चार साल बीत गए पर यूपीएससी ने सीबीआई को दस्तावेज नहीं दिए
Lucknow News - सीबीआई एपीएस-2010 और पीसीएस-2015 भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच कर रही है, लेकिन यूपीपीएससी सहयोग नहीं कर रहा है। सीबीआई के निदेशक ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बताया कि यदि 30 दिनों में आवश्यक...

एपीएस-2010 और पीसीएस-2015 भर्ती परीक्षा की जांच का मामला सीबीआई के डायरेक्टर ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा एपीएस-2010 भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच कर रही सीबीआई लखनऊ, विशेष संवाददाता उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की अपर निजी सचिव (एपीएस)-2010 की भर्ती की जांच के लिए सीबीआई को दस्तावेज ही नहीं दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं आयोग लोक सेवकों के खिलाफ जांच की अनुमति भी चार साल से नहीं दे रही है। सीबीआई की जांच इस वजह से ही तेजी नहीं पकड़ पा रही है। अब सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर आयोग के इस रवैये पर नाराजगी जताई है।
निदेशक ने कहा है कि अगर 30 दिन में सीबीआई आरोपी अफसरों के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति और मांगे गए दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराती है तो वह जांच बंद कर देगी। उसने पीसीएस-2015 की भर्ती की जांच में भी आयोग का ऐसा ही रवैया अपनाए जाने की बात लिखी है। वर्ष 2022 में एक और 2025 में तीन पत्र भेजे सीबीआई के डायरेक्टर ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि उन्हें आयोग के तत्कालीन सिस्टम एनालिस्ट गिरीश गोयल, अनुभाग अधिकारी विनोद कुमार सिंह, समीक्षा अधिकारी लाल बहादुर पटेल के खिलाफ जांच के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। जांच में आयोग के नामित लोक सेवकों की ओर से संदिग्ध कृत्य सामने आए थे। कुछ दस्तावेज भी मांगे गए थे। सीबीआई ने इस मामले में आयोग को तीन नवम्बर 2022, वर्ष 2025 में 24 मार्च, 23 अप्रैल और 14 मई को पत्र भेजा गया। इसी तरह सीबीआई ने पीसीएस-2015 की परीक्षा में धांधली के आरोप पर कई दस्तावेज वर्ष 2023 से एक जनवरी, 2025 तक आठ बार पत्राचार कर मांगे गए। आयोग की ओर से 15 जुलाई 2023, 21 अप्रैल 2024 और एक जनवरी 2025 को पत्राचार किया गया लेकिन आयोग ने सारे दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराए। 30 दिन में दस्तावेज न मिले तो जांच बंद सीबीआई ने मुख्य सचिव को अपने पत्र में लिखा है कि चार साल से ज्यादा समय बीत जाने पर भी आयोग ने सहयोग नहीं किया है। लोकसेवक के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति भी नहीं दी। इससे सीबीआई ठीक से जांच नहीं शुरू कर पा रही है। इस वजह से जांच भी सुस्त चल रही है। सीबीआई ने पत्र में लिखा है कि उनके प्रस्ताव के बारे में यूपीपीएससी की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यदि अगले 30 दिनों में इस सम्बन्ध में आयोग सहयोग करते हुए दस्तावेज नहीं देता है तो जांच को बंद करने का निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह था मामला एपीएस के 250 पदों की भर्ती में आयोग पर काफी मनमानी करने का आरोप लगा था। उस समय कहा गया था कि जो अभ्यर्थी टाईपिंग व शार्ट हैंड की परीक्षा में फेल हो गए थे, उनकी भी भर्ती कर ली गई थी। कई अभ्यर्थियों ने कम्प्यूटर का फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी हासिल कर ली थी। जांच में यह गड़बड़ियां सही मिलने पर सीबीआई ने आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ और आयोग के कुछ कर्मचारियों व निजी व्यक्तियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। इस पद के लिए वर्ष 2010 में विज्ञापन निकाला था। इसका अंतिम परिणाम वर्ष 2017 में आया था।
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