कैंसर संस्थान के ओटी कॉम्प्लेक्स की छत से गिर कर मरीज की मौत
Lucknow News - चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में एक मरीज, जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था, ओटी कॉम्प्लेक्स की छत से गिरकर मृत हो गया। मरीज को इलाज के लिए लाया गया था, लेकिन वह अचानक गायब हो गया और छत से...

चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में ओटी कॉम्प्लेक्स की छत से गिरकर मरीज की मौत हो गई। मरीज काफी समय से कैंसर से लड़ रहा था। शव को पोस्टमार्टम के लिए पुलिस को सौंप दिया गया है। बांदा निवासी दादू राम (45) ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थे। 19 जून को इलाज के लिए पीजीआई में पहुंचे। वहां उन्हें ब्रेन का एमआरआई कराने की सलाह दी गई। एमआरआई जांच व रिपोर्ट लेकर पीजीआई ओपीडी पहुंचे। वहां से मरीज को कल्याण सिंह कैंसर संस्थान जाने की सलाह दी गई। शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे परिवारीजन मरीज को लेकर कैंसर संस्थान पहुंचे।
पंजीकरण काउंटर पर कर्मचारियों से ओपीडी की जानकारी मांगी। कर्मचारियों ने शनिवार को सुबह डॉक्टर के उपलब्ध होने की जानकारी दी। तलाश के बाद भी नहीं मिला मरीज इसी दौरान दादू राम परिवारीजनों को छोड़कर गायब हो गए। परिवारीजनों ने परिसर में आस-पास देखा पर कहीं नहीं दिखे। इस पर कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मचारियों को भी जानकारी दी। इसी दौरान दादू ओटी कॉम्प्लेक्स की छत से गिरे पाए गए। छत से गिरने की वजह से उनके सिर व शरीर के कई अंगों से खून बहने लगा। खून से लथपथ हाल में परिवारीजन कर्मचारियों की मदद से इमरजेंसी ले गए, जहां डॉक्टरों ने जरूरी जांच की। इसके बाद मृत घोषित कर दिया। साथ आए भाई और पत्नी समेत अन्य परिवारीजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उठा सवाल, छत तक कैसे पहुंचे कैंसर संस्थान के बहुमंजिला भवनों की छत के दरवाजे खुले रहते हैं। ऐसे में कोई भी व्यक्ति छत तक आसानी से जा सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर मरीजों को शारीरिक व मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। कई बार मरीज बीमारी से आजिज आकर आत्महत्या तक करने की कोशिश करते हैं। परिवारीजनों का कहना है कि दादू राम इलाज की बदइंतजामी से काफी परेशान हो गए थे। लिहाजा वे बार-बार घर चलने की जिद कर रहे थे। फिर वह छत तक कैसे पहुंचे? क्या उन्होंने आत्महत्या की है? वर्जन परिवारीजन मरीज को लेकर शाम को संस्थान आए थे। ओटी कॉम्प्लेक्स की छत से गिरकर मरीज की मौत हो गई। वह ब्रेन कैंसर की चपेट में थे। शनिवार को ओपीडी में दिखाना था। मरीज कैसे छत पर पहुंचा। इसका पता लगाया जाएगा। डॉ. गौरव सिंह, प्रवक्ता, कैंसर संस्थान
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