शिक्षाधिकारियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे 2000 शिक्षक
Lucknow News - लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गलती का खामियाजा प्रदेश के दो

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गलती का खामियाजा प्रदेश के दो हजार पुरानी पेंशन व्यवस्था से अच्छादित शिक्षक-शिक्षिकाएं भुगतने को बाध्य हैं। कारण माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर इससे संबंधित सूची एवं उससे जुड़े आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं। ये ऐसे शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं, जिनकी पहली अप्रैल 2005 के पूर्व विज्ञापित पदों के सापेक्ष नियुक्ति हुई थी और सरकारी आदेश के तहत पुरानी पेंशन के हकदार हैं। छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी माध्यमिक शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षकों की सूची फाइनल नहीं कर सका है। विलम्ब को देखते हुए शिक्षक संगठनों ने इस मामले में मुख्यमंत्री से दखल देने की अपील की है, साथ ही चेतावनी दी है कि अगर समय रहते पात्र शिक्षकों की सूची जारी नहीं की गई तो संगठन इस मुद्दे पर आन्दोलन का रास्ता अपनाने को बाध्य होगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पाण्डेय गुट) ने इस मामले में गहरी नाराजगी जताते हुए आर-पार की लड़ाई शुरू करने की धमकी दी है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह पटेल एवं प्रदेश प्रवक्ता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि गैर सरकारी माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में बीते 28 मार्च 2005 के पूर्व विज्ञापित पदों के सापेक्ष नियुक्त शिक्षकों की निदेशालय स्तर पर लंबित पुरानी पेंशन से अच्छादित शेष बचे शिक्षकों की सूची अब तक जारी न करना घोर लापरवाही और अक्रमन्यता की श्रेणी में आता है। इसके लिए अधिकारियों को दण्डित किया जाना चाहिए। दोनों शिक्षक नेताओं ने बताया कि अब तक शिक्षकों की जारी सूची से संबंधित शिक्षकों की एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) कटौती बंद कर जीपीएफ कटौती अप्रैल से प्रारंभ कर दी गई है। ऐसे में अपनी बारी का इंतजार कर रहे शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने साथ निदेशालय द्वारा किए जा रहे भेदभाव को लेकर चिंतित है कि एक साथ ही विद्यालयों से भेजे गए प्रकरणों मे से इस प्रकार का सौतेला व्यवहार क्यों अपनाया जा रहा है। शिक्षक नेताओं ने इस प्रकार के भेदभाव को समाप्त कर शेष बचे शिक्षक शिक्षिकाओं की सूची अविलंब जारी कर उनके एनपीएस की कटौती बंद कर जीपीएफ खातों का आवंटन कर सीधे नियमानुसार कटौती किए जाने की मांग की है। साथ ही कहा है कि शेष बचे लोगों के साथ किए जा रहे भेदभाव पूर्ण एवं सौतेले व्यवहार को समाप्त किया जाना चाहिए।
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