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यूपी में गांवों की तरह शहरों का तैयार होगा भूमि रिकार्ड, बनेगा नक्शा, जानिए क्या-क्या फायदे

यूपी में गांवों की तरह शहरों का भी भूमि रिकार्ड तैयार होगा। जमीनों का नक्शा बनाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट में 10 निकायों को शामिल किया गया है। इससे मालिकाना के निर्धारण और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊ, विशेष संवाददाताMon, 9 June 2025 08:57 PM
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यूपी में गांवों की तरह शहरों का तैयार होगा भूमि रिकार्ड, बनेगा नक्शा, जानिए क्या-क्या फायदे

उत्तर प्रदेश में गांवों की तरह शहरों का भी भूमि रिकार्ड तैयार कराया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए नक्शा पायलेट कार्यक्रम में प्रदेश के 10 निकायों को इसमें शामिल किया गया है। इससे भूमि का मालिकाना हक निर्धारण करने और संपत्तियों के हस्तांतरण में होने वाली धोखाधड़ी में रोक लगेगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी और राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने सोमवार को संयुक्त रूप से बातचीत में ये जानकारियां दीं। केंद्रीय सचिव द्वारा उत्तर प्रदेश में डिजिटल इंडिया भूमि रिकार्ड माडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) और शहरी क्षेत्रों के भूमि रिकार्ड तैयार करने संबंधी कार्यक्रम में तैयार कराए जा रहे ‘नक्शा’ की समीक्षा की।

उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों के भूमि रिकार्ड तैयार करने के लिए देश के 27 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 157 शहरी स्थानीय निकायों में यह काम पहले चरण में शुरू कराया गया है। इसमें यूपी के 10 निकाय हैं। इसमें टांडा अंबेडकरनगर, नवाबगंज बाराबंकी, अनूपशहर बुलंदशहर, चित्रकूटधाम, गोरखपुर, हरदोई, झांसी, चुनार मिर्जापुर, पूरनपुर पीलीभीत और तिलहर शाहजहांपुर शहरी निकाय हैं। इन निकायों में हवाई और क्षेत्र सर्वेक्षण कराते हुए नक्शा तैयार कराते हुए शहरी भूमि का एक व्यापक जीआईएस आधारित एकीकृत डेटाबेस तैयार कराया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 22.27 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में रहती है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2031 तक शहरी जनसंख्या लगभग 40 प्रतिशत हो जाएगी। अभी तक प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के जो भी भूमि रिकार्ड हैं, वो निकायों द्वारा टैक्स वसूली के लिए तैयार कराया गया है, यह मालिकाना हक निर्धारण के लिए पर्याप्त नहीं है। नक्शा कार्यक्रम में तैयार शहरी भूमि रिकार्ड से मालिकाना हक सहित भूमि की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। इससे शहरी क्षेत्र की परिसंपत्तियों के लेन-देन में धोखाधड़ी पर रोक लगेगी और विवाद की स्थिति में न्यायिक कार्यवाही में आसानी होगी।

उन्होंने बताया कि नक्शा तैयार होने के बाद जनसंख्या घनत्व के अनुसार अवस्थापना सुविधाएं देने में आसानी होगी। निकायों को टैक्स वसूली में आसानी होगी, आपदा की तैयारी और निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय अधिकारियों ने चयनित 10 शहरी निकायों के नोडल अधिकारियों के साथ इसे तैयार करने में आने वाली जमीनी कठिनाइयों के संबंध में भी विचार विमर्श किया गया। बैठक में कुनाल सत्यार्थी संयुक्त सचिव भूमि संसाधन विभाग ग्रामीण विकास केंद्रीय मंत्रालय के साथ प्रमुख सचिव-राजस्व, स्टांप एवं निबंधन, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद आदि उपस्थित रहे।

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