Hindi NewsUttar-pradesh NewsHathras NewsSasni Bhagwat Katha Emotional Narration of Krishna and Sudama s Friendship

पानी परात को हाथ न छुऔ नैनन के जल सौं पग धोए

Hathras News - सासनी में श्री हनुमान जी मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में प्रहलाद दास महाराज ने भगवान श्री कृष्ण और उनके मित्र सुदामा की कथा सुनाई। सुदामा की गरीब स्थिति और श्री कृष्ण की करुणा ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, हाथरसTue, 24 June 2025 02:11 AM
share Share
Follow Us on
पानी परात को हाथ न छुऔ नैनन के जल सौं पग धोए

सासनी। गांव सिंघर्र सहजपुरा मार्ग स्थित श्री हनुमान जी मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में भगवान श्री कृष्ण की रोचक कथाओं के साथ प्रहलाद दास महाराज ने कथा के सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण के मित्र सुदामा और राजा परीक्षित मोक्ष कथा का बडा ही मार्मिक और रोचक वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता भाव विभोर हो अश्रु बहाने लगे। कथा व्यास प्रहलाद दास महाराज ने सुनाया कि जब सुदामा की हालत बहुत ही खराब हो गई तो उसकी पत्नी ने पडौस से चावल मांगकर सुदामा को दिए और भगवान कृष्ण के पास द्वारिका जाने को कहा। सुदामा जब द्वारिका भगवान के दरवाजे पर पहुंचे और श्रीकृष्ण को पता चला कि उनका मित्र सुदामा आया है तो वह नंगे सिर और पैर महलों से दौड लिए बाहर आकर सुदामा को गले लगाया और महल में जाकर आसन पर बैठाकर उनके पग धोने के लिए पानी मंगाया।

तब सुदामा के पैरों को देखकर भगवान के नेत्रों से अश्रुओं की झडी लग गई। तब सूरदास जी ने लिखा कि देखि सुदामा की दीन दशा, करुणा करके करुणानिधि रोए । पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए॥ अर्थात उनके पैरों की बिवाई और उनपर काँटों के निशान देखकर कृष्ण कहते हैं कि हे मित्र तुमने बहुत कष्ट में दिन बिताए हैं। इतने दिनों में तुम मुझसे मिलने क्यों नहीं आए। भगवान कृष्ण ने सुदामा द्वारा लाई गई पोटली जिसमें चावल छिपे थे चुप से उनकी कांख से निकाल ली और पोटली से दो मुट्ठी चावल जैसे ही मुंह में डाला तो सुदामा के गांव में उसका महल और नगर बस गया तीसरी मुट्ठी खाने वाले थे तो रूकमणी ने रोकते हुए कहा कि प्रभु आपने दो लोक तो दे दिए क्या अब आप भी दीन हीन होना चाहते हैं और वह तीसरी मुट्ठी रूकमणी ने खा ली। तब सुदामा को यथा संभव उपहार देकर विदा किया। और उसे मोक्ष मार्ग पर प्रशस्त किया। दूसरी ओर राजा परीक्षित ने जब सात दिन श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया और समय आने पर तक्षक ने उसे डस लिया। राजा परीक्षित मोक्ष को प्राप्त हुआ तो राजा के पुत्र जन्मेजय ने सर्पविनाशक यज्ञ किया। जिसमें देश विदेश से सर्प आकर जल गये।तब तक्षक इंद्र के सिंहासन से लिपटकर बैठ गया। और अपनी जान की भीख मांगने लगा। इस पर जब ऋषियों ने मंत्रोच्चारण किया तो इंद्र के सिंहासन सहित तक्षक नीचे आ गया। तब भगवान ने जन्मेजय को समझाकर तक्षक की जान बचाई। कथा श्रवण के दौरान गुरू सियाराम दास महाराज, परमानंद कठिया बाबा, रूदायन भट्टा श्री हनुमान जी मंदिर वाले राजू बाबा, एवं राजा परीक्षित की भूमिका में हरीसिंह मामा एवं उनकी पत्नी सुदेश देवी, तथा कुंवर कन्हैया सिंह तोमर प्रधान, पवन शर्मा बीडीसी, हरी सिंह, भोला, नागेन्द्र शर्मा, प्रवेश तोमर, धर्म सिंह तोमर, राजकुमार सिंह, सहित तमाम ग्रामवासी मौजूद थे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें