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पुलिस अधिकारी वीआरएस लेने को मजबूर, खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है, अखिलेश ने साधा निशाना

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन की स्थिति और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ व्यवहार को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की।

Srishti Kunj लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 7 June 2025 09:54 AM
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पुलिस अधिकारी वीआरएस लेने को मजबूर, खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है, अखिलेश ने साधा निशाना

नियम एवं ग्रंथ में तैनात आईपीएस आशीष गुप्ता ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। उनके आवेदन पर सरकार ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी। उनका कार्यकाल अभी दो वर्ष शेष था। नैट ग्रिड के सीईओ रह चुके 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष गुप्ता ने तीन महीने का नोटिस दिया था। इसी पर अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन की स्थिति और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ व्यवहार को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने आईपीएस आशीष गुप्ता के वीआरएस को लेकर सोशल मीडिया पर किए पोस्ट में लिखा कि ये समाचार चिंताजनक है कि उप्र पुलिस के वरिष्ठतम लोग, जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गये, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ‘ऐच्छिक सेवानिवृत्ति’ लेने पर मजबूर हैं। इससे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है, जिसका ख़ामियाज़ा प्रदेश की क़ानून-व्यवस्था और जनता को भुगतना पड़ता है।

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उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में जब वरिष्ठ-कनिष्ठ का कोई मतलब ही नहीं बचा है तो ‘वरिष्ठता क्रम की सूची’ बनाने का क्या मतलब। वरिष्ठता में 1-2 के फेरबदल को तो कार्य के स्वरूप के आधार या किसी अन्य पैमाने पर उचित ठहराया भी जा सकता है लेकिन 10-12 के अंतर को नहीं। सामान्य रूप से किसी अधिकारी को किसी पद पर चुनने का आधार व्यक्तिगत पंसद, विचारधारा या सत्ता का अंदरूनी झगड़ा नहीं होना चाहिए बल्कि उस पद विशेष के लिए, अधिकारी की पदानुक्रमता के साथ-साथ योग्यता और अनुभव का समेकित संतुलित आधार होना चाहिए।

भाजपा सरकार अधिकारियों का मनोबल गिरा कर कुछ भी हासिल नहीं कर सकती है। हाल की कुछ घटनाओं में ये देखा गया है कि कुछ अधिकारियों को चिन्हित करके, उनके विभाग के अदंर और सोशल मीडिया के स्तर पर बाहर से, उनको या उनके परिवारों को प्रताड़ित-अपमानित किया गया है। भाजपाइयों द्वारा चलाया गया ये चलन बंद होना चाहिए। भाजपाई ईमानदारी को पुरस्कृत नहीं करती है तो न करे, लेकिन तिरस्कृत भी न करे। चिंतनीय भी, निंदनीय भी!

अखिलेश यादव का ये बयान उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन के मामले में भाजपा सरकार के रवैये की तीखी आलोचना है। अखिलेश अक्सर दावा करते हैं कि अधिकारियों की नियुक्ति योग्यता या वरिष्ठता के बजाय राजनीतिक निष्ठा के आधार पर की जाती है। अखिलेश के आरोप हैं कि सरकार पुलिस का मनोबल गिरा रही है, जिसके कानून और व्यवस्था के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि विभागीय साधनों और सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों और अधिकारियों के परिवारों को परेशान करने के आरोप शासन के प्रति एक सत्तावादी दृष्टिकोण का संकेत देते हैं।

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