धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
Maharajganj News - महराजगंज के बड़हरा महंथ में प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा धूमधाम से निकाली गई। श्रद्धालुओं ने गगनभेदी जयकारों के साथ भगवान को रथ पर विराजमान किया। 15 दिनों के एकांतवास के बाद...

कटहरी/ठूठीबारी,महराजगंज हिन्दुस्तान संवाद। सिसवा क्षेत्र के ग्राम सभा बड़हरा महंथ में 239 वर्ष पूर्व स्थापित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से उड़ीसा के जगन्नाथपुरी के तर्ज पर शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने गगनभेदी जयकारों के साथ भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली। 15 दिनों के एकांतवास में विश्राम के बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्तों को दर्शन देकर निहाल कर दिया। भगवान को रथ पर आसीन करने के पूर्व मठाधीश महंथ संकर्षण रामानुज दास सहित अन्य पुजारियों द्वारा मंदिर के गर्भगृह में सर्वऔषधि व गुलाब जल मिश्रित 108 घड़ों के जल से भगवान को स्नान कराया गया। दिन में 12 बजे मंगल आरती के बाद पट को भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिया गया।
नंदीघोष लकड़ी के रथ पर भगवान जगन्नाथ को बहन सुभद्रा व भाई बलराम के साथ विराजमान करने के बाद रथयात्रा प्रारंभ की गई। गंगा-जमुनी तहजीब के तहत हिन्दू-मुस्लिम श्रद्धालुओं ने भगवान के रथ को आस्था के साथ अपने कंधों पर खींचना शुरू किया। समूचा माहौल भक्ति-भाव में सराबोर हो गया। अबीर-गुलाल के साथ रथयात्रा में शामिल हुईं महिलाएं मंगल गीत गा रही थीं। यात्रा में शामिल विभिन्न देवी-देवताओं की मनमोहक झांकियां रथयात्रा की शोभा बढ़ा रही थीं। क्षेत्र के विभिन्न गांवों का भ्रमण करने के बाद रथ यात्रा हिरणी नदी से वापस बरवां दिगंबर नहर पर पहुंची। यहां आयोजित मेले में देव मिलन के बाद शोभा यात्रा का समापन हुआ। इसके बाद मंदिर के गर्भगृह में भगवान को चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया। इस दौरान मठ के उत्तराधिकारी बृजेश रामानुज दास, दुर्गेश मिश्रा, अमरजीत, विनीत, रमाशंकर, सुरेश तिवारी, ओमप्रकाश पांडेय, राजेंद्र, विनय, मोहन, रामानंद सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। 15 दिन एकांतवास के बाद रथ पर सवार होते हैं भगवान जगन्नाथ बड़हरा महंत स्थित प्राचीन मंदिर में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को सहस्त्रत्त्धारा स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए एकांतवास में चले जाते हैं। इस परंपरा को अनबसर कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके सुदर्शन, भैया बलराम व बहन सुभद्रा को मौसमी बुखार हो जाता है। भगवान को गर्भगृह से निकालकर अनबसर घर में रखा जाता है। सेवकों द्वारा प्रत्येक दिन जायफल व तुलसी व औषधियों का काढ़ा दिए जाने के बाद 16वें दिन यानी आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को रथयात्रा में भगवान पुन: भक्तों को दर्शन देते हैं। चाक चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था रथ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने में प्रभारी निरीक्षक कोठीभार धर्मेंद्र कुमार सिंह के साथ निचलौल, सिंदुरिया, भिटौली, पनियरा, ट्रैफिक पुलिस, महिला कॉंस्टेबल, फायर सर्विस व एक प्लाटून पीएसी के जवान मुस्तैद रहे। श्रद्धालुओं के अनुशासन के चलते पुलिस कर्मियों को शांति व्यवस्था बनाए रखने में कोई परेशानी नहीं हुई।
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