Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Justice Shekhar Yadav withdrew his name from the seminar Ram Mandir was to be discussed in Kumbh

जस्टिस शेखर यादव ने सेमिनार से वापस लिया नाम, कुंभ में राम मंदिर पर होनी थी चर्चा

  • 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया और इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी। यादव मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए और उनसे दिए गए बयानों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSat, 18 Jan 2025 01:50 PM
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जस्टिस शेखर यादव ने सेमिनार से वापस लिया नाम, कुंभ में राम मंदिर पर होनी थी चर्चा

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर यादव के दिसंबर में विहिप के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण ने विवाद खड़ा कर दिया था। अब खबर आ रही है कि 22 जनवरी को कुंभ मेला क्षेत्र में राम मंदिर आंदोलन पर आयोजित एक सेमिनार में भाग लेने से उन्होंने इनकार कर दिया है। यहां उन्हें मुख्य अतिथि के तौर पर भाषण देना था। शनिवार को आयोजकों ने यह जानकारी दी है। आयोजकों के अनुसार, न्यायमूर्ति यादव ने "राष्ट्रीय संगोष्ठी: राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ" सेमिनार में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि 22 जनवरी कार्य दिवस है।

सेमिनार के संयोजक शशि प्रकाश सिंह ने कहा, "आयोजन समिति के कुछ सदस्यों ने न्यायमूर्ति शेखर यादव से इस कार्यक्रम में भाग लेने की सहमति ली थी। चूंकि सेमिनार जिस दिन होना है उस दिन सरकारी छुट्टी नहीं है इसलिए उन्होंने इसमें भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की है और इस बारे में आयोजन समिति को सूचित किया है।"

उन्होंने कहा कि यह सेमिनार अयोध्या राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक अशोक बेरी और वरिष्ठ विहिप नेता बड़े दिनेश जी सिंह भी सेमिनार को संबोधित करने वाले हैं।

आपको बता दें कि 8 दिसंबर को हाईकोर्ट परिसर में विहिप के विधिक प्रकोष्ठ और हाईकोर्ट इकाई के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति यादव ने कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। उनका यह भाषण वायरल हो गए। आलोचकों ने उन्हें निशाना बनाया। उनके खिलाफ महाभियोग लाने की भी तैयारी की गई।

10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया और इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी। यादव मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए और उनसे दिए गए बयानों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया।

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