राजा भैया फिर चुने गए राष्ट्रीय अध्यक्ष, 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर किया बड़ा ऐलान
लखनऊ में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुई पार्टी की वार्षिक बैठक में राजा भैया ने अगले साल प्रस्तावित पंचायत और 2027 का विधान सभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया। राजा भैया ने कहा, दोनों ही चुनाव अकेले लड़े जाएंगे।

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की वार्षिक बैठक में रविवार को रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' को एक बार फिर सर्वसम्मति से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। लखनऊ में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुई पार्टी की वार्षिक बैठक में राजा भैया ने अगले साल प्रस्तावित पंचायत और 2027 का विधान सभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया। राजा भैया ने कहा, दोनों ही चुनाव अकेले लड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी में जाति की कोई जगह नहीं है, राष्ट्रवाद ही पार्टी का मूल है। हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए काम करना होगा।
आतंकवाद, घुसपैठ जैसे मुद्दों पर हमें सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक आवाज उठानी होगी। कुंडा से विधायक राजा भैया ने कहा कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक हमेशा जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करता रहेगा। पार्टी अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरेगी और किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे अभी से तैयारियों में जुट जाएं और घर-घर जाकर पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों से लोगों को अवगत कराएं।
बैठक में पंचायत चुनाव से पहले विधान सभा स्तर पर सदस्यता अभियान चलाने और बूथ कमेटी गठित करने का प्रस्ताव पास किया गया। राजा भैया ने कहा कि हर जिले में एक महीने के भीतर कार्यकारिणी गठित की जाएगी। राजा भैया ने अपनी राजनीतिक यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि 25 साल निर्दलीय विधायक रहने के बाद वर्ष 2018 में जनसत्ता दल का गठन किया गया। दल का नाम ही जनता की सत्ता है। यही पार्टी का मूल मंत्र है। जनता के लिए जनता के बीच रहना ही जनसत्ता है। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से जनता के मुद्दों पर मुखर होने, सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने और धरना प्रदर्शन के लिए तैयार करने को कहा है।
अखिलेश को नहीं करनी चाहिए धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी
राजा भैया ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। वह राष्ट्रवादी संत हैं और उन्होंने उन पर टिप्पणी नहीं की है। इसके अलावा इटावा मामले पर उन्होंने कहा कि हमारे समाज में सभी जातियों को कथा सुनने और कहने का अधिकार है। वह विवाद जाति छुपाने के लिए उपजा। वह दो लोगों के बीच का मामला है, लेकिन इसे जातीय टकराव का रूप दिया जा रहा है।