गोकर्ण उपाख्यान का वर्णन सुन भक्त भाव विभोर हुए
Hapur News - धरम करमधर्म के सद्मार्ग पर चल कर दीन दुखियों की मदद करें फोटो नंबर 205 गढ़मुक्तेश्वर, संवाददाता। मोहमाया का त्याग करते हुए धर्म के बताए सद्मार्ग पर चल

गढ़मुक्तेश्वर, संवाददाता। मोहमाया का त्याग करते हुए धर्म के बताए सद्मार्ग पर चलकर दीन दुखियों की मदद करने वालों पर ईश्वर की विशेष कृपा बरसती है, इसलिए किसी से भी मन में कोई द्वेष भावना न रखें। पौराणिक गढ़ गंगानगरी की बागवाली कालोनी और प्राचीन मुक्तेश्वर महादेव नक्का कुआं मंदिर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के द्वितीय दिवस में गोकर्ण उपाख्यान का वर्णन हुआ। वृंदावन से आए व्यास रुद्र कृष्ण ठाकुर महाराज और यश कृष्ण आचार्य ने गोकर्ण उपाख्यान का वर्णन करते हुए कहा कि आत्मदेव के घर में कोई पुत्र नहीं है तो वे पुत्र के लिए रोते हैं।
पुत्र घर में नहीं होता तो माता पिता दो चार दिन रोते हैं, परंतु पुत्र होने के बाद नालायक या कपूत हो जाए तो माता पिता को जीवन भर रोना पड़ता है। व्यास ने कहा कि ये संसार बड़ा ही विचित्र है, इसलिए जैसी ममता हम संसार में करते हैं अगर वैसी ममता भगवान के चरणों में हो जाए तो कल्याण हो जाएगा। जिसको तुम अपना मान रहे हो वह महज तुम्हारा वहम है। धर्म के बताए सद्मार्ग पर चलकर समाज में प्रतिष्ठा पाने को सुंदर मकान बनाना, पत्नी और बच्चों से प्रेम करना, दुकान पर दस घंटे बैठकर धन कमाना भी धर्म का प्रमुख अंग है। जो भी धन कमाया उसे पत्नी बच्चों परिवार में समर्पित करना भी धर्म है, परंतु पत्नी बच्चे मकान खजाना मेरा है इसके बगैर मैं जी नहीं सकता ऐसा सोचना और चिंतन करना ही अधर्म और बंधन का कारण है। व्यास ने कहा कि भागवत कथा में परम धर्म का निरूपण किया गया है। यह परम धर्म कृष्ण कथा है, जो निष्कपट संत हैं और उनके मन में जरा भी कपट नहीं है और वे निष्कामी हैं। उन संतो के जानने योग्य जो परम धर्म है वही कृष्ण कथा है। जिसका समूचा वर्णन श्रीमद् भागवत में निहित है। भगवान शंकर ने पार्वती जी को अमर कथा सुनाई उसके प्रभाव से तोते का बच्चा अमर हो गया, जो वेदव्यास जी की धर्मपत्नी के गर्भ से सुखदेव के रूप में प्रकट हुआ। डोली शर्मा, वर्षा शर्मा, रुपेश पंडित, मदनपाल चौधरी, जितेंद्र चौधरी, राहुल शर्मा, पूजा गोस्वामी समेत सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।
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