Hindi NewsUttar-pradesh NewsSaharanpur NewsSevere Shortage of Urea and DAP Fertilizer Hits Farmers in Saharanpur

बोले सहारनपुर : यूरिया और डीएपी नहीं मिलने से खरीफ की फसल पर संकट

Saharanpur News - सहारनपुर में किसानों को यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। सहकारी समितियों पर खाद की आपूर्ति सीमित है और निजी दुकानों पर मनमाने दामों पर बेची जा रही है। इससे किसानों को फसल...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहारनपुरFri, 27 June 2025 06:01 PM
share Share
Follow Us on
बोले सहारनपुर :  यूरिया और डीएपी नहीं मिलने से खरीफ की फसल पर संकट

सहारनपुर में किसानों को यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। सहकारी समितियों और किसान सेवा केंद्रों पर खाद की आपूर्ति सीमित है। एक ओर जहां समितियों पर महीनों में एक बार ही खाद की एक गाड़ी पहुंच रही है, वहीं दूसरी ओर निजी दुकानों पर खाद मनमाने दामों पर बेची जा रही है। इससे किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। नागल में गांगनोली स्थित सहकारी समिति पर जून माह में मात्र 330 बोरी यूरिया खाद पहुंची। इस समिति से जुड़े नौ गांवों के 800 से अधिक किसान हैं, ऐसे में स्पष्ट है कि इस सीमित आपूर्ति से सभी किसानों की जरूरत पूरी नहीं हो सकती।

कुछ किसान तो पांच से दस बोरी तक खाद लेकर चले गए, जबकि अधिकांश किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा। किसानों का कहना है कि उन्हें सुबह से लेकर दोपहर तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है और फिर भी खाद नहीं मिल पाता। भीषण गर्मी और उमस के बीच घंटों कतार में लगे रहना किसानों की मजबूरी बन चुका है। समिति के एमडी नवनीश कुमार का कहना है कि खाद की कमी ऊपर से है। जुलाई के पहले सप्ताह में नई गाड़ी आने की संभावना है। दो गाड़ी का चेक एडवांस भेजा जा चुका है, खाद पहुंचते ही सभी किसानों को वितरित की जाएगी। खाद की किल्लत ने किसानों की मेहनत और फसल दोनों को संकट में डाल दिया है। समय रहते सरकार और प्रशासन ने यदि सख्त कदम नहीं उठाए, तो खरीफ की पैदावार पर बड़ा असर पड़ सकता है। किसानों की मांग है। उन्हें समय पर, उचित दर पर और बिना शोषण के खाद मिलनी चाहिए। अब प्रशासन और शासन को मिलकर इस दिशा में ठोस कार्य योजना बनानी होगी। ---- ब्लैक में बिक रही खाद, किसान हो रहे परेशान जहां सहकारी समितियों पर खाद की आपूर्ति सीमित है, वहीं निजी दुकानों पर यूरिया व डीएपी की बिक्री खुलेआम एमआरपी से ज्यादा दरों पर हो रही है। सरकारी दर 266.50 रुपये प्रति बोरी के बजाय बाजार में 300 रुपये या उससे अधिक कीमत पर यूरिया बिक रही है। नानौता में जिला कृषि अधिकारी कपिल कुमार खुद किसान बनकर एक स्टोर पर पहुंचे और ओवररेटिंग की पुष्टि होने पर स्टोर को सीज कर दिया। उन्होंने बताया कि खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए समय-समय पर औचक निरीक्षण किए जा रहे हैं और दोषी व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। --- चार माह में 276 छापे, स्थिति जस की तस बीते चार महीनों में कृषि विभाग ने खाद वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए 276 स्थानों पर छापेमारी की। जिला कृषि अधिकारी कपिल कुमार के अनुसार मार्च से अब तक 276 दुकानों पर छापेमारी की गई। इनमें से 18 नमूने जांच के लिए भेजे गए, 26 विक्रेताओं को नोटिस जारी किए गए और 5 के लाइसेंस निलंबित कर दिए। बावजूद इसके, किसानों को न समय पर खाद मिल पा रही है, न ही उचित मूल्य पर। इतनी ताबड़तोड़ कार्रवाई के बावजूद जनपद में खाद की किल्लत और ब्लैक मार्केटिंग की शिकायतें रुक नहीं रही है। --- खरीफ फसल के लिए जरूरी यूरिया गायब मानसून की पहली बारिश के बाद धान और अन्य खरीफ फसलों में यूरिया की ड्रेसिंग बेहद जरूरी होती है। अंबेहटा के किसान गुलबहार, काला सिंह, जयपाल सिंह, राशिद, नरेंद्र, जावेद आदि ने बताया कि खाद न मिलने से उनकी फसलें कमजोर हो रही हैं और पैदावार पर असर पड़ रहा है। मजबूरन बाजार से महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। ---- कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई यूरिया और डीएपी की ओवररेट बिक्री करने वाले डीलरों के खिलाफ एफआईआर, लाइसेंस रद्दीकरण जैसी दृढ़ कार्रवाई हो। साथ ही वितरण केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी और ऑनलाइन रसीद की व्यवस्था लागू हो। खाद खरीद के साथ किसानों पर जबरन अन्य उत्पाद थोपना पूरी तरह अवैध घोषित किया जाए। दोषी डीलरों पर वित्तीय दंड और कानूनी कार्रवाई की जाए। --- पारदर्शी वितरण व्यवस्था खाद वितरण को ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल ऐप से जोड़ा जाए, जिससे किसानों को जानकारी मिल सके कि खाद कहां, कब और कितनी उपलब्ध है। पंजीकृत किसानों को प्राथमिकता के आधार पर वितरण सुनिश्चित किया जाए। किसानों की समस्याएं -सहकारी समितियों पर यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत है। -नकली खाद और दवाइयों की समस्या बनी हुई है। -यूरिया 266.50 रुपये की सरकारी दर के बजाय कुछ निजी दुकानों पर 300 रुपये तक में बिक रहा है। -खाद के साथ जबरन अन्य कीटनाशक या पोषक तत्वों की बिक्री की जा रही है। -समय पर खाद न मिलने से खरीफ की फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा हैं। -किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। सुझाव - यूरिया और डीएपी खाद की आपूर्ति समितियों और किसान सेवा केंद्रों पर नियमित रूप से कराई जाए। - ओवररेट और जबरन बिक्री पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित हो। - कृषि विभाग की टीमें निरीक्षण के साथ-साथ गुप्त निगरानी भी करें ताकि डीलरों और डिस्ट्रीब्यूटर्स पर दबाव बना रहे। - डिस्ट्रीब्यूटर स्तर पर भी जांच हो -नकली खाद बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग प्रतिक्रियाएं वर्जन पूरे जनपद में इस समय खाद की किल्लत बनी हुई है। यूरिया व डीएपी न मिलने से धान व गन्ने की पैदावार प्रभावित हो रही है। सरकार को खाद का संकट दूर करने को प्रयास करने होंगे। -नारायण सिंह गांगनोली - जनपद में करीब तीन लाख किसान हैं। वर्षों से चली आ रही किसानों की समस्या खाद की किल्लत का आज तक समाधान न होना चिंता का विषय है। -बिजेंद्र सिंह गांगनोली - पैदावार बढाने को केमिकल युक्त खाद का प्रयोग करना पड़ता है। समय पर यह भी नहीं मिल पाता है। जिसके चलते पैदावार प्रभावित होती है और किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। -सिताब सिंह गांगनोली - वर्षों से चली आ रही खाद की किल्लत का आज तक समाधान नहीं हुआ। जब ऋण पर ब्याज बढ़ाया जा सकता है तो यूरिया की कमी क्यों नहीं दूर की जा सकती। संदीप कुमार कोटा - यूरिया खाद की कमी के कारण निजी दुकानदार पेस्टिसाइड थोंपकर किसानों की जेबों पर डाका डाल में लगे हैं। ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई हो। -रविन्द्र सैनी बोहडुपुर - जब भी किसान को फसलों का उत्पादन बढ़ाने को यूरिया खाद की जरूरत पड़ती है, तभी समितियों पर यूरिया व डीएपी खाद नहीं मिलते। सरकार को ऐसे प्रकरण की जांच करनी चाहिए। -अरशद अंसारी कोटा 0- सरकारी संस्थानों में महीने में यूरिया के केवल चार बोरे ही मिलते हैं। किसानों को जरूरत के हिसाब से यूरिया नहीं मिल रहा हैं। जिससे किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। -पंकज त्यागी अघ्याना - यूरिया की कमी के चलते भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्राईवेट दुकानदार से एक बोरा यूरिया ख़रीदने पर भी शर्तें रख़ी जा रही हैं जो खेती किसानों के हित में नहीं हैं। -शिवकुमार फतेहपुर जट्ट - किसानों को यूरिया न मिलने से खरीफ की फसल खराब हो रही है, फसल को बचाने के लिए बाजार से ऊंचे दामों पर यूरिया खाद खरीदनी पड़ रही है। -काला सिंह अंबेहटा - अच्छी बरसात के बाद भी किसानों को यूरिया लेने के लिए मारे मारे फिरना पड़ रहा है, जिसके चलते समय पर खरीफ की फसल की ड्रेसिंग नहीं हो पा रही है। -गुलबहार सिंह अंबेहटा - खाद के 50 कट्टे पास हुए है। लेकिन एक पखवाड़े बाद मात्र 10 कट्टे ही मिले हैं। जबकि गन्ने की फसल को यूरिया की जरूरत है। समय पर यूरिया न मिलने से उपज प्रभावित होगी। -गौरव रनखण्डी 0- यूरिया पास हुए 15 दिन से अधिक हो गए है। लेकिन अभी तक उठान नहीं हुआ है। पिछले सप्ताह यूरिया न होना बताया गया था और आज अभी तक नम्बर नहीं आया। - ओमप्रकाश मिरगपुर 0-वर्जन फसल की बुवाई के समय हर बार सोसाइटी में खाद की किल्लत हो जाती है, जबकि प्राइवेट खाद बेचने वालों के यहां कभी किल्लत नहीं होती किसान हमेशा परेशान रहता है आज भी समिति से डाई खाद और यूरिया नहीं मिल रहा है। संजीव, किसान 0-वर्जन यदि हमें 50 कट्ठा यूरिया की आवश्यकता है तो हमें केवल पांच कट्टे ही खाद के मिल रहे हैं इतने कम खाद में हम कैसे गन्ना धान की बुवाई करें। फिलहाल तो कोई सा भी खाद नहीं मिल रहा है। फिरोजी लाल, किसान 0-वर्जन केंद्र पर 5 दिन पूर्व यूरिया समाप्त हो गया था वहीं किसानों को 266 रुपए 50 पैसा प्रति कट्टा की दर से यूरिया खाद उपलब्ध कराया जा रहा है, यूरिया मंगाने के लिए समिति के उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। समिति पर जल्दी यूरिया उपलब्ध होगा। -अमरपाल सिंह, सचिव बीपैक्स गागनोली -------

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें