Hindi NewsUttar-pradesh NewsMau NewsRising Malnutrition in Mau Over 9 000 Children Affected Despite Government Efforts

पांच माह में 129 अतिकुपोषित बच्चों का हुआ इलाज

Mau News - मऊ जनपद में कुपोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जहां 9000 से अधिक बच्चे कुपोषित हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा पौष्टिक आहार वितरण किया जा रहा है, फिर भी स्थिति नियंत्रण से बाहर है। पोषण...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊThu, 26 June 2025 01:59 AM
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पांच माह में 129 अतिकुपोषित बच्चों का हुआ इलाज

मऊ। जनपद में कुपोषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास विभाग के कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से लगातार बच्चों के अभिभावकों को जागरूक करने के साथ पौष्टिक आहार का वितरण प्रतिमाह निशुल्क किया जा रहा है, बावजूद इनकी तादाद कम नहीं हो रही है। जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या नौ हजार और अति कुपोषित की संख्या दो हजार के पार हो गई है। पिछले पांच माह में 129 अति गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती कर उपचार किया जा चुका है। साथ ही जून माह में अब तक में 23 अतिकुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है।

वहीं मई माह में सबसे ज्यादा 28 अति कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया। जबकि तेजी से कुपोषण के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकार की तरफ से तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद स्थिति नियंत्रण के बाहर निकलती जा रही है। जनपद के 2546 आंगनबाड़ी केंद्रों में 195046 बच्चे और धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं। इसमें 9221 कुपोषित व लगभग 2106 अति कुपोषित बच्चे हैं। इनकी निगरानी के लिए आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही कुपोषण और अति कुपोषण के शिकार बच्चों की निगरानी पोषण ट्रैकर एप के माध्यम से जिला मुख्यालय से की जा रही है।आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा महीने में प्रत्येक माह बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है। इस दौरान बच्चे का वजन और लंबाई की जांच की जाती है। आयु के अनुसार लंबाई और वजन कम होने पर बच्चे को कुपोषित की श्रेणी में रखा जाता हैं और शारीरिक विकास के लिए पौष्टिक ड्राई राशन सामान्य से ज्यादा उपलब्ध कराने के साथ ही टीकाकरण दिवस पर निश्शुल्क दवा खिलाई जाती है। इसके बाद भी कुपोषित बच्चों में शारीरिक विकास नहीं होने पर जिला मुख्यालय स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर इलाज किया जाता है। यहां पर शिशु के साथ मां को आवासीय सुविधा के साथ ही खाना, पीना, दवा और इलाज की निश्शुल्क व्यवस्था की जाती है। साथ ही भर्ती रहने की अवधि के दौरान 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से धनराशि बच्चे के मां के खाता में भेजा जाता है। यहां से डिस्चार्ज होने के बाद एक माह में दो बार बच्चे की जांच निश्शुल्क किया जाता है। इसके लिए आने-जाने के खर्च के तौर पर 100 रुपये दिया जाता है। जिला अस्पताल में बना है दस बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र मऊ। जिला अस्पताल में दस बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किया गया है। यहां पर अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उपचार किया जाता है। बच्चों के इलाज के लिए पुनर्वास केंद्र पर एक चिकित्सक सहित स्टाफ नर्स की तैनाती की गई है। विभाग की मानें तो अतिकुपोषित बच्चों को 14 दिन भर्ती कर इलाज किया जाता है। इन दिनों में भर्ती होने वाले बच्चे और मां की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही डिस्चार्ज होने वाले बच्चों की चार माह तक 15-15 दिन पर पुनर्वास केंद्र पर बुलाकर जांच की जाती है। वहीं केंद्र को पूरी तरह से वातानुकूलित बनाने के साथ ही बच्चों को खेलने के लिए खिलौनों की भी व्यवस्था की गई है। इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। भर्ती बच्चों को वजन के हिसाब से दी जाती है डाइट मऊ। एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों को आहार देने के लिए डाइटीशियन उनके वजन के हिसाब से पौष्टिक आहार देते हैं। प्रतिदिन अलग-अलग पौष्टिक आहार दिया जाता है। प्रभारी सीएमएस जिला चिकित्सालय डॉ. सीपी आर्या ने बताया कि एनआरसी की प्रतिदिन मानीटरिंग की जाती है। यहां पर नौनिहालों को भर्ती कर बेहतर उपचार किया जाता है। जिले में किसी को भी यदि किसी बच्चे के कुपोषित होने की जानकारी मिलती है तो उसको अवश्य इस केंद्र पर भेज इलाज कराएं। कुपोषित बच्चों के आहार - तीन साल के बच्चे को 24 घंटे में दो कप दूध, दो कटोरी दाल, 3-4 कटोरी मिक्स अनाज छह से आठ बार खिलाना ठीक रहता है। - बच्चों को साफ पानी ही देना चाहिए। - कोई भी संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। - छह माह के बच्चों को मां के दूध के अलावा दो कटोरी मसला हुआ खाना दिनभर में थोड़-थोड़ा कर के खिलाना चाहिए। - आठ से दस महीनों के बच्चों को मां के दूध के अलावा तीन कटोरी प्रोटीन युक्त खाना दिनभर में खिला देना चाहिए। - हर मौसम में विभिन्न मौसमी फलों या उनके रस को बच्चों को दें। कुपोषण के लक्षण - जन्म के समय दो किलो से कम वजन होना। - बच्चे में चिड़चिड़ापन और सुस्ती रहना। - बार-बार बीमारियों की चपेट में आना। - बच्चे में उम्र के साथ वजन न बढ़ना। - कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो खाया पिया नहीं पचा पाते। दवा की नि:शुल्क व्यवस्था पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने वाले बच्चों का विशेष ध्यान दिया जाता है। इनके खान-पान से लेकर जांच और दवा की नि:शुल्क व्यवस्था है। भर्ती होने वाले बच्चों के मां के खाता में दूसरे पोषक तत्वों के लिए 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है। डा. सीपी आर्या, प्रभारी सीएमएस जिला अस्पताल, मऊ। लगातार प्रयास किया जा रहा कुपोषण को रोकने के लिए शासन एवं विभाग की तरफ से लगातार प्रयास किया जा रहा है। लंबाई और वजन के आधार पर बच्चों की स्क्रीनिंग होती है। इसमें कमी मिलने पर बच्चों को निश्शुल्क ड्राई राशन एवं दवा दिया जाता है। साथ ही कुपोषित बच्चों की निगरानी पोषक ट्रैकर एप से किया जाता है। - राधेश्याम, प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी, मऊ।

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