वंदेमातरम गीत के रचियता को जयंती मनाकर किया याद
Sambhal News - सीता रोड स्थित एक निजी अस्पताल में बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर कवि माधव मिश्रा ने आजादी के आंदोलन में साहित्यकारों के योगदान को याद किया। चटर्जी की रचना 'वन्दे मातरम' ने स्वतंत्रता...

सीता रोड स्थित एक निजी अस्पताल में महापुरुष स्मारक समिति के तत्वावधान में वन्दे मातरम के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती मनाई गई। उनके द्वारा देश व साहित्य के हित में किए गए कार्यो को याद किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कवि माधव मिश्राा व अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस दौरान कवि माधव मिश्र ने कहा कि भारत की आजादी एक बहुत लम्बे स्वाधीनता आन्दोलन की देन है , इसमें तत्कालीन राजनेताओं, राजाओं, महाराजाओं, देशभक्तों, क्रान्तिकारियों का ही नहीं बल्कि साहित्यकारों, कवियों, वकीलों, और विद्यार्थियों, सामाजिक संगठनों का भी विशेष योगदान रहा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आजादी की लड़ाई में साहित्य मनीषी बंकिमचंद्र चटर्जी ने वन्दे मातरम जैसी अमर रचना से न केवल आजादी की लड़ाई में नई जान फूंकी बल्कि भारतीय भाषाओं के साहित्य को मजबूती देते हुए नए आयाम प्रदान किए।
1874से लगातार आज भी करोड़ों युवा दिलों में धड़कन बन कर धड़क रहा है। चटर्जी का 1882 में प्रसिद्ध उपन्यास आनन्दमठ प्रकाशित हुआ। 1837 में वन्दे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा मिला। अध्यक्षता डॉ़ महेश कुमार गुप्ता ने की व संचालन संचालक डॉ़ अरविन्द कुमार गुप्ता ने किया। इस दौरान डॉ़ निशा गुप्ता, डॉ़ नितिन कौशिक, अंकित बार्ष्णेय, पंकज बार्ष्णेय, अनमोल मिश्रा, विकास यादव, सरोज कुमारी, शिवानी, राकेश कुमार, सपना अंशु कुमारी, रितेश, सचिन, संतोष कुमार, वीरपाल सिंह, सत्यपाल सिंह, रवि कुमार, अखिलेश कुमार आदि मौजूद रहे।
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