रेलवे ने वेटिंग टिकट का नियम बदला, 90 फीसदी ट्रेनों में नो-रूम, यात्रियों को राहत या आफत?
रेलवे ने वेटिंग टिकट का नियम 15 जून से बदल दिया है। इससे 90 फीसदी ट्रेनों में नो-रूम दिखा रहा है। 25 फीसदी वेटिंग जारी करने के नियम से बुकिंग सिस्टम बदल गया है। हालांकि इससे प्रतीक्षा सूची के टिकटों के कंफर्म होने का चांस बढ़ गया है।

रेलवे बोर्ड के निर्देश पर सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस) में 15 जून से हुए एक बदलाव के चलते पूरी टिकटिंग व्यवस्था प्रभावित हो गई है। अब कंफर्म सीट तो दूर, यात्रियों को वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहा है। वेटिंग टिकट जारी करने की सीमा घटा दिए जाने से ज्यादातर ट्रेनों में नो-रूम की स्थिति है। हालत यह है कि गोरखधाम में एसी फर्स्ट क्लास में चार नंबर तक वेटिंग टिकट मिल रहा है, इसके बाद रिग्रेट (नो-रूम) हो जा रहा है, जबकि छह सीट का मुख्यालय कोटा ही है।
हालांकि इस व्यवस्था से वेटिंग टिकटों के कंफर्म होने की गुंजाइश बढ़ गई है। लेकिन किसी आपात स्थिति में भी वेटिंग टिकट न मिल पाने से यात्री काफी परेशान हैं। निश्चित संख्या के बाद वेटिंग भी न मिलने से जनरल क्लास में भीड़ और बढ़ गई है। जिनको जनरल में भी जगह नहीं मिल रही है वे यात्री पेनाल्टी देकर स्लीपर और एसी कोच में सवार हो जा रहे हैं। बिना आरक्षित टिकट लिए स्लीपर और एसी कोच में सवार होने पर यात्रियों और टिकट निरीक्षकों के बीच रोजाना नोकझोंक भी बढ़ती जा रही है।
कुल सीट का 25 फीसदी ही वेटिंग
क्रिस द्वारा किए गए बदलाव के बाद अब किसी भी ट्रेन के स्लीपर, एसी थ्री, एसी टू, एसी फर्स्ट, चेयर कार, एग्जीक्यूटिव चेयर कार आदि श्रेणी में कुल बर्थ /सीट में से केवल 25 प्रतिशत तक ही वेटिंग टिकट जारी किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर गोरखधाम एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में कुल 300 सीट है तो 75 नंबर तक ही वेटिंग टिकट जारी होगी। इसके ऊपर नो-रूम हो जाएगा। रेलवे प्रशासन का कहना है कि इस निर्णय से यात्रियों को सुविधा होगी। वेटिंग टिकट कंफर्म होने की गुंजाइश बढ़ जाएगी, साथ ही ट्रेनों के आरक्षित कोच में प्रतीक्षा सूची की भीड़ भी नियंत्रित हो सकेगी।
अभी तक नहीं था कोई सख्त नियम
इसके पहले तक वेटिंग को लेकर कोई सख्त नियम नहीं था। गोरखधाम, वैशाली, कुशीनगर, पूर्वांचल जैसी प्रमुख ट्रेनों में सामान्य दिनों में भी 100 से ऊपर वेटिंग पहुंच जाती थी। वहीं त्योहारी सीजन में वेटिंग 200 के पार चला जाता था। त्योहार पर जिन लोगों के टिकट कंफर्म नहीं होता, वे भी कोच में सवार जाते थे। इससे कंफर्म टिकट वाले यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता था।
गोरखपुर से प्रमुख ट्रेनों में सीट की उपलब्धता का हाल
14 जुलाई तक सप्तक्रांति एक्सप्रेस के सभी श्रेणियों में नो-रूम (कुछ तारीखों में वेटिंग उपलब्ध)
6 जुलाई तक गोरखधाम एक्सप्रेस के सभी श्रेणियों में नो-रूम
07 जुलाई तक 19038 अवध एक्सप्रेस में नो-रूम
04 जुलाई तक 22537 कुशीनगर एक्सप्रेस में सभी श्रेणियों में नो-रूम
29 जून तक 11056 गोदान एक्सप्रेस के सभी क्लास में नो-रूम