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बजट खर्च करने में कंजूसी से गांवों में धीमी पड़ी विकास की रफ्तार

Santkabir-nagar News - संत कबीर नगर जिले में बजट के खर्च में कंजूसी के कारण विकास की रफ्तार धीमी हो गई है। मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पर जिले की रैंकिंग खराब हुई है। डीएम आलोक कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विकास...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरFri, 27 June 2025 01:02 PM
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बजट खर्च करने में कंजूसी से गांवों में धीमी पड़ी विकास की रफ्तार

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के विकास कार्यों में बजट खर्च करने में कंजूसी बरते जाने की वजह से गांवों में विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री डैशबोर्ड में प्रदेश की रैकिंग में अपना जिला पिछले पायदान पर पहुंच गया है। डीएम आलोक कुमार की समीक्षा में 15 वां वित्त और पंचम राज्य वित्त में जनपद की रैकिंग डी श्रेणी की मिली है। डीपीआरओ ने अपने दायित्व में लापरवाही बरते जाने की वजह से समस्त एडीओ पंचायत, जिला परियोजना प्रबंधक और समस्त कंप्यूटर ऑपरेटर का जून माह का वेतन बाधित कर दिया है। इसके साथ ही सीएम डैशबोर्ड की प्रगति एक सप्ताह में 98 प्रतिशत तक कराने का लक्ष्य दिया है, अन्यथा की दशा में सभी के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी है।

01 जून 2025 को 15 वां वित्त आयोग की जनपद के 730 ग्राम पंचायतों के खाते में कुल 6.43 करोड़ रुपये पड़ा था। जबकि व्यय प्रतिशत 26.96 प्रतिशत रहा। उपलब्ध धन के सापेक्ष खर्च करने में सबसे पीछे सांथा ब्लॉक,नाथनगर ब्लॉक और बघौली ब्लॉक रहा। सीएम डैशबोर्ड पर प्रदेश का व्यय 50.79 प्रतिशत रहा। जिले की रैकिंग 72 वें स्थान पर रही। इसी तरह राज्य वित्त आयोग का 9.34 करोड़ रुपये ग्राम पंचायतों के खाते में पड़ा था। जबकि व्यय 47.26 प्रतिशत रहा। बजट खर्च करने में सबसे पीछे बघौली,सांथा और मेंहदावल ब्लॉक रहा। सीएम डैशबोर्ड पर प्रदेश का व्यय 78.51 प्रतिशत रहा। जिले की रैकिंग 74 वें स्थान पर रही। ग्राम पंचायतों में विकास कार्य नहीं कराए जाने की वजह से भुगतान नहीं हो रहा है। जिसके कारण बजट खर्च नही हो पा रहा है। इसको लेकर डीएम ने सख्ती दिखाई तो डीपीआरओ ने कड़ा रुख अख्तियार किया,लेकिन अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई। 26 जून को 15 वां वित्त आयोग का 3.48 करोड़ रुपये खाते में पड़ा है। जबकि व्यय 59.45 प्रतिशत हुआ है। विकास कार्य करा कर बजट खर्च करने में सांथा,मेंहदावल और बघौली फिर पीछे छूट गए है। सीएम डैशबोर्ड पर प्रदेश का व्यय 68.62 प्रतिशत है। जबकि जिले की रैकिंग 62 वें पायदान पर है। इसी तरह राज्य वित्त आयोग का 3.91 करोड रुपये ग्राम पंचायतों के खातों में पड़ा है। व्यय प्रतिशत 80.49 प्रतिशत पहुंच गया है। जबकि सीएम डैश बोर्ड पर प्रदेश का व्यय 89.65 प्रतिशत है। प्रदेश की रैकिंग में जिला 72 स्थान पर पर है। यह स्थिति साफ प्रदर्शित कर रही है कि बजट उपलब्ध होने के बावजूद खर्च करने में कंजूसी की जा रही है। जिसका असर गांवों में थमे विकास की रफ्तार पर तो पड़ ही रहा है,साथ में सीएम डैशबोर्ड की जिले की रैकिंग खराब हो रही है। सूत्रों की माने तो इस बीच सचिवों का तबादला भी हुआ है। उनका कलस्टर भी बदला है। इससे साफ है कि अपेक्षित प्रगति होने में संशय बना हुआ है। डीपीआरओ मनोज कुमार यादव ने बताया कि समीक्षा में खराब प्रगति पाए जाने पर डीएम ने नाराजगी जाहिर की है। 12 जून को ही जिले के सभी ब्लॉको के एडीओ पंचायत, दोनों जिला परियोजना प्रबंधक और सभी कंप्यूटर ऑपरेटर का जून 2025 का मानदेय बाधित कर दी गई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिले के सचिवों और कंप्यूटर ऑपरेटरों की समीक्षा समय से नहीं की जा रही है। सभी को एक सप्ताह में प्रगति बढ़ाए जाने का निर्देश दिया गया है। फिलहाल जनपद स्तर से प्रतिदिन समीक्षा शुरु कर दी गई है। डीएम आलोक कुमार ने बताया कि सीएम डैशबोर्ड की समीक्षा की गई। जिसमें 15 वां वित्त और पंचम राज्य वित्त में जनपद की रैकिंग डी श्रेणी है। डीपीआरओ को निर्देश दिए गए है कि इसकी नियमित समीक्षा करें और संबंधितों की जिम्मेदारी तय करें। जिससे गांवों में रुका विकास कार्य गति पकड़े और समय से भुगतान भी हो। ऐसा करके जिले की रैकिंग सुधारी जाए,अन्यथा की दशा में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करके कार्रवाई कराई जाएगी।

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