संस्कृत ज्ञान-विज्ञान एवं आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत
Meerut News - संस्कृत ज्ञान-विज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। संस्कृत भारती के प्रमुख श्रीराम ने कहा कि इसे जानना जरूरी है। जयप्रकाश गौतम ने संस्कृत के महत्व को बताया, जबकि डॉ. वाचस्पति मिश्र ने युवा पीढ़ी...

संस्कृत ज्ञान-विज्ञान के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। संस्कृत से ही हम भारतीय ज्ञान-विज्ञान, भारतीय संस्कृति और संस्कार को सही ढंग से पहचान सकते हैं। ऐसे में संस्कृत को जानना, सीखना और समझना जरूरी है। बालेराम ब्रजभूषण विद्यामंदिर में संस्कृत भारती पश्चिमी उप्र और उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जारी आवासीय प्रशिक्षण वर्ग एवं योग शिविर में यह बातें संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रशिक्षण प्रमुख श्रीराम ने कही। अखिल भारतीय संघटन मंत्री जयप्रकाश गौतम ने कहा कि संस्कृत रहेगी तो विश्व में संस्कृति, संस्कार, समरसता, विश्वबन्धुत्व एवं वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना रहेगी। पश्चिमी उप्रदेश क्षेत्र के संघटन मंत्री देवेन्द्र पण्ड्या ने कहा कि हम अपने सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रीति-रिवाजों को भूलते जा रहे है।
ऐसे समय में संस्कृत ही हमको सही मार्ग पर ला सकती है। उप्र संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यास अध्यक्ष डॉ.वाचस्पति मिश्र ने कहा कि संस्कृत साहित्य में निहित ज्ञान निधि ही मानव की रक्षा कर सकती व सही पथ प्रदर्शित कर सकती है। युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत ज्ञान परम्परा से अवगत कराना होगा। शाम को शोभायात्रा निकाली गई, लेकिन बारिश के कारण बीच रास्ते में ही इसे स्थगित करना पड़ा। राजगोपाल कात्यायन, प्रभाकरण मणि, अर्जुन, संजीव अग्रवाल, प्रमोद, अशोक गुप्ता, योगेश विद्यार्थी, गौरव शास्त्री, नीलकमल, संदीप कुमार, नीरज, अर्जुन, कुलदीप मैंदोला, तरुण, आकाश मौजूद रहे।
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