बोले रायबरेली/फ्लाईओवर-अंडरपास
Raebareli News - कामन इंट्रो जनपद में बने फ्लाईओवर और अंडरपास की ओर कोई ध्यान देने वाला

कामन इंट्रो जनपद में बने फ्लाईओवर और अंडरपास की ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। कई ओवरब्रिज की सड़कें खराब हैं तो कई अंडरपास में हल्की बरसात में पानी भर जाता है। ऐसे में वहां से निकलना जान जोखिम में डालने के बराबर है। उसके किनारे बनी रेलिंग तो ठीक है, लेकिन उनकी समय पर मरम्मत नहीं होती है। अधिकतर फ्लाईओवर के नीचे लोगों ने या तो अपने वाहन खड़े कर लिए हैं या तो दुकानें खोलकर अतिक्रमण कर लिया है। लालगंज बाईपास का आरओबी वर्षों से बंद पड़ा है। इसके चलते लालगंज में जाम लाइलाज बीमारी बन गया है।
इसी तरह ऊंचाहार में आरओबी बना, लेकिन अंडरपास नहीं बनने से लोगों की मुसीबत बढ़ गई है। जिले में कई स्थानों पर अंडरपास और ओवरब्रिज की दरकार है। अगर ये बन जाएंगे तो लोगों को सहूलियत मिलेगी। सहूलियत तो कहीं दिक्कत दे रहें ओवरब्रिज-अंडरपाास रायबरेली, संवाददाता। जिले में लोगों की सुविधाओं के लिए ओवरब्रिज और रेलवे अंडरपास बनाए गए थे। बारिश के मौसम में सहूलियत के बजाय दिक्कतें बढ़ जाती हैं। बारिश में कई अंडरपास तालाब बन जाते हैं। इससे लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। लालगंज बाईपास और ऊंचाहार का आरओबी लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। अगर समस्याओं का समाधान हो जाए लोगों को सहूलियत मिल जाए। जनपद में आठ ओवरब्रिज और 14 अंडरपास बने हैं। कई जगह सहूलियत के साथ ये लोगों के लिए परेशानी बन जाते हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान इस पर लोगों से बात की तो उन्होंने अपनी समस्याएं साझा कीं। लोगों ने कहा कि रेलवे स्टेशन के पास में अंडरपास बनने पर पहले तो खुशी हुई थी पर जैसे ही बारिश का दौर आया तो सारी खुशी काफूर हो गई। क्योंकि बारिश में पूरे अंडरपास में पानी भर जाने से आवागमन बंद हो गया। क्षेत्र के लोगों को चक्कर लगाकर इधर उधर जाने को मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीण कहते हैं कि बरारा बुजुर्ग के पास का जो अंडरपास है वह भी बेहतर तरीके से नहीं बनाया गया है। जल निकासी की व्यवस्था पहले से ही उचित रूप से होनी चाहिए थी, लेकिन बारिश में जल निकासी न होने से स्थिति नाजुक हो जाती है। सबसे अधिक खतरा उस समय रहता है जब रिस्क लेकर लोग निकलते हैं। इसमें जान को भी खतरा पैदा हो जाता है। लोगों का कहना है कि गर्मियों में दोपहर में अंडरपास के आसपास सन्नाटा रहता है इससे इधर से निकलना सुरक्षित नहीं है। लोगों का कहना है कि रेलवे अंडरपास में लाइटिंग की व्यवस्था नहीं है। रात में निकलना मुश्किल भरा है। इस पर रेलवे के अफसरों को ध्यान देना चाहिए। लोगों का कहना है कि रेलवे अंडरपास तो सहूलियत के लिए बनाए गए थे पर ये तो भारी मुसीबत बन गए हैं। जल निकासी के लिए अंडरपास पर नंबर भी लिखे हैं, मगर बारिश के दिनों में जो पानी भर जाता है उसे निकलना मुश्किल हो जाता है। रेलवे अंडरपास में जलभराव की रोकथाम के लिए कदम उठाए जाएं। शहर और कस्बों में बने ओवर ब्रिज के नीेच अतिक्रमण है। शहर के मामा चौराहे के पास बने ओवरब्रिज के नीचे कई दुकानें खुल गई हैं। रेलवे स्टेशन के पास बने ओवरब्रिज के नीचे लोगों ने अपने वाहन खड़े करना शुरू कर दिए हैं। एसपी ऑफिस के पास वाले ओवर ब्रिज के नीचे बाकायदा होटल संचालित हो रहे हैं। कोई जिम्मेदार इस ओर ध्यान दे नहीं रहा है तो सब व्यवस्थाएं राम भरोसे चल रही है। ------ शिकायतें -अंडरपास और ओवर ब्रिज की रोड क्षतिग्रस्त होने से काफी परेशानी होती है। -बारिश में तो कई महीने आवागमन भी बंद हो जाता है इससे काफी परेशानी होती है। -अराजकतत्वों की चहलकदमी से इधर से निकलना काफी मुश्किलभरा होता है। -सीसीटीवी कैमरे न लगे होने से सुरक्षा का खतरा हमेशा मंडराया करता है। -पानी भरने पर निकासी न होने से मुसीबतों का अबार लग जाता है। सुझाव -अंडरपास में जो रोड क्षतिग्रस्त है उसको सही कराने की तत्काल जरूरत है। ताकि दुर्घनाओं को रोका जा सके। -पानी भरने पर तुरंत निकासी का बंदोबस्त होना चाहिए। ताकि अंडरपास के नीचे की सड़क को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। -अराजकतत्वों की चहलकदमी न हो इस पर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए। -रेलवे अंडरपास में लाइटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। -सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इससे अराजकतत्वों पर लगाम लगाई जा सकती है। -- नंबर गेम 14 अंडरपास जिले में बने हैं 08 फ्लाईओवर बनाए गए हैं 01 लाख से अधिक लोग रोजाना प्रभावित होते हैं ------- बोले अधिकारी रेलवे अंडरपास में पंपिंग सेट लगाए गए हैं। जहां से भी पानी भरने की सूचना आती है। उसका पानी निकलवाया जाता है।जो भी अव्यवस्थाएं हैं वह जल्द ही दूर हो जाएगी। जहां भी अंडर पास अधूरे हैं वह भी जल्दी बनवाए जाएंगे। जो भी समस्याएं हैं उसका निदान करने का प्रयास किया जाएगा। सुनील कुमार वर्मा, डीआरएम --- इनकी भी सुनिए अंडरपास बनाने से पहले तमाम तरह की तकनीकी दिक्कतों का आकलन करना चाहिए था पर ऐसा नहीं हुआ। यही कारण है कि कई अंडरपास ऐसे हैं, जिनमें अक्सर पानी भर जाता है। सबसे अधिक दिक्कत बारिश में होती है। विजय कुमार --- सहूलियत के बजाय अंडरपास जानलेवा साबित हो रहे हैं। बरसात में जो हाल होता है।उसका भगवान ही मालिक है।कोई भी इन रास्ते से नहीं निकल पाता है। इससे यह एक मुसीबत बन जाते हैं। प्रभात कुमार ------- ओवरब्रिज के नीचे लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है इसे कोई देखने वाला नहीं है। वहीं अंडरपास में सबसे अधिक दिक्कत बरसात में होती है। यहां से निकलना ही नहीं हो पाता है। कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। नीरज कुमार --- अंडरपास बनने से लगा था कि इससे लोगों को सहूलियत होगी। मगर सहूलियत के बजाय नुकसान अधिक हो रहा है। अक्सर रात में अराजक तत्वों का डेरा बन जाता है। इससे इधर से निकलने में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। पीवी सिंह -- रेलवे स्टेशन के पास में अंडरपास बनने पर पहले तो खुशी हुई थी पर जैसे ही बारिश का दौर आया तो सारी खुशी काफूर हो गई। क्योंकि बारिश में पूरे अंडरपास में पानी भर जाने से जहां आवागमन बंद हो गया तो वहीं आसपास के क्षेत्र के लोगों को चक्कर लगाकर जाने को मजबूर होना पड़ता है। रमाकांत द्विवेदी ---- जल निकासी की व्यवस्था उचित रूप से होनी चाहिए थी लेकिन बारिश में जल निकासी न होने से स्थिति काफी नाजुक हो जाती है। सबसे अधिक खतरा उस समय रहता है जब रिस्क लेकर लोग इधर से निकलते हैं। इसमें जान को भी खतरा पैदा हो जाता है। राजू गुप्ता ---- गर्मियों में दोपहर में अंडरपास के आसपास सन्नाटा रहता है। इससे इधर से निकलना सुरक्षित नहीं है। जिम्मेदारों की ओर से इस पर कोई ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है। इससे दिक्कत होती है। जल्द ही इस पर सुधार होना चाहिए। रमाकांत शर्मा --- जल निकासी के लिए अंडरपास पर नंबर भी लिखे हैं, मगर बारिश के दिनों में जो पानी भर जाता है, उसे निकालना मुश्किल हो जाता है। आसपास की बस्तियों में भी पानी का भराव हो जाता है। लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन से निकलते हैं। रमेश दीक्षित ---- रेलवे अंडरपास के आसपास सुरक्षा के भी बंदोबस्त होने चाहिए। रात की छोड़िए दिन में भी निकलना सुरक्षित नहीं है। यहां आसपास के लोग यदि परिवार के साथ निकलते हैं तो दूसरे रास्तों से उन्हें जाना पड़ता है। क्योंकि आसपास अराजकतत्व मंडराते रहते हैं। जितेन्द्र वेदी ---- अंडरपास में जो जलभराव होता है, उसकी रोकथाम के लिए कदम उठाए जाएं। इससे आसपास के लोग भी परेशान हो गए हैं और तो और बारिश में तो अंडर पास बंद ही हो जाता है। क्योंकि कई फीट पानी अंडरपास में ठहर जाने से इधर से निकलना खतरे से खाली नहीं होता है। पाल ---- ओवरब्रिज के नीचे लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। इनके नीचे कई दुकानें खुल गई हैं। रेलवे स्टेशन के पास बने ओवर ब्रिज के नीचे लोगों ने अपने वाहन खड़े करना शुरू कर दिए हैं। इससे राहगीरों को दिक्कतें होती हैं लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं है। संजय गुप्ता ---- ओवरब्रिज के नीचे बाकायदा होटल संचालित हो रहे हैं। इनको कोई देखने वाला नहीं है। जबकि हजारों आदमी यहां नाश्ता करने आते हैं। कोई हादसा हो जाए तो फिर कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा यह बताने वाला कोई नहीं है। लोग अपनी मस्ती में मस्त व्यवसाय में लगे हैं। रिषभ अग्रवाल ---- अंडरपास और ओवरब्रिज की रोड क्षतिग्रस्त होने से काफी परेशानी होती है। कोई जिम्मेदार इस ओर ध्यान दे नहीं रहा है तो सब व्यवस्थाएं राम भरोसे चल रही है। इसमें सुधार के साथ ही इन व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। राजेश गुप्ता रेलवे अंडरपास तो सहूलियत के लिए बनाए गए थे पर ये तो भारी मुसीबत बन गए हैं। बारिश में तो कई महीने आवागमन भी बंद हो जाता है इससे काफी परेशानी होती है। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।जिससे लोगों को राहत मिल सके। सुरेन्द्र वर्मा छह साल से बंद है लालगंज का ओवरब्रिज लालगंज। रायबरेली-बांदा-टांडा हाईवे पर लालगंज में ध्वस्त हुए बाईपास के 120 मीटर लम्बा ओवरब्रिज छह साल से बंद है। वैसे जल्द ही इसमें आवागमन शुरू होने की उम्मीद है। अफसरों का दावा है कि जुलाई या अगस्त तक बाईपास से वाहनों का आवागमन शुरू हो जाएगा। क्षतिग्रस्त रेलवे ओवरब्रिज की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है। बाईपास के आवागमन शुरू होने से जाम की लालगंज कस्बे की समस्या से राहत मिलेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग बने रेलवे ओवरब्रिज का 16 दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उद्घाटन किया था। छह माह के भीतर पुल के मुख्य हिस्से पर दरार आ गई थी। जिला प्रशासन ने 26 मई 2019 को क्षतिग्रस्त ओवरब्रिज पर आवागमन प्रतिबंधित कर दिया था। तब से बाईपास पर आवागमन बंद है। इससे नगर में प्रतिदिन भारी वाहनों से लगने वाले जाम से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह जाम बड़े वाहनों के नगर के भीतर से प्रवेश चौबिस घंटे देने के कारण लगता है वहीं वाहनों के भारी लोड मार्ग पर होने के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से कई बार पुल की मरम्मत पूरी कर लेने की तिथियां दी गई, लेकिन अभी तक मरम्मत कार्य पूरा नहीं हो सका। इसको लेकर जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने निर्माणाधीन पुल का जायजा लिया था और अफसरों को जल्द मरम्मत करने के निर्देश दिए थे। एनएचएआई के जीजी एम विवेक वर्मा ने बताया कि बताया कि पुल की मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। जुलाई के आखिरी सप्ताह या अगस्त के प्रथम पखवाड़े तक बाईपास से आवागमन चालू हो जाएगा। ओवरब्रिज के दोनों तरफ की सर्विस रोड खस्ताहाल ऊंचाहार। नगर के रेलवे क्रॉसिंग पर बने ओवरब्रिज दोनों तरफ सर्विस रोड की स्थित खस्ताहाल हाल है। बीते दिनों तेज बारिश से सर्विस रोड पर लबालब भीषण जल भराव होने के कारण भूसे से भरा पिकअप वाहन पलट गया। लोगों को आने जाने में मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। यह समस्या जब से ब्रिज का निर्माण हुआ है तब से बनी हुई है। स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का यह सर्विस रोड काफी दिन से बदहाल है। बारिश के दिनों में सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है। छतैया में एक साल से निर्माणाधीन है अंडरपास हरचंदपुर। नौ दिन चले अढा़ई कोस की तर्ज पर बन रहा रेलवे का अंडर पास कम से कम 10 गांव के ग्रामीणों की राह में रोड़ा बन गया है। निर्माणाधीन अंडर पास में भरा बारिश का पानी मुसीबत खड़ी करने में लगा है। तेज बारिश होने पर आवागमन बाधित हो जाएगा। रेलवे लाइन पर करके आवागमन करना खतरे से खाली नहीं है। छतैया गांव में लगभग एक साल से अंडर पास का निर्माण कार्य चल रहा है। साइड वाल बनकर तैयार हो चुकी हैं। ऊंचे-नीचे रास्ते को बराबर करने के लिए राफ्ट बैंरिग होनी शेष है। टीन शेड न लगने से बारिश का पानी सीधे अंडर पास में भरता है। अभी हाल में हुई बारिश का पानी भरा हुआ है। अंडर पास से भरे पानी में पैठकर ग्रामीण किसी तरह से निकल रहें हैं। बाइक से निकलना जोखिम भरा है। अंडर पास से पूरे शीतल, पूरे देदौर, हरनी, लोधन का पुरवा, कनखरा, जुग्गा का पुरवा, पूरे अनंत, घुंघवा का पुरवा,भोला का पुरवा आदि गांवों के लोग प्रति दिन आवागमन करते हैं। स्कूली बच्चों के सामने सबसे अधिक दुश्वारियां पैदा हो रहीं हैं। रेलवे लाइन को पार करके निकलना खतरनाक बन सकता हैं।अधिक बारिश होने पर समस्या और विकराल उत्पन्न हो जाएगी। पानी निकालने के लिए सोखपिट का निर्माण नहीं हुआ है। सवाल उठता है अंडरपास में भरा पानी कैसे निकाला जाएगा। छतैया गांव में बुद्धि लाल पुत्र स्व पितई के घर सामने हाइट गेट बनाने के लिए करीब 2 महीना पहले मार्ग के किनारे पिलर का गड्ढा खोदा गया है। पिलर का फाउंडेशन बनाने के बाद मिट्टी नहीं डालीं आयीं हैं। कार्यदाई संस्था द्वारा बरती जा रहीं लापरवाही के नतीजे स्वरूप कभी दुर्घटना हो सकती हैं। गड्ढे में गिरने की दशा में पिलर के सरिया का शरीर में लगना तय है। धीमी गति से चल निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी फैलने लगी हैं। गौरा उबरनी के लोगों को अंडरपास की दरकार रायबरेली। उबरनी रेलवे स्टेशन के पास अंडर पास की दरकार है। कई सालों पहले यह सीधा रास्ता बंद कर दिया गया है। जिससे गौरा गांव के लोगों सहित इधर से निकलने वाले सैकड़ों लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं इस गांव के किसान अपने ही खेतों में ट्रैक्टर आदि ले जाने के लिए दो किलोमीटर का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रेलवे ने अचानक से मुख्य सड़क का मार्ग पिलर लगा का बंद कर दिया है। अब करीब एक किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके जाना पड़ता है। इससे लोग परेशान हो रहे हैं। इस समस्या को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है।
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