बोले मेरठ : वैश्य समाज को मिले सुरक्षा और मान, महापुरुषों का हो सम्मान
Meerut News - मेरठ में वैश्य समाज ने अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने की अपील की है। समाज के लोग शिक्षा, नौकरी और महापुरुषों के सम्मान की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि छोटे व्यापारियों को भी महत्त्व...
मेरठ। भारतवर्ष की विविधता भरी संस्कृति में वैश्य समाज एक ऐसा वर्ग है, जिसने सदियों से देश की आर्थिक नींव को मजबूती दी है। व्यापार, सेवा, उद्योग और अर्थनीति की हर शाखा में वैश्य समाज का योगदान सराहनीय रहा है। आज जब देश बदल रहा है, तकनीक आगे बढ़ रही है, और शिक्षा का क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है, ऐसे में वैश्य समाज को शिक्षा, नौकरी और सामाजिक स्वीकार्यता के क्षेत्र में खुद को आगे रखने और समाज के महापुरुषों के सम्मान की दरकार है। मेरठ शहर में वैश्य समाज की करीब साढ़े तीन लाख आबादी है। विधानसभावार बात की जाए तो शहर विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 हजार जनसंख्या है।
कैंट विधानसभा में एक लाख, दक्षिण विधानसभा में 80 हजार और सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में 75 हजार की जनसंख्या है। प्राचीन परंपरा में वैश्य समाज को व्यापार, उद्योग और वाणिज्य का मुख्य आधार माना गया है। यह समाज सदियों से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। आधुनिक समय में वैश्य समाज को भी कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर नौकरी, शिक्षा और सामाजिक पहचान को लेकर। हिन्दुस्तान बोले मेरठ टीम ने वैश्य समाज के लोगों से संवाद कर उनके मन की बात जानी, उनकी परेशानियों को जानने का प्रयास किया। समाज के लोगों का कहना है कि वैश्य समाज को सामान्य वर्ग में गिना जाता है लेकिन वैश्य समाज के सभी लोग संपन्न नहीं हैं। छोटे दुकानदार, मध्यमवर्गीय व्यापारी और निम्न आय वर्ग के लोग भी इस समाज का हिस्सा हैं। जिनको अनदेखा किया जाता है, जबकि उनको भी मुख्य धारा में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि समाज की दशा और दिशा को नया मुकाम मिले। युवाओं को मिले नौकरी में लाभ वैश्य समाज के लोगों का कहना है कि आज समाज के युवा सेना में शामिल हो रहे हैं। आईएएस बन रहे हैं लेकिन उन्हें सरकारी नौकरियों में आरक्षण नहीं मिलता, जिससे योग्य युवा प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जाते हैं। समाज के युवाओं की उपेक्षा ना की जाए, उन्हें भी बेहतर अवसर प्रदान किए जाएं ताकि समाज के युवा खुद को साबित कर सकें। पूरा समाज चाहता है कि सभी जगहों पर हमारे युवाओं की भागीदारी होनी चाहिए। वह अपना प्रतिनिधत्व करें ताकि समाज का नाम हो। समाज के युवाओं की प्रतिभा का सम्मान हो। समाज के महापुरुषों का हो सम्मान वैश्य समाज के लोगों का कहना हैं, कि हमारा सबसे बड़ा पूज्यनीय स्थल अग्रोहा धाम हरियाणा में है। यहां वैश्य समाज के महापुरुष पूज्यनीय महाराज अग्रसेन का मंदिर है, जो माता लक्ष्मी और सरस्वती माता के मंदिर के साथ बना हुआ है। मेरठ शहर में भी हमारे महापुरुषों के नाम पर बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। तेजगढ़ी चौराहे का नाम महाराजा अग्रसेन चौराहा रखा गया है, लेकिन आज भी सरकारी कागजों में इसका नाम तेजगढ़ी चौराहा ही चल रहा है। हम चाहते हैं कि सरकारी दस्तावेजों में भी चौराहे का नाम महाराजा अग्रसेन ही रहे। इतिहास में भी पढ़ाए जाएं महापुरुष वैश्य समाज के लोगों का कहना है कि देशभर में समाज के 80 फीसदी लोग व्यापारी हैं। सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले लोग भी हम ही हैं, इसके बावजूद हमारे महापुरुषों की उपेक्षा की जाती है। जबकि उन्होंने देश की आर्थिक नीति में भागीदारी निभाई। जिस तरह अन्य समाज के महापुरुषों के बारे में इतिहास में पढ़ाया जाता है, उसी तरह हमारे महापुरुष महाराजा अग्रसेन, लाला लाजपत राय और भामाशाह को भी इतिहास में शामिल किया जाए। उनके बलिदान और इतिहास के बारे में सबको पता चले। समाज के युवा अपने महापुरुषों के बारे में जान सकें। साथ ही महाराज अग्रसेन जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए और कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। छोटे व्यापारियों को मिले अहमियत, चौराहे का बदले नाम वैश्य समाज के लोगों का कहना है, कि छोटे व्यापारियों को भी अहमियत मिलनी चाहिए, उनकी भागीदारी व्यापार और समाज में बराबर होती है। सरकारी नीतियों में बदलाव किया जाए ताकि समाज के छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को मौका मिले, उनका रोजगार बढ़े। वहीं, फुटबॉल चौराहे के आसपास बड़ी संख्या में वैश्य समाज के लोग रहते हैं। इसे देखते हुए चौराहे पर महाराजा अग्रेसने की मूर्ति लगे और नाम बदलकर अग्रसेन चौक किया जाए। व्यापारियों की सुरक्षा का रखा जाए ध्यान वैश्य समाज में अधिकतर लोग व्यापारी हैं, कई बार असामाजिक तत्वों द्वारा धमकियां मिलती हैं, जिस पर पुलिस सही ठंग से एक्शन नहीं ले पाती। ऐसे में व्यापारियों में सुरक्षा का भाव कई बार नजर नहीं आता। इसके लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा ऐसे किसी भी मामले में समाज के व्यक्ति की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए। सरकारी कामों में शोषण कम होना चाहिए। साथ ही हम जो टैक्स भरते हैं, उसके हिसाब से अगर सुविधाएं मिलें तो समाज भी अपना अलग मुकाम हासिल करेगा। समस्या - सरकारी नौकरियों में युवाओं की भागीदारी कम है - व्यापारियों को कई बार असुरक्षा का भाव झेलना पड़ता है - महापुरुषों के नाम सरकारी दस्तावेजों में प्रयोग नहीं होते - महापुरुषों की जयंती के नाम पर अवकाश नहीं होता - सरकारी विभागों में कई बार शोषण की बात सामने आती है सुझाव - सरकारी नौकरियों में युवाओं को बेहतर अवसर मिलें - शहर में व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए - महापुरुषों के नाम वाले स्थल सरकारी दस्तावेजों में प्रयोग हो - महाराजा अग्रसेन की जयंती के नाम पर अवकाश घोषित हो - विभागों में काम के नाम पर व्यापारियों का शोषण रोका जाए बोले समाज के लोग वैश्य समाज के महापुरुषों का भी सम्मान होना चाहिए, उनको भी इतिहास में पढ़ाया जाए, ताकि युवा पीढ़ी उन्हें जान सकें। - योगेश मोहन गुप्ता समाज के युवा आज व्यापार से हटकर सरकारी नौकरियों में भी अपना नाम कमा रहे हैँ, उनकी प्रतिभा का सम्मान होना चाहिए। - दीपक गर्ग कई कारणों से वैश्य समाज के गरीब वर्ग के बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, उनको भी सरकारी सहायता मिलनी चाहिए। - नीरज मित्तल सरकारी संस्थाएं हमारे महापुरुषों के बारे में सोचे, उनका सम्मान होना चाहिए, किताबों में उनका इतिहास शामिल किया जाए। - अंशुल गुप्ता महाराजा अग्रसेन, भामाशाह और लाला लाजपतराय जैसे महापुरुषों की जयंती मनाई जाए और सरकारी कार्यक्रम किए जाने चाहिएं। - श्रीकृष्ण गुप्ता वैश्य समाज के अस्सी फीसदी लोग व्यापारी हैं, उन्हें विभागों में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो सही नहीं। - सदीप सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला यह समाज उपेक्षाओं का शिकार होता है, सरकारी विभागों में काम के लिए भटकना पड़ता है। - पीयूष सिंघल छोटे व्यापारियों को भी अहमियत दी जाए, सरकारी नीतियों में उनको भी शामिल किया जाए और उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो। - दीपक देखा जाए तो समाज के लोगों को उतनी सुविधाएं नहीं मिलतीं जितना वो टैक्स देते हैं, सरकारी योजनाओं का हमें भी लाभ मिले। - मनोज गुप्ता हमारे महापुरुषों में महाराजा अग्रसेन की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए, जयंती धूमधाम से मनाई जाए। - अवनीत बंसल सरकारी कार्यालयों में लोगों का कार्य समय पर होना चाहिए, समाज के लोग कई बार अपना काम कराने के लिए भटकते हैं। - एस रविचंद्रन तेजगढ़ी चौराहे का नाम महाराजा अग्रसेन चौराहा रखा गया है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में अब भी तेजगढ़ी ही लिखा जाता है। - निमेष गोयल दिल्ली रोड पर फुटबॉल चौराहे का नाम बदलकर महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखा जाए, वहां उनकी कास्य की मूर्ति लगे। - प्रवीण कुमार गुप्ता व्यापारियों के लिए सुरक्षा का मुद्दा भी बहुत बड़ा है, कई बार असामाजिक तत्वों से धमकियां मिलती हैं, जिस पर कार्रवाई नहीं होती। - अमित बंसल -----------------------------------
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