दूरी में फैला है। इस ग्राम पंचायत में कुल सात पुरवा ( टोला) आते हैं। इनमें से कुछ जगहों की हालत कुछ हद तक सही तो कुछ जगहों पर ग्रामीण बदहाली का दंश झेल रहे हैं। पुरवों की दूरी ज्यादा होने से यहां रहने वाले लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांव में सफाई न होने के कारण हर ओर गंदगी फैली हुई है। मुख्य सड़क पर जल जमाव यहां की पहचान बन गई हैं।
इससे होकर गुजरना ग्रामीणों व राहगीरों की मजबूरी है। कूड़ा निस्तारण के लिए आआरसी भवन आबादी से काफी दूर बना दिया गया है। जहां ग्रामीणों का पहुंचना काफी मुश्किल भरा काम है। स्वच्छता अभियान के तहत बने सामुदायिक शौचालय पर ताला लटकता रहता है। यहां सुविधाओं की कमी है। इससे लोगों को खुले में शौच जाने की मजबूरी है। सरकारी कामों के निस्तारण के लिए पंचायत भवन बना है पर कोई सुविधाएं नहीं मिलती हैं। ग्रामीणों को ब्लाक मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर बिल्कुल नहीं है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां विकास सिर्फ कागजों में हुआ है। जमीनी सच्चाई यह है कि जो बदहाली पांच साल पहले थी, वही अब भी बरकरार है। इसमें कुछ सुधार नहीं दिख रहा है। इस गांव में हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग निवास करते हैं। यहां सबसे अधिक आबादी निषाद समुदाय की है। गांव के बीच से होकर पीडब्ल्यूडी विभाग से बनी सड़क पिपरा बोरिंग से जंगल दशहर राजघाट तक जाती है। सड़क की हालत बदहाल है। सड़क पर पानी भरा रहता है। यहां प्राथमिक विद्यालय भी है। जिसमें दिव्यांग की सुविधा के लिए बना शौचालय अधूरा पड़ा है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चल रही हर घर नल योजना का लाभ मिल रहा है। गांव में विकास का कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे देख ग्रामीण खुद को गौरवान्वित महसूस कर सकें। विकास का धन कहां खर्च हुआ है यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है। गांव में जल निकासी की व्यवस्था नहीं गांव में जल निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। नालों का निर्माण न होने के पानी की निकासी गांव के बाहर नहीं हो पाती है। इसके कारण बारिश के दिनों में सड़क पर भारी जल जमाव हो जाता है। बारिश में गांव की मुख्य सड़क से घुसते ही यहां के बदहाली की तस्वीर सामने आने लगती है। बरसात के चार माह तक ग्रामीणों और राहगीरों को इसी जलभराव से होकर गुजरना पड़ता है। इसस लोगों के कपड़े खराब हो जाते हैं। वाहनों के गुजरने से गंदे पानी के छीटे उठने पर लोगों के बीच तूतू मैंमैं हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क के दोनो तरफ नाला बनवाया जाए जिससे पानी की निकासी हो सके। गांव के अंदर की सड़कें हो गई हैं बदहाल मुख्य सड़क से गांव के अंदर जाने वाले मार्ग बदहाल हो गए हैं। कुछ मार्गों पर खड़ंजा लगा हुआ था। यह बदहाल हो गया है। लोग हिचकोले खाते हुए जाते हैं। इन मार्गों पर कहीं-कहीं गड्ढे बन गए हैं। जो जरा सा बारिश होने पर कीचड़ से भर जाते हैं लोगों को आने जाने में दिक्कतों का सामना करा पड़ता है। गांव की सभी सड़कों को फिर से बनाने की जरूरत है। खराब हैं रोशनी के लिए लगी स्ट्रीट लाइट गांव में खम्भों पर रोशनी के लिए स्ट्रीट लाइटें लगीं हैं। पर ये आधा जलती हैं आधा खराब हैं। इससे आधे रास्ते पर अंधेरा बना रहता है। बारिश के दिनों में रात के समय आने जाने में लोगों को वषैले जंतुओं का भय बना रहता है। व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए जिम्मेदार यहां की स्थिति पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पंचायत भवन की हालत बदहाल ग्रामीणों के सरकारी कार्यों को आसानी से निपटाने के लिए पंचायत भवन का निर्माण कराया गया है। यहां की हालत बदहाल है। रंगाई पुताई न होने से बदहाल दिखता है। यहां जिम्मेदार बैठते नहीं हैं। इससे लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। अपने कार्यों को कराने के लिए ग्रामीणों को ब्लाक और तहसील का चक्कर लगाना पड़ रहा है। पंचायत भवन पर आने वाले लोगों की सुविधा के लिए लगा हैंड पम्प खराब है। यह शो पीस साबित हो रहा है। जाम पड़ी हैं नालियां गांव के बीच घरों के पानी की निकासी के लिए कुछ जगहों पर नालियां बनी हैं। जो गंदगी से जाम पड़ी हैं। इन्हें देखकर लगता ही नहीं है कि कभी इसकी सफाई होती है। नालियों के जाम होने के कारण लोगों के घरों का पानी बह नहीं पाता है। इसके चलते कई जगह पर नालियों का पानी उफनाकर कर सड़कों पर ही बह रहा है। सफाई नहीं होती, मच्छरों का बढ़ा प्रकोप गांव में सफाई नहीं होती है। जगह-जगह पर गंदगी फैली हुई है। सफाई न होने व जगह-जगह पानी इकट्ठा होने के कारण मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है। लोग इसको लेकर काफी परेशान हैं। शाम तो शाम दिन में मच्छर हमले करते रहते हैं। ग्रामीणों की माने तो गांव में कभी दवा का छिड़काव नहीं होता है। इससे मच्छरजनित बीमारियों के फैलने का भी डर बना हुआ है। लोगों ने फॉगिंग और छिड़काव की मांग किया है। ग्राम प्रधान बालजीत निषाद ने कहा कि बजट की उपलब्धता के अनुसार विकास कार्य कराए गए हैं। जो भी कार्य अधूरे हैं उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा। गांव का विकास ही पहली प्राथमिकता है। मुख्य सड़क पीडब्लूडी की है उस पर ग्राम पंचायत कार्य नहीं करा सकती है। जो भी कार्य ग्राम पंचायत को कराने हैं वे कराए जा रहे हैं। कुछ कार्य स्वयं कराया है। अभी भुगतान न होने से आगे काम करा पाना मजबूरी है। विधायक अनिल त्रिपाठी ने बताया कि गांव में विकास को लेकर कई योजनाएं संचालित हैं। ग्रामीणों को कहीं पर अगर समस्या हो रही है तो उसे तत्काल दूर कराया जाएगा। भाजपा सरकार गांवों के विकास को लेकर पूरी तरह से समर्पित है। ग्रामीणों की सारी समस्याएं जल्द दूर कराई जाएगी। गांवों को भी शहर की सुविधाएं देकर विकसित किया जाएगा।
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