राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय भवन को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश
Kushinagar News - कुशीनगर के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय सलेमगढ़ को 56 वर्षों से अस्थायी भवन में चलाया जा रहा है। जर्जर स्थिति और भूमि की कमी के कारण ग्रामीणों में आक्रोश है। अस्पताल के लिए मानक भूमि उपलब्ध नहीं होने...

कुशीनगर। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय सलेमगढ़ के लिए अभी तक विभागीय भवन नहीं मिला है। इसके जर्जर भवन में संचालित होने के चलते सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। क्योंकि पिछले 56 वर्षों से यह अस्पताल किराए के भवन या अस्थायी व्यवस्था के तहत ही संचालित होता रहा है। हाल ही में लेखपाल द्वारा प्रस्तावित एक कट्ठा भूमि की पैमाइश कर स्वास्थ्य विभाग को भेजा गया था, लेकिन वह भूमि राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के निर्माण के मानक के अनुसार पर्याप्त नहीं पायी गई। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि उपलब्ध भूमि मानक से कम है, जिससे भवन निर्माण की स्वीकृति नहीं मिल सकी।
वही ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम सचिवालय अर्थात नवीन पंचायत भवन के पास अस्पताल के लिए पर्याप्त जमीन खाली है। वहीं अस्पताल भवन बनाने की मांग की। पूर्व प्रधान विनोद पटेल का कहना है कि यह अस्पताल पूरे इलाके के लिए बेहद आवश्यक है, लेकिन बुनियादी ढांचे के अभाव में इसकी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। वर्ष 1969 से किराए के भवन में संचालित इस अस्पताल में दवाएं रखने का भी मुकम्मल इंतजाम नहीं है। क्योंकि छत व दीवारों में दरारें पड़ गईं हैं। बारिश होने पर चारो तरफ पानी टपकता है। परिसर में शुद्ध जल की भी व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में प्रतिदिन 10 से 30 रोगी आते हैं। ग्रामीणों ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की है कि शीघ्र ही मानक के अनुरूप भूमि की व्यवस्था कर भवन निर्माण शुरू कराया जाए। उनका कहना है कि यदि जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी दयाशंकर वर्मा का कहना है कि भूमि की समस्या को लेकर वैकल्पिक जगह चिह्नित की जा रही है। जैसे ही उपयुक्त भूमि उपलब्ध होगी, प्रस्ताव दोबारा भेजा जाएगा। मानक के अनुरुप पाने पर अस्पताल भवन का निर्माण जल्दी शुरू कर दिया जाएगा।
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