मोहर्रम का चांद दिखाई दिया, अकीदतमंद सीनाजनी करते हुए इमाम बारगाह पहुंचे
Saharanpur News - मोहर्रम का चांद दिखाई देने के साथ ही शिया मुस्लिम समुदाय ने इमाम हुसैन और करबला के 72 शहीदों की याद में इमामबाड़ों में अलम और ताजिए सजाए। अन्जुमनों ने मातमी जत्थों के साथ नौहा खानी की और इमाम बारगाहों...

मोहर्रम का चांद दिखाई देने के साथ ही शिया मुस्लिम समुदाय ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और करबला के 72 शहीदों की याद में इमामबाड़ों में अलम व ताजिए सजाए। सोगवारों का इमामबाड़ों में आना जाना शुरू हो गया है। अन्जुमने अलग-अलग मातमी जत्थों के साथ नौहा खानी व सीनाजनी करते हुए अलम के साथ इमाम बारगाहों पहुंचे। शुक्रवार को अन्जुमने इमामिया ने अलम का जुलूस अन्जुमन के दफतर बड़तला अन्सारियान से निकाला। दूसरा अलम अन्जुमने अकबरिया ने अन्जुमन के दफ्तर मोहल्ला ख्वाजा जादगान से निकाला गया, जो इमामबाड़ा अंसारियान पहुंचा। अन्जुमन-ए-सोगवारों अकबरिया ने भी अलम निकाला। इमाम बारगाह सामानियान में मजलिस का आयोजन किया।
मजलिस में सब से पहले मरसिए खानी की गई। मरसिया खानी करने वालों में आसिफ अल्वी, हमजा जैदी, सलीम आब्दी आदि शामिल रहे। मजलिस को खिताब फरमाते हुए हुज्जत-उल इस्लाम मौलाना डॉ. सय्यद फतेह मुहम्मद जैदी ने कहा कि जब ईद का चांद नजर आता है तो हम खुशियां मनाते है, लेकिन जब मुहर्रम का चांद दिखता है तो हमें दर्द और गम का अहसास होता है।
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