स्टांप विभाग में तबादला धांधली में शामिल अफसर भी जांच के दायरे में, नप सकते हैं IG का साथ देने वाले भी
यूपी के स्टांप विभाग में तबादला धांधली में शामिल अफसर भी जांच के दायरे में आ गए हैं। आईजी स्टांप के साथ सूची तैयार कराने में भी निचले स्तर के कई अफसरों ने भी खेल किया है
यूपी के स्टांप विभाग में तबादले में धांधली में शामिल अन्य अफसर भी जांच के दायरे में आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि महानिरीक्षक निबंधक के साथ सूची तैयार कराने में भी निचले स्तर के कई अफसरों ने भी खेल किया है। आईजी का साथ देने वाले भी नप सकते हैं। जांच के दौरान इन अफसरों के भूमिका की जांच की होगी और दोषी होने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
कार्मिक विभाग के शासनादेश के मुताबिक 10 फीसदी से अधिक समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मियों के तबादले नहीं किए जाएंगे। इसमें यह ध्यान रखा जाएगा कि एक ही स्थान पर तीन साल से लगातार काम करने वालों को हटाया जाएगा। समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मियों के स्थानांतरण का अधिकार विभागाध्यक्ष को दिया गया। स्टांप विभाग में शासन स्तर से उप महानिरीक्षक चार व सहायक महानिरीक्षक 18 स्थानांतरित किए गए।
महानिरीक्षक निबंधक द्वारा उप निबंधक 58 स्थानांतरित, 30 नई तैनाती, 114 निबंधक लिपिक और आठ चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों का स्थानांतरण किया गया। नियमत: विभागीय मंत्री से अनुमति के बाद ही तबादला आदेश जारी किया जाना चाहिए, लेकिन बताया जा रहा है कि ऐसा नहीं किया गया।
यूपी के स्टांप विभाग में तबादले में धांधली में शामिल अन्य अफसर भी जांच के दायरे में आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि महानिरीक्षक निबंधक के साथ सूची तैयार कराने में भी निचले स्तर के कई अफसरों ने भी खेल किया है। आईजी का साथ देने वाले भी नप सकते हैं। जांच के दौरान इन अफसरों के भूमिका की जांच की होगी और दोषी होने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
कार्मिक विभाग के शासनादेश के मुताबिक 10 फीसदी से अधिक समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मियों के तबादले नहीं किए जाएंगे। इसमें यह ध्यान रखा जाएगा कि एक ही स्थान पर तीन साल से लगातार काम करने वालों को हटाया जाएगा। समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मियों के स्थानांतरण का अधिकार विभागाध्यक्ष को दिया गया। स्टांप विभाग में शासन स्तर से उप महानिरीक्षक चार व सहायक महानिरीक्षक 18 स्थानांतरित किए गए।
महानिरीक्षक निबंधक द्वारा उप निबंधक 58 स्थानांतरित, 30 नई तैनाती, 114 निबंधक लिपिक और आठ चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों का स्थानांतरण किया गया। नियमत: विभागीय मंत्री से अनुमति के बाद ही तबादला आदेश जारी किया जाना चाहिए, लेकिन बताया जा रहा है कि ऐसा नहीं किया गया।
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सूत्रों का कहना है कि आईजी स्टांप विभाग में नए-नए आए थे। उन्होंने अपने निचले स्तर के अधिकारियों से इसमें सहयोग करने को कहा। बताया जा रहा है कि विभागीय स्तर के अधिकारियों ने इस मौके का फायदा उठाया और मनमाने तरीके से कर्मियों की सूची तैयार करा दी। बताते हैं कि इसमें लेनदेन का भी खूब खेल चला। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तबादले निरस्त करने के बाद पूरे मामले की जांच बैठा दी गई है। बताया जा रहा है कि आईजी स्टांप को हटाए जाने के बाद अब निचले स्तर के कुछ अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।