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बुलडोजर का डर! अवैध मस्जिद को खुद ही तोड़ने लगे मुस्लिम समुदाय के लोग, पट्टे की जमीन पर बना था

इंडो-नेपाल बॉर्डर पर अवैध धार्मिक स्थलों के विरुद्ध अभियान के तहत पीलीभीत के एक मस्जिद को अवैध चिह्नित किया गया। नोटिस जारी होने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुद मस्जिद तोड़ना शुरू कर दिया।

Pawan Kumar Sharma लाइव हिन्दुस्तान, पीलीभीतTue, 13 May 2025 06:09 PM
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बुलडोजर का डर! अवैध मस्जिद को खुद ही तोड़ने लगे मुस्लिम समुदाय के लोग, पट्टे की जमीन पर बना था

उत्तर प्रदेश सरकार ने इंडो-नेपाल बॉर्डर पर अवैध धार्मिक स्थलों के विरुद्ध अभियान के तहत पीलीभीत के भरतपुर गांव में स्थित एक मस्जिद को अवैध चिह्नित किया गया। पूरनपुर तहसीलदार ने मस्जिद के मालिक दो भाइयों जुम्मन और हैदर को नोटिस जारी कर उन्हें 16 मई तक पट्टा कैंसिल कराने या अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया था। नोटिस मिलने के बाद दोनों भाइयों ने मस्जिद में अजान और नमाज बंद कर दी। प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए वे खुद ही मस्जिद को तोड़ने में जुट गए। ग्रामीणों ने बाढ़ में धार्मिक स्थल कट जाने के बाद इसको बनवाया था और यहां इबादत होती थी।

हजारा थाना क्षेत्र के गांव नेहरू नगर में 1992 साल में शारदा नदी ने कटान किया था। जिसमें ग्रामीणों के घर व धार्मिक स्थल शारदा नदी में समा गई थी। जिन बाढ़ पीड़ितों की कृषि भूमि और घर नदी ने कटान किया था। उनको प्रशासन के द्वारा सरकारी जमीन का पट्टा कर रहने व कृषि कार्य करने के लिए जमीन उपलब्ध कराई थी। इस दौरान बाढ़ पीड़ित जुम्मन और हैदर ने पट्टे की कुछ हिस्सें की जमीन पर मिलकर धार्मिक स्थल का निर्माण कराया था। जबकि प्रशासन ने इसके लिए जमीन नहीं दी थी। गांव में करीब 1400 की आबादी रहती है। आबादी में करीब 550 लोग मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखते हैं। मुस्लिम समाज के अधिकांश लोग इसी मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए एकत्र होते थे।

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पिछले महीने प्रशासन ने दोनों बाढ़ पीड़ित किसानों को नोटिस देते हुए पट्टे की जमीन पर धार्मिक स्थल के निर्माण कराने को लेकर जवाब मांगा था। नोटिस में कहा गया था कि वह लोग खुद इसे हटा लें अन्यथा प्रशासन को कार्रवाई करनी होगी। प्रशासन की सख्ती के बाद ग्रामीणों ने बैठक की और किसी तरह का विवाद उत्पन्न ना हो इसको लेकर इबादत बंद कर सोमवार को इसे तोड़ना शुरू कर दिया। इस मामले में एसडीम अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि गांव में अनाधिकृत तौर पर धार्मिक स्थल को लेकर नोटिस दिया गया था। जवाब तो नहीं आया लेकिन उक्त लोगों ने खुद ही निर्माण को हटाना शुरू कर लिया है।

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